आईपीसी की धारा 186 क्या है What is section 186 of IPC
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा के 186 बारे में क्या होती है 186 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
आईपीसी धारा 186 लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालना IPC Section 186 Obstructing public servant in discharge of public functions
जो कोई किसी लोक सेवक के, लोक कृत्यों के निर्वहन में स्वेच्छया बाधा डालेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से जो पांच सौ रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
आईपीसी धारा 186 का विवरण Description of IPC section 186
यह धारा लोक सेवक के लोक – कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालने को दंडित करती है इसके अनुसार, जो कोई किसी लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में स्वेच्छया बाधा डालेगा, वह तीन मास तक के सादा या कठिन कारावास से या पांच सौ रुपये तक के जुर्माने से, या दोनों से,दंडित किया जाएगा ।
इस धारा के अंतर्गत बाधा स्वेच्छया डाली जानी चाहिए । यदि बाधा किसी अन्य प्रकार की हो, तो अभियुक्त को इस धारा के अधीन दंडित नहीं किया जा सकता । यह बाधा लोक सेवक के लोक – कृत्यों के निर्वहन में होनी चाहिए। यदि उन कृत्यों को लोक – कृत्य नही कहा जा सकता, तो यह धारा लागू नहीं होगी ।
बाधा Obstacle
मुंबई उच्च न्यायालय ने जब कि यह अभिनिर्धारित किया है कि इस धारा के अंतर्गत बाधा में बल प्रयोग या बल का प्रदर्शन, या धमकी या निवारण के कार्य का तत्व उपस्थित है, इलाहाबाद उच्च न्यायालय का मत यह है कि इसके वास्तविक हिंसा या हिंसा के प्रदर्शन की प्रकृति का प्रत्यक्ष कार्य होना आवश्यक है।
जहां सरकार के आदेशानुरूप किसी पुल के ऊपर यातायात बन्द कर दिया गया, और अभियुक्त ट्रक चालक डयूटी अधिकारी के निदेशों की अवहेलना करते हुए उस पुल में एक और से प्रवेश कर दूसरी ओर पहुंचा, तो यह अभिनिर्धारित किया गया कि उसका यह कार्य लोक – सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालना नहीं है ।
लोक सेवक Public Servant
लोक सेवकअभिव्यक्ति का अर्थ वही है जो संहिता की धारा 21 में दिया गया है । जहाँ एक ब्लाक पशुपालन अधिकारी ने किसी प्रमाणपत्र कार्यवाहियों में अभियुक्त के कुछ पशुओ का अभिग्रहण कर लिया, और उन्हें ब्लाक कार्यालय ले जाने के लिए गांव के गोरेठ को पकड़ा दिया पर अभियुक्त गोरेठ को रास्ते में ही कुछ अनुचित प्रस्ताव कर उन्हें छुड़ाकर ले गया, तो यह अभिनिर्धारित किया गया कि यह धारा इसलिए लागू नहीं होगी क्योंकि गोरेठ एक लोक – सेवक नहीं था ।
लोक – कृत्यों public acts
इस धारा में प्रयुक्त अभिव्यक्ति लोक – कृत्यों का न्यायिक निर्वचन व्यापक और विविध किया गया लगता है ।इस छत्र में दिए गए विभिन्न न्यायिक निर्णयों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि निर्मलिखित बाते इस अभिव्यक्ति के अंतर्गत आती है
- वे कार्य जो लोक सेवक के वैध और विधिसम्मत रूप से प्राधिकृत लोक कृत्य है, इनमे वह अन्य कार्य सम्मिलित नहीं है जिन्हें एक लोक सेवक करने के लिए चुनता है
- वे कार्य जो सुनिश्चित रूप से वैध नहीं हो पर जिन्हें लोक सेवक के द्वारा सद्भावपूर्वक किया गया हो ।
- वे कार्य जो तथ्य और विधि में लोक कृत्य हो, यदि ऐसा न हो, तो चाहे लोक सेवक का आशय ईमानदार रहा भी हो तो भी वे कार्य लोक कृत्य नहीं बन जाते ।
धारा 186 और धारा 353के बीच अंतर Difference Between Section 186 and Section 353
धारा 186 और धारा 353 के बीच तीन मूल अन्तर है पहला, धारा 186 लोक सेवको के विधिपूर्ण प्राधिकार के अवमान से सम्बन्धित अपराध है जबकि धारा 353 मानव शरीर से सम्बंधित अपराध है दूसरा, धारा 186 असंज्ञेय अपराध है जबकि धारा 353 संज्ञेय अपराध है
तीसरा, धारा 186 में लोक सेवक के लोक – कृत्यों के निर्वहन में मात्र बाधा डालना ही अपराध है, जबकि धारा 353 में लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग आवश्यक है
इस धारा के अधीन अपराध की संज्ञानता के लिए दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 195 यह कहती है कि इसके लिए सम्बद्ध लोक सेवक का लिखित परिवाद आवश्यक है, या किसी ऐसे लोक सेवक का लिखित परिवाद आवश्यक है, सम्बद्ध लोक सेवक जिसके अधीन हो ।
इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय, जमानतीय और अशमनीय है, और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।
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निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 186 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
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