SECTION 235 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 235 क्या है What is section 235 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा  के 235 बारे में क्या होती है 235 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी धारा 235 सिक्के के कुटकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखना –

 जो कोई किसी उपकरण या सामग्री को सिक्के के कुटकरण में उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह उस प्रयोजन के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।

यदि भारतीय सिक्का हो – 

और यदि कुटकरण किया जाने वाला सिक्का भारतीय सिक्का हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा । 

आईपीसी धारा 235 का विवरण Details of IPC Section 235

सिक्के के कुटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखना इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है इस धारा के द्वारा अपराध करने के प्रयत्न को भी अपराध बनाया गया है इसके अनुसार, किसी उपकरण या सामग्री को सिक्के के कुटकरण में उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या इस बात का ज्ञान रखते हुए,

या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह उस प्रयोजन के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, जो कोई उस अपने कब्जे में रखेगा, वह तीन वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा, और कुटकरण किया जाने वाला सिक्का भारतीय सिक्का होने पर अधिक कठोर दंड, अर्थात दस वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा । 

इस धारा के अंतर्गत यह आवश्यक है कि उपकरण या सामग्री अभियुक्त के कब्जे में हो, और उसे  सिक्के या भारतीय सिक्के के कुटकरण के प्रयोजन से या इस ज्ञान या विश्वास करने के कारण से कि वह उस प्रयोजन के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, रखा गया हो । 

किसी मामले में यद्यपि अभियुक्त द्वारा बनाए गए सिक्को को असली सिक्को के रूप में नहीं चलाया जा सकता था क्योंकि उनके किनारे आसमानकृति थे, और इसलिए धारा 28 के अधीन वह कुटकरण नहीं था,

तथापि इस धारा के अधीन कुटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से अपने कब्जे में रखने के लिए वह दंडनीय होगा यदि अभियोजन पक्ष इस धारा के शेष सभी आवश्यक तत्वों की उपस्थिति साबित कर । जहां अभियोजन पक्ष अभियुक्त, जो एक मैकेनिक था, के कब्जे में पाई गई डाई और अन्य सामग्री का प्रयोजन साबित नहीं कर सका,

तो यह अभिनिर्धारित किया गया कि उन चीजों का प्रयोग अन्य कार्यों में भी किया जा सकने के कारण अभियुक्त मैकेनिक इस धारा के अधीन दंडित नहीं किया जा सकता । उच्चतम न्यायालय का यह मत है कि दण्डशास्त्र के लिए इस धारा के अधीन दस वर्ष तक की लम्बी अवधि का कारावास सुधारात्मक उद्देश्य के प्रतिकूल भी हो सकता है, और इसलिए अभियुक्त के विरुद्ध पांच वर्ष के कारावास का दंड पर्याप्त है । न्यायालय ने यह भी कहा कि कारागार में रहने के दौरान उसके साथ मानवीय व्यवहार किया जाना अपेक्षित है, ताकि दंड भोग चुकने के पश्चात वह समाज में एक अच्छे नागरिक के रूप में जीवन जी सके । 

इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय, अजमानतीय और अशमनीय है, और यदि अपराध भारतीय सिक्के के सम्बंध में हो तो यह सेशन न्यायालय के द्वारा, और अन्य मामलो में वह प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा, विचारणीय है । 

साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 235 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

 कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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