SECTION 105 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 105 के  क्या है What is section 105 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा  के 105  बारे में क्या होती है 105 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी की धारा 105 – संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना –

संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार तब प्रारंभ होता है, जब संपत्ति के संकट की युतियुक्त आशंका प्रारंभ होती है l संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार चोरी के विरुद्ध अपराधी के संपति सहित पहुंच से बाहर हो जाने तक अथवा या तो लोक प्राधिकारी ओं की सहायता अभी प्राप्त कर लेने या संपत्ति प्रतिरोध अर्थ हो जाने तक बना रहता है

संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार लूट के विरुद्ध तब तक बना रहता है जब तक अपराधी किसी व्यक्ति की मृत्यु या उप हटी या सदोष अवरोध कार्य करता रहता या कार्य करने का प्रयत्न करता रहता है अथवा जब तक तत्काल मृत्यु का या तत्काल उपाधि का या तत्काल व्यक्तित्व अवरोध का भय बना रहता है संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार आपराधिक अतिचार या विशिष्ट के विरुद्ध तब तक बना रहता है

जब तक अपराधी आपराधिक अतिचार यार इस इष्ट करता रहता है संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार रात रो ग्रह भेदन के विरुद्ध तब तक बना रहता है जब तक ऐसे गृह भेदन से आरंभ हुआ ग्रह अतिचार होता रहता है टिप्पणी जबकि संहिता की धारा 102 अनन्य रूप से शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के प्रारंभ और उसके बने रहने से संबंधित है

यह धारा संपत्ति की प्रायवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रारंभ और उसके बने रहने से संबंधित है इस धारा के पहले पैरा के अनुसार संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार उसी क्षण प्रारंभ हो जाता है जिस क्षण संपत्ति के संकट की युक्ति युक्त आशंका प्रारंभ हो जाती है इस प्रतिरक्षा के प्रारंभ होने के लिए यह आवश्यक नहीं है

कि पहले संपत्ति संबंधी अपराध या उसका प्रयत्न होना आवश्यक है यह अधिकार उसी क्षण निहित हो जाता है जिस क्षण संपत्ति के संकट की युक्ति युक्त आशंका आरंभ हो जाती है यह पैरा केवल इस प्रतिरक्षा के प्रारंभ होने के प्रश्न तक ही सीमित है उसके बने रहने तक नहीं इस धारा में इस पैरा के पश्चात शेष पैरा अनन्य रूप से इस अधिकार के बने रहने तक की अवधि के बारे में बतलाती है

और विभिन्न अपराधों के लिए भिन्न भिन्न मानदंड बतलाये गये है इस धारा के तीसरे पैरा के अनुसार लूट के विरुद्ध संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार कब तक बना रहता है जब तक अपराधी किसी व्यक्ति की मृत्यु या उप हटी या सदोष अवरोध पारित करता रहता या कार्य करने का प्रयत्न करता रहता है अथवा जब तक तत्काल मृत्यु या तत्काल उप हाथी का या तत्काल व्यक्तिक अवरोध का भय बना रहता है इस भाग की भाषा धारा 390 की भाषा के समान है जिसके अंतर्गत लूट की परिभाषा दी गई है

SECTION 105 IPC IN ENGLISH

The right of private defence of property commences when a reasonable apprehension of danger to the property commences.

The right of private defence of property against theft continues till the offender has effected his retreat with the property or either the assistance of the public authorities is obtained, or the property has been recovered.

The right of private defence of property against robbery continues as long as the offender causes or attempts to cause to any person death or hurt or wrongful restraint or as long as the fear of instant death or of instant hurt or of instant personal restraint continues.

The right of private defence of property against criminal trespass or mischief continues as long as the offender continues in the commission of criminal trespass or mischief.

The right of private defence of property against house-breaking by night continues as long as the house-trespass which has been begun by such house-breaking continues.

 

साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 105 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

 कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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