आईपीसी की धारा 153 A क्या है पूरी जानकारी

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 153 A क्या है और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी की धारा 153 A क्या है

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153 A ‘धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने’ के मामले में लगाई जाती है. इसमें 3 साल तक के कारावास, या जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है. इसे 1898 में अधिनियमित किया गया था और मूल दंड संहिता का हिस्सा नहीं था. संशोधन के समय, वर्ग द्वेष को बढ़ावा देना राजद्रोह के अंग्रेजी कानून का एक हिस्सा था, लेकिन भारतीय कानून में शामिल नहीं था.

धारा 153 A का विवरण

भारतीय दंड संहिता (IPC) में आज हम आपको महत्वपूर्ण धारा के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। हम में बहुत से लोगो को नहीं पता होता हैं कि यदि हम किसी धर्म (जाति और समुदाय) या संप्रदाय अथवा किसी धार्मिक भावनाओं पर कोई ऐसा कार्य समूहों द्वारा किया जाता है, जिससे लोक शांति में बाधा उत्पन्न होती है तो ऐसे समूहों (व्यक्तियों) द्वारा IPC की धारा 153A के तहत अपराधी होंगे । आज कल हमारे भारत देश ऐसा बहुत कुछ, हम सभी लोग को देखने को मिलता हैं ।

हम सभी जानते हैं हमारे भारत देश में इस समय धर्म, जाति, सामाजिक सांप्रदायिक, बातो को लेकर आपसी मतभेद बहुत सी समस्याओं को जन्म दे रही है । ऐसे लोगो के लिए आईपीसी की धारा 153 A से दंडित किया जाता है।

आईपीसी की धारा 153 के अनुसार

धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवासस्थान, भाषा इत्यादि के आधारों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना-

(क) जो कोई – बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा दृश्यरूपणों द्वारा या विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय या भाषाई या प्रादेशिक समूहों, जातियों या समुदायों के बीच असौहार्द्र अथव शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं, धर्म मूलवंश, जन्म स्थान, निवास स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधारों पर या अन्य किसी आधार पर संप्रवर्तित करेगा या संप्रवर्तित करने का प्रयत्न करेगा, अथवा

(ख) कोई ऐसा कार्य करेगा, जो विभिन्न धार्मिक मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समूहों या जातियों या समुदायों के बीच सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है और जो लोक प्रशांति में विघ्न डालता है या जिससे उसमें विघ्न पड़ना संम्भाव्य हो, अथवा

(ग) कोई ऐसा अभ्यास, आंदोलन, कवायद या अन्य वैसा ही क्रियाकलाप इस आशय से संचालित करेगा कि ऐसे क्रियाकलाप में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध अपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे अथवा प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए और ऐसे क्रियाकलाप से ऐसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्यों के बीच, चाहे किसी भी कारण से, भय या संत्रास या असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है या उत्पन्न होने सम्भाव्य है,।

पूजा के स्थान आदि में किया गया अपराध- जो कोई उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अपराध किसी पूजा के स्थान में या किसी जमाव में, जो धार्मिक पूजा या धार्मिक कर्म करने में लगा हुआ हो, करेगा, वह कारावास से, जो 5 वर्ष तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

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साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 153 A आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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