आईपीसी की धारा 154 क्या है SECTION 154 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

SECTION 154 IPC IN HINDI

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 154  के बारे में क्या होती है 154  धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी धारा 154 उस भूमि का स्वामी या अधिभोगी, जिस पर विधि – विरुद्ध जमाव किया गया है –

जब कभी कोई विधिविरुद्ध जमाव या बल्वा हो, तब जिस भूमि पर ऐसा विधिविरुद्ध जमाव हो या ऐसा बल्वा किया जाए, उसका स्वामी या अधिभोगी और ऐसी भूमि में हित रखने वाला या हित रखने का दावा करने वाला व्यक्ति एक हजार रुपए से अनधिक जुर्माने से दण्डनीय होगा,

यदि वह या उसका अभिकर्ता  या प्रबन्धक यह जानते हुए कि ऐसा अपराध किया जा रहा है या किया जा चुका है या इस बात का विश्वास करने का कारण रखते हुए कि ऐसे अपराध का किया जाना सम्भाव्य है, उस बात को अपनी शक्ति – भर शीध्रतम सूचना निकटतम पुलिस थाने के प्रधान आफिसर को न दे और उस दशा में, जिसमें कि उसे या उन्हें यह विश्वास करने का कारण हो कि यह लगभग किया ही जाने वाला है,

अपनी शक्ति भर सब विधिपूर्ण साधनो का उपयोग उसका निवारण करने के लिए नहीं करता या करते और उसके हो जाने पर अपनी शक्ति- भर सब विधिपूर्ण साधनो का उस विधिविरुद्ध जमाव को बिखरने या बल्वे को दबाने के लिए उपयोग नहीं करता या करते । 

आईपीसी धारा 154 का विवरण – 

यह धारा उस भूमि के स्वामी या अधिभोगी के आपराधिक दायित्व को निर्धारित करती है जिस पर विधिविरुद्ध जमाव या बल्वा किया गया है। इसके अनुसार, किसी भूमि पर विधिविरुद्ध जमाव या बल्वा होने पर उस भूमि का स्वामी, या अधिभोगी और ऐसी भूमि में हित रखने वाला या हित रखने का दावा करने वाला व्यक्ति, एक हजार रुपये तक के जुर्माने से दंडनीय होगा।

पर ऐसा व्यक्ति दंडनीय तभी होगा जब उसे या उसके अभिकर्ता या प्रबन्धक को इस बात का ज्ञान हो कि ऐसा अपराध किया जा रहा है या किया जा चुका है या उसके पास इस बात का विश्वास करने का कारण होते हुए कि ऐसे अपराध के किए जाने की सम्भावना है, उस बात की अपनी शक्तिभर शीघ्रतम सूचना वह निकटतम पुलिस थाने के प्रधान आफिसर को न दे और उस दशा में, जिसमें कि उसे या उन्हें यह विश्वास करने का कारण हो कि यह लगभग किया ही जाने वाला है,

वह अपनी शक्तिभर सब विधिपूर्ण साधनो का उपयोग उसका निवारण करने के लिए नहीं करता या नहीं करते और उसके हो जाने पर अपनी शक्तिभर सब विधिपूर्ण साधनो का उस विधिविरुद्ध जमाव को बिखेरने या बल्वे को दबाने के लिए उपयोग नहीं करता या नहीं करते।

इस अपराध के सम्बन्ध में जो तीन बातें  ध्यान देने योग्य है वे है विधिविरुद्ध जमाव या बल्वे की सूचना न देना, उसके निवारण का प्रयत्न न करना और उसे बिखेरने या दबाने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग न करना। अभिव्यक्ति ‘ ऐसी भूमि में हित रखने वाला या हित रखने का दावा करने वाला ‘ को किरायेदारों, बंधकों और उतरभोगियो को लागू माना गया है।

जहां पुलिस के एक उप- निरीक्षक ने एक भू- धारक को उसके कब्जे में एक विवादग्रस्त भूमि पर शांति भंग होने की आशंका के सम्बंध में एक चेतावनी नोटिस भेजा, और उसे उस भूमि का उपभोग न करने की सलाह दी,

तो कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि यह लगभग एक व्यादेश था जो उपनिरीक्षक ने जारी किया, जिसके लिए विधि ने उसको कोई इस प्रकार की शक्ति प्रदान नहीं की थी, और फलतः चुंकि इस धारा ने उप- निरीक्षक को ऐसा कुछ करने के लिए प्राधिकृत नहीं किया था, अतः इस आदेश को अभिखण्डित कर दिया गया। 

इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय, जमानतीय और अशमनीय है, और यह महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम या द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। 

 

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साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 154 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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