पैरोल क्या है पैरोल कैसे ली जा सकती है What is parole how can parole be taken? 1 पूरी जानकारी

नमस्कार दोस्तों 

आज हम आपको एक ऐसी जानकारी देने जा रहे है।जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन कहि न कही महत्वपूर्ण है।हम आपको पैरोल के बारे में बताने जा रहे है पैरोल क्या होता है।पैरोल गिरफ्तार किए गए अभियुक्त को मिलती है।जिनको 7 वर्ष या इससे ज्यादा की न्ययालय द्वारा सजा सुनाई गई हो।

पैरोल कैसे ली जा सकती है।पैरोल किन आधार पर ली जा सजती है।पैरोल लेते वक्त किस किस की ओर क्यों जरुरत होती है।इन सभी बिंदुओ पर हम आज आपके साथ मेरा जो भी अनुभव है वो साझा करूँगा।ओर इन बिंदुओ ओर विस्तार से चर्चा करेंगे। आओ जानते हैं पैरोल के बारे में पैरों की क्या है।

पैरोल क्या है

 पैरोल  गिरफ्तारी से संबंधित है साधारण भाषा में मैं आपको समझाता हूं की पैरोल वह है जब किसी व्यक्ति को किसी अपराध में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी फरमाए जाती है उसके पश्चात न्यायालय में 24 घंटे के समय के अंदर मजिस्ट्रेट के समक्ष अभियुक्त को पेश किया जाता है

उसके पश्चात न्यायालय द्वारा अभियुक्त को कारागृह या जेल में भेज दिया जाता है उसके पश्चात मुकदमे की अभियुक्त को ट्रायल फेस करनी पड़ती है ट्रायल फेस करने के पश्चात अंतिम पड़ाव में न्याय जी द्वारा अगर अभियुक्त को सजा सुनाई जाती है 

जो कि 10 वर्ष की हो या आजीवन कारावास सुनाया जाता है। तो उस व्यक्ति की या  अभियुक्त की ओझा का कार्यकाल पूरा होने से पहले वह पैरोल ले सकता है पैरोल  पैरोल लेने में अभियुक्त कब कारागृह में व्यवहार बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। सजा की अवधि पूरी होने से पहले अभियुक्त अस्थाई रूप से पैरोल ले सकता है पैरोल लेने की क्या प्रक्रिया है इसके बारे में हम जानते हैं

 

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पैरोल लेने में वकील की भूमिका

 पैरों लेने के लिए वकील की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है अपराधी के या अभियुक्त के वकील (Advocate) द्वारा न्यायालय के समक्ष पैरोल आवेदन (Application) प्रस्तुत की जाती है  पैरोल गंभीर अपराध में भी ली जा सकती है

  1. यदि किसी व्यक्ति का मुकदमा न्यायालय में लंबित है तो उस व्यक्ति द्वारा पैरोल आवेदन उसी न्यायालय में वकील द्वारा दिया जाएगा  इस आवेदन पर न्यायालय द्वारा अभियुक्त को या अपराधी को पैरोल देने के आदेश दिए जा सकते हैं
  2. यदि किसी व्यक्ति का मुकदमा न्यायालय में लंबित नहीं है डिसाइड हो चुका है या उस व्यक्ति को न्यायालय द्वारा सजा सुना दी गई हो ऐसे में पैरोल आवेदन प्रशासन के समक्ष लगाना पड़ेगा या काराग्रह अध्यक्ष के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना पड़ेगा उनके द्वारा पैरोल आवेदन स्वीकार कर अभियुक्त को पैरोल दिया जा सकता है जिसमें अभियुक्त का व्यवहार काराग्रह में किस प्रकार रहता है यह एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रखता है।

पैरोल किन किन आधारों पर मिल सकती है

पैरोल लेने के लिए भी कुछ आधारों की व नियमों की आवश्यकता होती है। जिनको मध्य नजर रखते हुए न्ययालय या जेल प्रशासन द्वारा अभियुक्त को अस्थाई  पैरोल पर रिहा कर दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी ये कहा है कि जिन अभियुक्तों को लम्बी सजा हो चुकी है उन्हें अस्थाई पैरोल पर रिहा किया जाना चाइए।

अस्थाई पैरोल के अंतर्गत अभियुक्त को कुछ दिन के लिए पैरोल पर रिहा कर दिया जाता है।उसके पश्चात पैरोल की अवधि समाप्त होने के पश्चात अभियुक्त को जेल में या काराग्रह में वापस सरेंडर करना होता है।जिसकी सूचना जेलर को भी देनी होती है।अब हम देखते है पैरोल लेने के क्या आधार होते है।

  1.  यदि अभियुक्त के परिवार में कोई ऐसी घटना हो जाती है जेस की परिवार में किसी की सदस्य की म्रत्यु हो जाने पर अभियुक्त को पैरोल पर रिहा किया जा सकता है।
  2.  यदि अभियुक्त के घर  अभियुक्त की बेटी  का विवाह समारोह है तो अभियुक्त पैरोल के लिए  प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है क्योंकि बेटी के विवाह में माता पिता द्वारा ही कन्यादान की रस्म पूरी की जाती है और अभियुक्त को पैरोल पर रिहा किया जा सकता है।
  3.  यदि अभियुक्त के घर में कोई समारोह या कोई ऐसी दुर्घटना घट जाती हो जो अविश्वसनीय तो अभियुक्त पैरोल के लिए आवेदन या प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर पैरोल की गुहार लगा सकता है ऐसी स्थिति में अभियुक्त को पैरोल पर अस्थाई रूप से रिया किया जा सकता है।
  4.  यदि अभियुक्त अपने माता-पिता का इकलौता वारिस  और माता-पिता का स्वास्थ्य अत्यधिक रूप से खराब हो उनके इलाज के लिए या उनको डॉक्टर के दिखाने के लिए अभियुक्त पैरोल के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है ऐसी स्थिति में अभियुक्त को पैरोल पर रिहा किया जा सकता है
  5. यदि अभियुक्त किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जो कि कारागृह के दवा खाने में उसका इलाज होना संभव हो ऐसी स्थिति में अभियुक्त अपना इलाज बाहर अच्छे हॉस्पिटल में करवाने के लिए पैरोल के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है ऐसी स्थिति में अभियुक्त को पैरोल पर रिहा किया जा सकता है।
  6.  यदि अभियुक्त अपनी संपत्ति  का बंटवारा कर अपने बच्चों को बांटना चाहता है ताकि भविष्य में बच्चों के बीच आपसी मतभेद ना रहे इसलिए अभियुक्त पैरोल के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है ऐसी स्थिति में अभियुक्त को पैरोल पर रिहा किया जा सकता है
  7.  यदि अभियुक्त को अपनी संपत्ति का बेचान करना है या किसी नातेदार के अपनी संपत्ति का स्थानांतरण करवाना है तो ऐसी स्थिति में भी अभियुक्त पैरोल के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है और अभियुक्त को पैरोल पर रिहा किया जा सकता है
  8.  यदि अभियुक्त का या उसके किसी रिश्तेदार का कोई राज्य कार्य ऐसा है जो व्यक्ति के बिना नहीं हो सकता वैसे स्थिति में भी अभियुक्त पैरोल के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है और पैरोल पर अभियुक्त को रिहा किया जा सकता है।
  9.  यदि अभियुक्त  निसंतान है तो अभियुक्त अपनी धर्मपत्नी की सहमति से संतान प्राप्ति के लिए पैरोल आवेदन यह प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है ऐसी स्थिति में अभियुक्त को पैरोल पर रिहा किया जा सकता है।
  10. यदि अभियुक्त का बैंक संबंधित कोई कार्य रुका हुआ है जो उसके बिना पूरा नहीं हो सकता तो ऐसी स्थिति में भी अभियुक्त पैरोल प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है और अभियुक्त को पैरोल पर रिहा किया जा सकता है

पैरोल मिलने के पश्चात अभियुक्त को किन-किन नियम व शर्तों का पालन करना पड़ता है

  1.  पैरोल पर रिहा होने वाले अभियुक्त को घर जाने के पश्चात समाज व मोहल्ले में एक अच्छे नागरिक की तरह जीवन यापन करेगा।
  2. पैरोल पर रिहा होने वाले अभियुक्त को घर जाने के पश्चात ना तो मदिरापान करेगा ना कोई ऐसा मादक पदार्थ का सेवन करेगा।
  3. पैरोल पर रिहा अभियुक्त द्वारा किसी भी तरह के कोई गलत कार्य नहीं करेगा जैसे कि वेश्याओं के स्थान पर जाना इत्यादि ऐसे कोई कार्य नहीं करेगा।
  4. पैरोल पर रिहा अभियुक्त द्वारा उसे उसी स्थान पर रहना होगा जहां काव्य मूलनिवासी होगा या प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया उसके अंतर्गत जो उसका पता होगा वही उसको रहना होगा वह स्थान छोड़कर वह कहीं नहीं जाएगा
  5. पैरोल पर रिहा हुए अभियुक्त को कानून की पूर्ण रूप से पालना करनी होगी ना कोई कानून का उल्लंघन  करेगा।
  6. पैरोल पर रिहा हुए अभियुक्त देर रात तक बाहर नहीं घूमेगा वह स्वयं के घर पर रहेगा।
  7. पैरोल पर रिहा हुए अभियुक्त किसी अन्य अभियुक्त जो कि  जेल में है उससे कोई संपर्क करने की कोशिश नहीं करेगा नाही उसे कोई समाचार देगा ना उसे कोई पत्र लिखेगा इत्यादि।
  8. पैरोल पर रिहा हुए अभियुक्त ना ही कोई हथियार रखेगा ना ही कोई हथियार खरीद करेगा
  9. पैरोल पर रिहा हुए अभियुक्त द्वारा ना ही किसी जानवर का शिकार करेगा।
  10. पैरोल पर रिहा हुए अभियुक्त समाज में या मोहल्ले में कोई लड़ाई झगड़ा नहीं करेगा या कोई शांति भंग जैसा कार्य नहीं करेगा जिससे समाज को लोगों को कोई समस्या का सामना करना पड़े ऐसा कोई कृत्य अभियुक्त नहीं करेगा।
  11. पैरोल पर रिहा हुए अभियुक्त जिस कारण वश पैरोल के लिए वह जेल से अस्थाई रूप से बाहर आया है उस काम के लिए वह सूर्य अस्त तक ही बाहर रहेगा सूर्यास्त होने के पश्चात उसे घर में ही रहना होगा।
  12. पैरोल पर रिहा हुए अभियुक्त द्वारा कोई गैरकानूनी काम नहीं करेगा ना ही कोई सट्टेबाजी कोई जुवा आदि ऐसे कृत्य करेगा।
  13. पैरोल पर रिहा हुए अभियुक्त द्वारा किसी अन्य अपराधी से किसी प्रकार से नहीं मिलेगा ना ही किसी प्रकार से उनसे संपर्क रखेगा।
  14. तोर और परिया हुए अभियुक्त अगर  अविवाहित है और विवाह करना चाहता है तो उससे पहले उसे न्यायालय की अनुमति लेना अति आवश्यक होगी।

इन सब नियमों व कानूनों का पालन करना अति आवश्यक होता है इन्हीं के आधार पर अभियुक्त को पैरोल प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है और अस्थाई रूप से पैरोल पर छोड़ा जाता है

यदि पैरोल पर रिहा हुए अभियुक्त  द्वारा इन नियमों व शर्तों का पालन नहीं किया जाता है तो अगली बार अभियुक्त को पैरोल प्रार्थना पत्र अस्वीकार फरमाया जाकर अभी उसको पैरोल पर नहीं छोड़ जाता है।

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