SECTION 185 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 185 क्या है What is section 185 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 185  के बारे में क्या होती है 185 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी की धारा 185 लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए स्थापित की गई संपत्ति का अवैध कृय उसके लिए अवैध बोली लगाना-Illegal purchase of property set up for sale by authority of public servant, making illegal bidding for the same-

जो कोई संपत्ति के किसी ऐसे विक्रय में, जो लोक सेवक के नाते लोक सेवक की विधि पूर्ण प्राधिकार द्वारा हो रहा हो,

किसी ऐसे व्यक्ति के निर्मित चाहे वह व्यक्ति वह स्वयं हो, या कोई अन्य हो, किसी संपत्ति का क्या करेगा या किसी संपत्ति के लिए बोली लगाएगा जिसके बारे में वह जानता हो कि वह उस व्यक्ति उस विक्रय में उस संपत्ति के क्रय करने के बारे में किसी विधिक असमर्थता के अधीन है

या ऐसी संपत्ति के लिए यह आशय रखकर बोली लगाएगा की ऐसी बोली लगाने से जिन बाध्यता ओं के अधीन वह अपने आप को डालता है उन्हें उसे पूरा नहीं करना है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि 1 माह तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दो सो रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।

आईपीसी की धारा 185 का विवरण Details of section 185 of IPC

लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्तावित की गई संपत्ति का अवैध श्रेया उसके लिए अवैध बोली लगाना इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है। इसके अनुसार, लोक सेवक के नाते लोक सेवक के विधु पूर्ण प्राधिकार में संपत्ति के किसी विक्रय में, जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति के निमित्त,

चाहे वह व्यक्ति वह स्वयं हो या कोई अन्य, या तो किसी संपत्ति का करें करेगा या किसी संपत्ति के लिए बोली लगाएगा, जिसके बारे में उसे ज्ञान हो कि वह व्यक्ति उस विक्रय में उस संपत्ति के क्रय करने के बारे में किसी विधिक असमर्थता के अधीन है,

या ऐसी संपत्ति के लिए इस आशय से बोली लगाएगा की ऐसी बोली लगाने से जिन भारतीय ताऊ के अधीन वह अपने आप को डालता है, ने उसे पूरा नहीं करना है, वह 1 मास तक के सादा या कठिन कारावास से, या दो सो रुपए तक के जुर्माने से, यह दोनों से, दंडित किया जाएगा।

किस धारा के अंतर्गत विक्रय लोक सेवक के विधि पूर्ण अधिकार द्वारा होना चाहिए। क्रेता बोली लगाने वाले को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि वह व्यक्ति जिस की ओर से वह संपत्ति क्रय करने वाला या बोली लगाने वाला है वह उस संपत्ति को प्रे करने में विधिक असमर्थता के अधीन है।

यदि ऐसा न हो तो अभियोजन पक्ष इस बात को साबित करने के लिए विधि द्वारा अब्द है कि क्रेटाया बोली लगाने वाला बोली के दायित्व को पूर्ण करने का आशय नहीं रखता था। इस धारा में क्योंकि संपत्ति शब्द का प्रयोग किया गया है,अतः इसका तात्पर्य सभी प्रकार की संपत्ति से है, चाहे मुहूर्त या अन्य।

इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय, जमानतीय और अशमनीय है, और यह प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट या प्रथम या द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

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साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 185 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

 कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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