Arbitration conciliation act 1996
आज हम आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत कराने जा रहे हैं आर्बिट्रेशन क्या है सरल भाषा में आपको जानकरी देने का प्रयास कर रहा हु आर्बिट्रेशन एक विवादों का आसानी से समाधान करने की प्रक्रिया है
जिसमें विवादित पक्षों ने निर्धारित व्यक्ति या समिति को अपने विवाद का निर्णय करने के लिए समझौता करने का समझौता किया होता है, जिसे आर्बिट्रेटर कहा जाता है। यह एक विशिष्ट न्यायिक प्रक्रिया है जो सामाजिक, वाणिज्यिक या अन्य प्रकार के विवादों का निर्धारण करने के लिए उपयोग हो सकती है।
आर्बिट्रेशन का मुख्य उद्देश्य है विवादित पक्षों को न्यायिक प्रक्रिया के बाहर ले जाना और उन्हें शीघ्र और किफायती रूप से निर्णय प्राप्त करने का एक अद्वितीय तरीका प्रदान करना है। आर्बिट्रेशन में विवादित मुद्दों का निर्णय आर्बिट्रेटर द्वारा किया जाता है और इसमें न्यायिक प्रक्रिया की रूपरेखा निर्धारित की जाती है जिससे समझौता हो सके।
आर्बिट्रेशन का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जैसे कि व्यापारिक समझौते, निर्माण परियोजनाएं, अंतरराष्ट्रीय व्यापार, शादी-विवाद, और अन्य समाज से जुड़े विवादों में। इस प्रक्रिया का उपयोग सुगमता, विश्वास, और सुगमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है, और इससे यह सुनिश्चित होता है कि विवादित पक्षों को न्यायिक प्रक्रिया से बचाया जा सकता है।
Arbitration meaning in hindi
माध्यस्थम (arbitration) एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रक्रम है जिसमें पक्षकर किसी तीसरे व्यक्ति के हस्तक्षेप के माध्यम से तथा न्यायालय का सहारा लिए बिना अपने विवादों का निपटान करवाते हैं। यह ऐसी विधि है जिसमें विवाद किसी नामित व्यक्ति के सामने रखा जाता है जो दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात अर्ध-न्यायिक तरीके से मसले का निर्णय करता हैं।
उदाहरणार्थ ‘पंच’ या ‘पंचायत’ को कोई विवाद संदर्भित करना माध्यस्थम का एक रूप है। सामान्यत:, विवादकारी पक्ष अपना मामला किसी माध्यस्थम न्यायाधिकरण को संदर्भित करते हैं तथा न्यायाधिकरण द्वारा लिया गया निर्णय ‘अवार्ड’ कहलाता है। माध्यस्थम का प्रयोग मुख्यत: व्यापार क्षेत्रों में किया जाता है जैसे निर्माण परियोजनाएं, नौवहन तथा संवहन, पेटेंट, कारोबार चिह्न तथा ब्रांड, वित्तीय सेवाएं जिनमें बैंकिंग तथा बीमा शामिल है, विदेशी सहयोग, भागीदारी विवाद इत्यादि।
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