SECTION 288 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 235 क्या है What is section 235 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा  के 288 बारे में क्या होती है 288 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी धारा 288 किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण IPC Section 288 Negligent conduct in relation to the demolition or repair of any construction

जो कोई किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने में उस निर्माण की ऐसी व्यवस्था करने का, जो उस निर्माण के या उसके किसी भाग के गिरने से मानव जीवन को किसी अभिसम्भाव्य संकट से बचाने के लिए पर्याप्त हो, जानते हुए या उपेक्षापूर्वक लोक करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा । 

आईपीसी धारा 288 का विवरण Details of IPC Section 288 –

धारा 284 से लेकर 289 तक के अंतर्गत अपराधों की प्रकृति समान हैं किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के सम्बंध में उपेक्षापुर्ण आचरण धारा 288 के अधीन दण्डनीय अपराध है

इसके अनुसार, जो कोई किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने में उस निर्माण की ऐसी व्यवस्था करने का, जो उस निर्माण के या उसके किसी भाग  के गिरने से मानव जीवन को किसी अभिसम्भाव्य संकट से बचाने के लिए पर्याप्त हो, जानते हुए या उपेक्षापूर्वक लोप करेगा, वह छह मास तक के सादा या कठिन कारावास से, या एक हजार रुपए तक के जुर्माने से, या दोनों से, डण्डित किया जाएगा । 

इस धारा के अंतर्गत अभियुक्त के द्वारा किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने में लोप किया जाना आवश्यक है। ऐसा लोप उस निर्माण की ऐसी व्यवस्था करने का, जो उस निर्माण के या उसके किसी भाग के गिरने से मानव जीवन को किसी अधिसम्भाव्य संकट से बचाने के लिए पर्याप्त हो, यह जानते हुए या उपेक्षापूर्वक किया गया होना चाहिए । 

अब्दुल कलाम बनाम राज्य  (राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र दिल्ली सरकार )  में अपने मकान में पलस्तर करवाने के लिये भवन स्वामी याची को ठेकेदार ने लगवाया था दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि याची धारा 288 की परिधि  के भीतर नहीं आता । उसने ऐसा कोई कार्य नहीं किया जिससे उतावलेपन में या उपेक्षा के कारण मानव जीवन को खतरा उत्पन्न होता हो । अतः याची को उन्मोचित कर दिया गया । 

इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय, जमानतीय और अशमनीय है, और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है । 

साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 288 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

 कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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