SECTION 192 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा  192क्या है

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा  के 192  बारे में क्या होती है 192धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी की धारा 192. मिथ्या साक्ष्य गणना

जो कोई इस आशय से किसी परिस्थिति को अस्तित्व में लाता है या किसी पुस्तक या अभिलेख या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख में कोई मिथ्या प्रविष्टि करता है या मिथ्या कथन अंत वरिष्ठ रखने वाली कोई दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख रचता है

की ऐसी परिस्थिति मिथ्या प्रवेश किया मिथ्या कथन न्यायिक कार्यवाही में या ऐसी किसी कार्यवाही में जो लोक सेवक के समक्ष उसके नाते या मध्यस्थ के समक्ष विधि द्वारा की जाती है साक्ष्य में दर्शित हो और कि इस प्रकार साक्ष्य में दर्शित होने पर ऐसी परिस्थिति मिथ्या प्रविष्टि यह मिथ्या कथन के कारण कोई व्यक्ति जिसे ऐसी कार्यवाही में साक्षी के आधार पर राय कायम करनी है

ऐसी कार्यवाही के परिणाम के लिए सात्विक किसी बात के संबंध में गलत राय बनाएं वह मिथ्या साक्ष्य जो यह का है घटता है यह कहा जाता है. दृष्टांत क क एक बॉक्स मै जो यह का है

इस आशय से आभूषण रखता है कि वह इस बॉक्स में पाए जाए और इस परिस्थिति में यह चोरी के लिए दोषी सिद्ध ठहराया जाए कहने मिथ्या साक्षी गढ़ा है है के अपनी दुकान की वही में एक मिथ्या प्रविष्टि इस प्रयोजन से करता है कि वह न्यायालय मैं सम पोशाक साक्ष्य के रूप में काम में ली जाए केने मिथ्या साक्ष्य गढ़ा है

यह को एक अपराधिक षड्यंत्र के लिए दोषी सिद्ध ठहराया जाने के आशीष से के एक पत्र यह के हस्त लेख की अनुकृति करके लिखता है जिससे यह तात्पर्य है कि यह ने उसे ऐसे अपराधिक षड्यंत्र के सह अपराधी को संबोधित किया है

और इस पत्र को ऐसे स्थान पर रख देता है जिस के संबंध में वह यह जानता है कि पुलिस ऑफिसर संभावित उस स्थान की तलाशी लेंगे के ने मिथ्या साक्षी गढ़ा है टिप्पणी यह धारा मिथ्या साक्ष्य करने के अपराध की परिभाषा देती है इसके अनुसार जो कोई इस आशा से या तो किसी परिस्थिति को अस्तित्व में लाता है या किसी पुस्तक का या अभिलेख में कोई मिथ्या प्रविष्टि करता है

या मिथ्या कथन अंत वेस्ट रखने वाली कोई दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख रचता है की ऐसी परिस्थिति मिथ्या प्रविष्टि या मिथ्या कथन हो या तो न्यायिक कार्यवाही में या लोक सेवक के समक्ष उसके उस नाते या मध्यस्थ के समक्ष विधि द्वारा की जाने वाली कार्यवाही में साक्ष्य में दर्शित हो और इस प्रकार साक्ष्य में दर्शित होने पर ऐसी परिस्थिति मिथ्या प्रविष्टि या मिथ्या कथन के कारण कोई व्यक्ति जिसे ऐसी कार्यवाही में साक्ष्य के आधार पर राय कायम करनी है

ऐसी कार्यवाही के परिणाम के लिए सात्विक किसी बात के संबंध में गलत राय बनाएं वह मिथ्या साक्ष्य गड़ता है इस धारा के अनुसार केवल तीन प्रकार से ही मिथ्या साक्ष्य गड़ा जा सकता है किसी परिस्थिति को अस्तित्व में लाकर जैसा कि दृष्टांत के द्वारा स्पष्ट किया गया है किसी पुस्तके अभिलेख या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख मैं कोई मिथ्या प्रविष्टि कर जैसा कि दृष्टांत के द्वारा स्पष्ट किया गया है

और 3 मिथ्या कथन अंतर बिष्ट रखने वाली कोई दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख रच कर जैसा कि दृष्टांत ग द्वारा स्पष्ट किया गया है मिथ्या साक्षी गढ़ने वाले का आशय यह होना चाहिए की ऐसी चीज इस धारा में वर्णित कार्यवाही में प्रकट हो और इसके परिणाम के लिए तात्विक किसी बात के संबंध में गलत राय बनाए कूट रचना और मिथ्या साक्षी गणना उच्चतम न्यायालय ने बाबूलाल बनाम राज्य में यह स्पष्ट किया है कि यद्यपि कूट रचना और मित्र साक्ष्य गढ़ने के अपराधों में कभी-कभी कुछ समान तत्व हो सकते हैं

पर यह अपराध एक दूसरे से भिन्न है मिथ्या दस्तावेज बनाना या पुस्तक या अभिलेख में मिथ्या प्रविष्टि करना कूट रचना हो सकता है यदि उस अपराध के अन्य तत्व विद्यमान हो परंतु जब इन मिथ्या दस्तावेजों या प्रविष्टियों या न्यायिक कार्यवाही में या लोक सेवक या मध्यस्थ के समक्ष कार्यवाही में उपयोग की जाने का आशय हो जिससे ऐसी कार्यवाही के परिणाम के लिए सात्विक किसी बात के संबंध में गलत राय बने तो मिथ्या साक्षी गढ़ने का अपराध का रित होता है

जो कोई इस आशय से किसी परिस्थिति को अस्तित्व में लाता है या किसी पुस्तक या अभिलेख या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख में कोई मिथ्या प्रविष्टि करता है या मिथ्या कथन अंत वरिष्ठ रखने वाली कोई दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख रचता है

की ऐसी परिस्थिति मिथ्या प्रवेश किया मिथ्या कथन न्यायिक कार्यवाही में या ऐसी किसी कार्यवाही में जो लोक सेवक के समक्ष उसके नाते या मध्यस्थ के समक्ष विधि द्वारा की जाती है साक्ष्य में दर्शित हो और कि इस प्रकार साक्ष्य में दर्शित होने पर ऐसी परिस्थिति मिथ्या प्रविष्टि यह मिथ्या कथन के कारण कोई व्यक्ति जिसे ऐसी कार्यवाही में साक्षी के आधार पर राय कायम करनी है

ऐसी कार्यवाही के परिणाम के लिए सात्विक किसी बात के संबंध में गलत राय बनाएं वह मिथ्या साक्ष्य जो यह का है घटता है यह कहा जाता है. दृष्टांत क क एक बॉक्स मै जो यह का है इस आशय से आभूषण रखता है कि वह इस बॉक्स में पाए जाए और इस परिस्थिति में यह चोरी के लिए दोषी सिद्ध ठहराया जाए कहने मिथ्या साक्षी गढ़ा है है

के अपनी दुकान की वही में एक मिथ्या प्रविष्टि इस प्रयोजन से करता है कि वह न्यायालय मैं सम पोशाक साक्ष्य के रूप में काम में ली जाए केने मिथ्या साक्ष्य गढ़ा है यह को एक अपराधिक षड्यंत्र के लिए दोषी सिद्ध ठहराया जाने के आशीष से के एक पत्र यह के हस्त लेख की अनुकृति करके लिखता है

जिससे यह तात्पर्य है कि यह ने उसे ऐसे अपराधिक षड्यंत्र के सह अपराधी को संबोधित किया है और इस पत्र को ऐसे स्थान पर रख देता है जिस के संबंध में वह यह जानता है कि पुलिस ऑफिसर संभावित उस स्थान की तलाशी लेंगे के ने मिथ्या साक्षी गढ़ा है टिप्पणी यह धारा मिथ्या साक्ष्य करने के अपराध की परिभाषा देती है इसके अनुसार जो कोई इस आशा से या तो किसी परिस्थिति को अस्तित्व में लाता है

या किसी पुस्तक का या अभिलेख में कोई मिथ्या प्रविष्टि करता है या मिथ्या कथन अंत वेस्ट रखने वाली कोई दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख रचता है की ऐसी परिस्थिति मिथ्या प्रविष्टि या मिथ्या कथन हो या तो न्यायिक कार्यवाही में या लोक सेवक के समक्ष उसके उस नाते या मध्यस्थ के समक्ष विधि द्वारा की जाने वाली कार्यवाही में साक्ष्य में दर्शित हो और इस प्रकार साक्ष्य में दर्शित होने पर ऐसी परिस्थिति मिथ्या प्रविष्टि या मिथ्या कथन के कारण कोई व्यक्ति जिसे ऐसी कार्यवाही में साक्ष्य के आधार पर राय कायम करनी है ऐसी कार्यवाही के परिणाम के लिए सात्विक किसी बात के संबंध में गलत राय बनाएं वह मिथ्या साक्ष्य गड़ता है

इस धारा के अनुसार केवल तीन प्रकार से ही मिथ्या साक्ष्य गड़ा जा सकता है किसी परिस्थिति को अस्तित्व में लाकर जैसा कि दृष्टांत के द्वारा स्पष्ट किया गया है किसी पुस्तके अभिलेख या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख मैं कोई मिथ्या प्रविष्टि कर जैसा कि दृष्टांत के द्वारा स्पष्ट किया गया है और 3 मिथ्या कथन अंतर बिष्ट रखने वाली कोई दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख रच कर जैसा कि दृष्टांत ग द्वारा स्पष्ट किया गया है मिथ्या साक्षी गढ़ने वाले का आशय यह होना चाहिए

की ऐसी चीज इस धारा में वर्णित कार्यवाही में प्रकट हो और इसके परिणाम के लिए तात्विक किसी बात के संबंध में गलत राय बनाए कूट रचना और मिथ्या साक्षी गणना उच्चतम न्यायालय ने बाबूलाल बनाम राज्य में यह स्पष्ट किया है कि यद्यपि कूट रचना और मित्र साक्ष्य गढ़ने के अपराधों में कभी-कभी कुछ समान तत्व हो सकते हैं

पर यह अपराध एक दूसरे से भिन्न है मिथ्या दस्तावेज बनाना या पुस्तक या अभिलेख में मिथ्या प्रविष्टि करना कूट रचना हो सकता है यदि उस अपराध के अन्य तत्व विद्यमान हो परंतु जब इन मिथ्या दस्तावेजों या प्रविष्टियों या न्यायिक कार्यवाही में या लोक सेवक या मध्यस्थ के समक्ष कार्यवाही में उपयोग की जाने का आशय हो जिससे ऐसी कार्यवाही के परिणाम के लिए सात्विक किसी बात के संबंध में गलत राय बने तो मिथ्या साक्षी गढ़ने का अपराध का रित होता है

साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 192 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

 कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

अगर आपको इस सवाल से जुड़ी या किसी अन्य कानून व्यवस्था से जुड़ी जैसे आईपीसी, सीआरपीसी सीपीसी इत्यादि से जुड़ी किसी भी सवालों की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बेझिझक होकर कमेंट कर सकते हैं और आपके सवालों के उत्तर को हम जल्द से जल्द देने का हम पूरा प्रयास करेंगे।

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