SECTION 318 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

नमस्कार दोस्तों

आज हम आपको बताने जा रहे हैं धारा 318 आईपीसी क्या है व के बचने के उपाय क्या है आजकल एक अपराध होना आम बात हो गई है अपराध भी दो प्रकार के होते हैं जमानती अपराध और अजमानती अपराध यह धारा किसी बच्चे को मारना या किसी बच्चे के मृत शरीर को गाड़ कर नष्ट कर देना से संबंधित यह धारा है

धारा 318 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत किए गए अपराध संज्ञेय अपराधों की श्रेणी में आते हैं। यह अपराध जमानती है व अशामनिय अपराधों की श्रेणी में आते हैं किसी भी सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है। इस धारा के अंदर अभियुक्त के ऊपर आरोप साबित करने की जिम्मेदारी अभियोजन पक्ष की रहती है ।

धारा 318 ipc क्या है?

धारा 318 आईपीसी की साधारण भाषा में आपको परिभाषा समझाते हैं कि क्या है धारा 318 जब किसी व्यक्ति द्वारा किसी बच्चे के मृत शरीर को गुप्त रूप से गाड़ कर और उसे नष्ट कर देना। चाहे उस बच्चे की मृत्यु उसके जन्म के पहले या बाद में या जन्म के दौरान हुई हो ऐसे बच्चे के जन्म को छिपाने का प्रयास करेगा वह व्यक्ति कारावास व जुर्माने से दंडित होगा

जिसकी अवधि 2 वर्ष तक की हो सकेगी एवं जुर्माना अपराध के अनुसार अथवा दोनों से दंडित किया जाएगा किसी बच्चे के शरीर को नष्ट करना भी इसी भी अपराध में माना गया है  यह साधारण भाषा में धारा 318 भारतीय दंड संहिता प्रावधान बताए गए हैं। इसी प्रकार हम आपको बताएंगे कि किसी बच्चे का जन्म शहर से दूर सुनसान इलाके में हुआ व्यक्ति गर्भवती महिला ने बच्चे को जन्म किसी सुनसान इलाके में दिया हूं

जन्म के पश्चात ही शिशु की मृत्यु हो गई हो या बच्चे की मृत्यु हो गई हो और अभियुक्त ने उस बच्चे को वहीं छोड़ दिया हो इसे इस धारा के अधीन गुप्त रूप से नष्ट करना नहीं कहा जा सकता या उस व्यक्ति को अपराधी नहीं माना जा सकता। हम देख सकते हैं धारा 318 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत किसी अपराधी स्त्री के द्वारा अपने घर के अंदर किसी मृत बच्चों को जन्म दिया जाता है और उसे वहीं छोड़ दिया जाता है इसके संबंध में वह किसी व्यक्ति को जानकारी नहीं देती है या किसी को नहीं बताती है तो भी यह अपराध धारा 318 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध नहीं है।

 

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धारा 318 भारतीय दंड संहिता मैं लागू अपराध और सजा के प्रावधान क्या है?

धारा 318 के अंतर्गत लागू अपराध क्या है क्या इसमें सजा का प्रावधान है इसमें हम इसका पूर्ण रूप से वर्णन करेंगे धारा 318 के अंतर्गत यह एक संघेय अपराध है और जमानती अपराध है एवं अशामनिय अपराध है जो कि किसी भी सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है धारा 318 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत सजा के प्रावधान 2 वर्ष तक का कारावास वह जुर्माना अथवा दोनों बताया गया है इसके अंतर्गत प्रॉसीक्यूशन पक्ष को अपराध साबित करना होता है एवं अभियुक्त पक्ष को अपराधी या अभियुक्त अपने आप को निर्दोष साबित करने के लिए अपने साक्ष्य पेश करते हैं।

धारा 318 भारतीय दंड संहिता में वकील की जरूरत क्यों होती है?

आजकल अपराध होना एक आम बात हो गई है।न्ययालय मैं किसी भी प्रकरण के लिए अधिवक्ता या वकील की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 318 मैं दंड के प्रावधान  ऐसी स्थिति में अभियुक्त का निर्दोष बचकर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है अपने आप को सही साबित करना बहुत कठिन कार्य हो जाता है

ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए एक निपुण वकील या अधिवक्ता जो अपराधिक मामलों में सर्वश्रेष्ठ अधिवक्ता हो या पारंगत हो जिन्होंने अपराधिक मामलों में कई प्रकार के ऐसे मामले लड़े हो या सुलझाएं हो ऐसे वकील को आपके द्वारा नियुक्त करना आपके लिए बहुत लाभदायक होगा जोकि आपको सजा से भी मुक्ति दिलवा सकता है। और आपको निर्दोष साबित कर सकता है न्यायालय द्वारा आपको बरी भी करवा सकता है इस प्रकार का वकील आप को ही नियुक्त करना होता है जो आपके आरोप मुक्त होने के अवसर बहुत बड़ा देता है और आपको इस मामले से बरी करवा देता है

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