आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता(order 7 rule 11 cpc) क्या है? पूरी जानकारी

नमस्कार दोस्तों 

आज हम आपसे बात करने वाले हैं कुछ सेल मामलों की यानी कि सिविल प्रक्रिया संहिता के कुछ मामूली से की किस सिविल प्रक्रिया संहिता में क्या क्या आर्डर होते हैं क्या रोल होते हैं और यह किस वक्त काम में ले जाता है इनका क्या महत्व होता है इन सब बातों के बारे में हम आज आपसे विस्तार से चर्चा करने वाले हैं वाद क्या होता है

प्लेंट क्या होता है वाद पत्र खारिज किया जाना क्या होता है इत्यादि के बारे में आज हम आपको विस्तार से वर्णन करने वाले हैं हम बात करने वाले हैं आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता के बारे में जो एक वाद पत्र को नामंजूर किए जाने के लिए यह प्रार्थना पत्र न्यायालय के समक्ष प्रतिवादी की तरफ से लगाया जाता है

अब आपको लगता है कि प्रतिवादी क्या होता है जो कोई भी व्यक्ति वाद पत्र प्रस्तुत करता है और उस वाद पत्र के अंदर जिन जिन व्यक्तियों को पक्षकार बनाया गया है उन सब को प्रतिवादी गण कहा जाता है और आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता का प्रार्थना पत्र सिर्फ प्रतिवादी ही लगा सकता है आओ हम अब विस्तार से इसकी चर्चा करते हैं।

आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता(order 7 rule 11 cpc) का विवरण?

आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता से क्या तात्पर्य है इसका मतलब यह है कि यह एक प्रार्थना पत्र होता है जोकि जब किसी व्यक्ति द्वारा न्यायालय के समक्ष वाद पत्र प्रस्तुत किया जाता है उस वाद पत्र के अंतर्गत जिन व्यक्तियों को पक्षकार बनाया जाता है उनको प्रतिवादी कहा कहा जाता है प्रतिवादी द्वारा या प्रतिवादी को भी यह अधिकार होता है

कि वह आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता का प्रार्थना पत्र न्यायालय के समक्ष पेश कर सकता है जो कि वाद पत्र को खारिज करने के लिए होता है रिजेक्शन ऑफ प्लांट इस प्रार्थना पत्र का उद्देश्य वादी के वाद को नामंजूर कर आना या न्यायालय द्वारा खारिज करवा देना ही होता है अमूमन जल्दी से वादी का वाद पत्र खारिज नहीं होता है लेकिन प्रतिवादी द्वारा अगर तर्क सही है तो न्यायालय द्वारा वाद पत्र को खारिज भी किया जा सकता है। किन आधारों पर वाद पत्र नामंजूर किया जा सकता है यकीन आधार पर स्वीकार किया जा सकता है इन बातों को भी हम पूर्ण रूप से चर्चा करेंगे।

वाद पत्र खारिज किया जाना (Rejection of Plaint)?

वाद पत्र खारिज किया जाना किन परिस्थितियों में वाद पत्र खारिज किया जाता है आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता वाद पत्र को नाम मंजूर या खारिज करवाने के लिए ही है सिविल प्रक्रिया संहिता में उन कानूनों का भी बताया गया है जिनके आधार पर न्यायालय द्वारा वाद पत्र खारिज किया जा सकता है।

यह आधार पूर्ण रूप से कानूनी है तथा इस संहिता के अंतर्गत नियम अंकित किए गए हैं जिन की सूची निम्न प्रकार है। सिविल प्रक्रिया संहिता के नियमों की पालना वाद पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करते समय ध्यान में रखना अति आवश्यक है अन्यथा न्यायालय द्वारा वाद पत्र को खारिज अस्वीकार या नामंजूर भी किया जा सकता है जो निम्न प्रकार से है।

आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता खारिज किया जाना वाद पत्र किन स्थितियों में नामंजूर किया जा सकता है?

7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता वाद पत्र किन स्थितियों में आदेश 7 नियम 11 के अनुसार खारिज या नामंजूर किया जा सकता है जो निम्न प्रकार से है

  1. वाद पत्र की सबसे महत्वपूर्ण ध्यान में रखने वाली बात यह है कि वादी द्वारा जब वाद पत्र प्रस्तुत किया जाता है तो वाद का कारण उचित रूप से प्रकट नहीं करता है तो वाद पत्र नामंजूर या खारिज या अस्वीकार किया जा सकता है।
  2. जहां वादी द्वारा वाद पत्र प्रस्तुत किया जाता है अगर वादी के अनुतोष के अनुसार न्याय शुल्क पूर्ण रूप से नहीं दिया गया है तो ऐसे में न्यायालय द्वारा न्याय शुल्क कमी पूर्ति मैं भी वाद को नामंजूर या स्वीकार किया जा सकता है।
  3. जहां वादी के वाद पत्र प्रस्तुत किया हो अगर न्यायालय को वाद पत्र में विधि द्वारा उचित नहीं लगता है तो भी वाद पत्र को खारिज या नामंजूर यह स्वीकार किया जा सकता है।
  4. वाद पत्र में वादी के द्वारा प्रस्तुत किया गया होता है जिसमें पूर्ण रूप से दस्तावेज ना हो या कोई ऐसा कारण प्रतीत ना हो कि जिससे वाद को चलाना आवश्यक ना हो इस स्थिति में भी वादी का वाद पत्र खारिज किया जा सकता है।वाद पत्र में उचित मूल्यांकन या उचीत न्याय शुल्क ना हो इसलिए भी वाद पत्र को खारिज किया जा सकता है।

इस प्रकार वादी का वाद पत्र नामंजूर किया जा सकता है माननीय न्यायालय के द्वारा इसलिए सिविल प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत जो कानूनों का उल्लेख किया है उनके आधार पर ही वाद पत्र प्रस्तुत होना चाहिए।

 

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वकील की क्यों आवश्यकता होती है?

न्यायालय के समक्ष अगर आपको वाद पत्र को खारिज करवाना है तो वकील की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है वाद पत्र हमेशा नामंजूर का प्रार्थना पत्र आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता प्रतिवादी की तरफ से लगाया जाता है जो कि एक अधिवक्ता के माध्यम से ही लगाई जा सकती है

प्रतिवादी की तरफ से जिस अधिवक्ता द्वारा पैरवी की जाती है उसी के द्वारा आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता का प्रार्थना पत्र पेश किया जाता है इसलिए इसके अंतर्गत वकील की अति आवश्यकता होती है वकील ऐसा नियुक्त होना चाहिए जो की दीवानी मामलों में पारंगत हो या बहुत से दीवाने मामले लड़ने में सफल रहा हो इस प्रकार का वकील नियुक्त होना चाहिए इसलिए वाद पत्र को नामंजूर कर आने के लिए वकील की बहुत आवश्यकता होती है।

Mylegaladvice ब्लॉग पर आने के लिए यहाँ पे ब्लॉग पढ़ने के लिए मैं आपका तह दिल से अभारी रहूंगा और आप सभी साथीयो दोस्तो का मैं बहुत बहुत धन्यवाद करता हु इस ब्लॉग के संबंध मे आपका कोई ही सवाल है जिसका जवाब जानने के आप इछुक है तो आप कमेंट बॉक्स मैं मूझसे पुछ सकते है।।

 

18 thoughts on “आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता(order 7 rule 11 cpc) क्या है? पूरी जानकारी”

    • सर किर्यदार पहले लोअर कोर्ट से ले कर हाइकोर्ट तक केस जीत गया अब मकान मालिक ने दुबारा लोअर कोर्ट में केस डाल दिया है जिसपर हमने कोर्ट Rull 7-11 में अपलिकासन लगाई है हमारी अपलिकस्न 7/11 ki manjur ho jayge

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      • 7/11 ke rejection par prtiwadi ko kya upchar hai yadi court order DJ ka hai,aur limitation kya hai, court revision ke lite samay Nahi Sena chahti hai aage ki prosisor men jaldi date de rahi hai to upchar kya hai?

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          • Plaint did land registration of 81, 46,900/ in civil suit for permanent injection on 8.34 acres of land in three part of registration but he says he paid 1,14,50,000/ out of record. He of his own decided court fee valuation 25000/ and deposited 500/. Respondent opposed and questioned as per registration amount 81,46,900/ @ 12% subject to 1.5 lac court fee should be deposited. Judge ordered to deposit 12% of 25000/ = 3000/. What Respondent should do ?

        • Sir,I have filed a civil suit for partition in 2015.court has issued a stay order to check sale and purchase of land during case but in spite of that order one of the dependants has sold a land which was under my possessions and the purchaser has captured the land.What should I do?B.K.Ray

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          • If the court has given a stay on that property, then how can the parties sell that property, if this has happened, then apply your application in the court in which the file is going on.
            For more information you can contact us

      • सर,वादी ने अगर दावा अधूरा पेश किया है , मतलब सह खातेदारों के जमीन के सभी खसरा नंबर का उल्लेख दावा में नहीं किया तो क्या 7/11 कि कार्यवाही हो सकती है क्या।

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  1. महोदय हमारी पुश्तैनी जमीन का तहसीलदार द्वारा निर्णय वर्ष 1993 मे हमारे पिताजी के पक्ष्य मे दिया जा चुका है फिर विरोधी पक्ष्य ने sdm के पास आवेदन किया किन्तु वह वर्ष 2001 मे उनका केस खारीस हो गया । वर्ष 2000 के मार्च मे हमारे पिताजी की मृत्य हो गई । अभी वर्ष 2020 के मार्च मे हमे पता चला कि जिस जमीन पर हम वर्ष 1965 से खेती करते या रहे है उसका 17 डिसमिल भाग भी बेच दिया । तब ऐसी स्थिति मे जाकर पता किया तो पता चला कि पिताजी का वर्ष 1993 के प्रकरण का सीमांकन व नामांकन होना था जो हम लोगों की अज्ञानता के कारण नहीं हो पाया है। यह बताने की कृपा करे कि 20 वर्ष बीत जाने से क्या भूमि का अधिकार प्राप्त हो सकेगा । तथा यह प्रकरण इस समय तहसीलदार के पास है और विरोधी पक्ष्य विलंबता का जिक्र कर केस को निरस्त करने हेतु आदेश 7 नियम 11 सहपठित धारा 151 व्य प्र। सं का जिक्र कर रहे है । कृपया मार्गदर्शन प्रदान करे हम आपके आभारी रहेंगे।

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  2. sir mera cashe h jisme pratiwadi ne 7/11 lagaya h mare cash me mera jo land h wo abhi ke khasre me gov.dikha raha h pr mare vakeel ne sansodhan lagaya h vadpatra ke li jisme pehle wo land awaadi tha lagataar 2001 tk meri registry 1921 ki h isme kya ho Sakta h

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  3. सर किर्यदार पहले लोअर कोर्ट से ले कर हाइकोर्ट तक केस जीत गया अब मकान मालिक ने दुबारा लोअर कोर्ट में केस डाल दिया है जिसपर हमने कोर्ट Rull 7-11 में अपलिकासन लगाई है हमारी अपलिकस्न 7/11 ki manjur ho jayge

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