SECTION 374 IPC IN HINDI
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 374 के बारे में क्या होती है 374 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
आईपीसी धारा 374 विधिविरुद्ध अनिवार्य श्रम –
जो कोई किसी व्यक्ति को उस व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध श्रम करने के लिये विधिविरुद्ध तौर पर विवश करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों, से दण्डित किया जायेगा ।
आईपीसी धारा 374 का विवरण –
विधिविरुद्ध अनिवार्य श्रम इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है। इसके अनुसार, जो कोई किसी व्यक्ति को उस व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध श्रम करने के लिये विधिविरुद्ध तौर पर विवश करेगा, वह एक वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जायेगा।
अभियुक्त के द्वारा पीड़ित को श्रम करने के लिये विधिविरुद्ध तौर पर विवश किया जाना चाहिये, और ऐसा पीड़ित की इच्छा के विरुद्ध किया जाना आवश्यक है। पीड़ित नर भी हो सकता है और नारी भी, और उसकी आयु के बारे में कोई बन्धन नहीं है। यह उपबंध श्रम करने के लिये विवश करने को रोकने के लिये आशयित है ।
गुजरात राज्य बनाम माननीय गुजरात उच्च न्यायालय में उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि धारा 53 के अधीन कठिन कारावास भुगत रहे अपराधी पर कठोर श्रम अधिरोपित करना वैध है। परन्तु सादा कारावास भुगत रहे अपराधियों, विचाराधीन कैदियों या निवारक आय के लिये कारागृह में रखे गये बंदियों के विरुद्ध कठोर श्रम अधिरोपित नहीं किया जा सकता।
इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय, जमानतीय और शमनीय है, और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
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निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 374 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं
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