SECTION 304 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 304 क्या है  What is section 304 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 304 के बारे में क्या होती है 304 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी धारा 304.  हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध के लिए दण्ड –  जो कोई ऐसा आपराधिक मानव वध करेगा, जो हत्या की कोटि में नहीं आता है, यदि वह कार्य जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई है, मृत्यु या ऐसी शरीरिक श्रति, जिससे मृत्यु होंना सम्भाव्य है, कारित करने के आशय से किया जाए, तो वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा; 

अथवा यदि वह कार्य इस ज्ञान के साथ कि उससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, किन्तु मृत्यु या ऐसी शरीरिक शती, जिससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, कारित करने के किसी आशय के बिना किया जाए, तो वह दोनों में से किसी भाति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जायेगा ।

आईपीसी धारा 304 का विवरण – Description of IPC Section 304 

यह धारा हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध के लिए दण्ड विहित करती है। यह आशय के आधार पर और ज्ञान के आधार पर कारित आपराधिक मानव वधो में विभेद करती है आशय के आधार पर कारित आपराधिक मानव वध को अधिक गम्भीर मानते हुए उसके लिए अधिक उपबंधित है ।

इस धारा के प्रथम भाग के अनुसार, जो कोई हत्या की कोटि में न आने वाला आपराधिक मानव वध करेगा, यदि वह कार्य जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई है मृत्यु या ऐसी शरीरिक शति, जिससे मृत्यु होने की सम्भावना है, कारित करने के आशय से किया जाय, तो वह आजीवन कारावास से, या दस वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।

इस धारा के द्वितीय भाग के अनुसार, यदि वह कार्य इस ज्ञान के साथ कि उससे मृत्यु कारित करने की सम्भावना है, किन्तु मृत्यु या ऐसी शरीरिक शति, जिससे मृत्यु कारित होने की सम्भावना है, कारित करने के किसी आशय के बगैर किया जाए, तो वह दस वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा ।

दूसरे शबड़ो में धारा 304 धारा 299 के द्वितीय और तृतीय खंडो के अंतर्गत कारित होने वाले तथा धारा 300 के अंतर्गत वर्णित पांचो अपवादों के अंतर्गत होने वाले आपराधिक मानव वध जो हत्या नहीं है, के लिए दण्ड विहित करती है । आपराधिक मानव वध जो हत्या नही है के अपराध को अंग्रजी विधि में मैंनस्लास्टर का नाम दिया गया है ।  

SECTION 304 IPC IN ENGLISH

According to section 304 of Indian penal code, Whoever commits culpable homicide not amounting to murder shall be punished with imprisonment for life, or imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine, if the act by which the death is caused is done with the intention of causing death, or of causing such bodily injury as is likely to cause death;

 

or with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, or with fine, or with both, if the act is done with the knowledge that it is likely to cause death, but without any intention to cause death, or to cause such bodily injury as is likely to cause death.

Whoever commits culpable homicide not amounting to murder shall be punished with imprisonment for life, or imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine, if the act by which the death is caused is done with the intention of causing death, or of causing such bodily injury as is likely to cause death;

Or with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, or with fine, or with both, if the act is done with the knowledge that it is likely to cause death, but without any intention to cause death, or to cause such bodily injury as is likely to cause death.

Offence

Punishment

  1. Culpable homicide not amounting to murder, If act by which the death is caused is done with intention of causing death, etc.
  2. If act is done with knowledge that it is likely to cause death, but without any intention to cause death, etc.
  1. Imprisonment for Life or 10 Years + Fine
  2. 10 Years or Fine or Both

Cognizance

Bail

Triable By

  1. Cognizable
  2. Cognizable
  1. Non-Bailable
  2. Non-Bailable
  1. Court of Session
  2. Court of Session

धारा 34 के साथ धारा 304 भाग 2 के अधीन दोषसिद्धि क्या सम्भव है  

राज्य बनाम अफराहिम शख। वाद  में कई अपराधियो के द्वारा विविध कार्य करते हुये पुर्व नियोजित योजना के अनुसार मृतक का पीछा किया गया, और भूमि पर पटक कर उसकी मृत्यु कारित की गई। उच्चतम न्यायालय के सक्षम यह प्रशन था कि धारा 34, जो सामान्य आशय से सम्बंधित सयुक्त दायित्व का उपबंध है,

के साथ क्या धारा 304 भाग 2, जो ज्ञान के आधार पर आपराधिक मानव वध के अपराध से सम्बंधित है, के अधीन दोषसिद्धि विधिमान्य है यह अभिनिर्धारित किया गया कि यह सही है कि धारा 304 भाग 2 ज्ञान से सम्बंधित है, आशय से नही जिसे इसी धारा के भाग 1 में अलग से लिखा गया है, परन्तु यह ज्ञान मृत्यु होने की सम्भावना का ज्ञान है ।क्या यह कहा जा सकता है कि जब तीन या चार व्यक्ति भारी लाठियो से किसी व्यक्ति पर प्रहार करते हैं, जिसमें से हर एक उसे गम्भीर शति कारित करने के सामान्य आशय से उस पर प्रहार कर रहा है,

और उनमें से प्रत्येक को यह ज्ञान है कि इस प्रकार की शति से मृत्यु होने की सम्भावना है, तो क्या मृत्यु हो जाने पर धारा 304 भाग 2 की आवश्यकता पूर्ण नहीं होती ? दिया यह कहा जा सकता है कि इस प्रकार का ज्ञान उनमें से हर एक के लिए सम्भव था, तो ऐसा कोई कारण नही है कि धारा 304 भाग 2 को धारा 34 के साथ पढ़ा नही जा सकता । समान्य आशय आपराधिक कार्य के सम्बंध में था,

अर्थात शति कारित करने के लिए था । यदि शति कारित करने का परिणाम मृत्यु हो, और प्रत्येक अभियुक्त को इस बात का ज्ञान हो कि ऐसे आपराधिक कार्य अर्थात शति कारित करना, के परिणाम स्वरूप मृत्यु होने की सम्भावना है, तो इस बात का कोई कारण नहीं दिखता कि हर एक को व्यतिगत रूप से दायी करने के लिए धारा 34 या धारा 35 धारा 304 भाग 2 के साथ पढ़ा न आए । उपयुक्त के कारण इसमें कोई संदेह नहीं कि धारा 304 भाग 2 को धारा 34 के साथ पढकर की गई दोषसिद्धि विधिमान्य है । 

साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 304 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

 कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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