आदेश 6 नियम 17 क्या है (aadesh 6 niyam 17) पूरी जानकरी?

नमस्कार दोस्तो

आज हम बात करने जा रहे हैं आदेश 6 नियम 17 की क्या है आदेश है और नियम 17  सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 6 और नियम 17 मैं अभी वचन का संशोधन के संबंध में बताया गया है पक्षकारों द्वारा दावा/जवाब दावा मैं संशोधन हेतु आदेश 6 नियम 17 का प्रार्थना पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है आओ देखते हैं इसकी विस्तार से चर्चा करते हैं।

आदेश 6 नियम 17 क्या है?

आदेश 6 नियम 17 से तात्पर्य है अभिवचन से मतलब वाद पत्र या लिखित कथन होता है पक्षकारों द्वारा अभी वचन में या वाद पत्र में या जवाब दावे में संशोधन के लिए आदेश 6 नियम 17 का प्रार्थना पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है।

आदेश 6 नियम 17 का विवरण?

आदेश 6 नियम 17 किसी भी वाद पत्र में संशोधन के लिए यह प्रार्थना पत्र लगाया जाता है न्यायालय में दोनों में से किसी भी पक्ष कार को कार्यवाही यों के किसी भी प्रक्रम में अनुज्ञा दे सकेगा

कि वह अपने अभि वचनों को ऐसी रीति से और ऐसे निबंधों पर जो न्याय संगत हो अपने अभि वचनों के परिवर्तित या संशोधित करने के लिए अन्य अज्ञात कर सकेगा और वह सभी संशोधन किए जाएंगे जो दोनों पक्षकारों के बीच विवाद के वास्तविक प्रश्न के  अवधारण के प्रयोजन के लिए आवश्यक हो।

6 नियम 17 से तात्पर्य है कि न्यायालय में जब किसी पक्ष कार द्वारा किसी पक्ष कार द्वारा वाद पत्र पेश किया जाता है तो वाद पत्र पेश करने वाले को वादी कहा जाता है और उसमें जिन को पक्षकार बनाया जाता है उन्हें प्रतिवादी कहा जाता है

न्यायालय में दोनों में से किसी भी पक्ष कार को कार्यवाही यों के किसी भी प्रक्रम में अनुज्ञा दे सकेगा कि वह अपने अभि वचनों को ऐसी रीति से और ऐसे निबंधों पर जो न्याय संगत हो

अपने अभि वचनों के परिवर्तित या संशोधित करने के लिए अन्य अज्ञात कर सकेगा और वह सभी संशोधन किए जाएंगे जो दोनों पक्षकारों के बीच विवाद के वास्तविक प्रश्न के  अवधारण के प्रयोजन के लिए आवश्यक हो।

आदेश 6 नियम 17 का प्रारूप?

 

न्यायालय सिविल न्यायाधीश ( वरिष्ठ खंड)

जिला ……. 

 

वाद संख्या……..सन…..

तारीख पेशी

               

वादी का नाम    बनाम   प्रतिवादी का नाम

प्रार्थना पत्र अंतर्गत आदेश 6 नियम 17 सहपाठी धारा 151 व्यवहार प्रक्रिया संहिता

 

महोदय,

प्रार्थना पत्र प्रतिवादी की ओर से निम्न प्रकार प्रस्तुत है

 

  1. यह की वादी ने एक वाद प्रतिवादी के विरुद्ध वास्ते बेदखली मकान/दुकान का युक्ति युक्त एवं सद्भाव पूर्वक आवश्यकता के आधार पर प्रस्तुत कर रखा है जिसमें प्रतिवादी ने अपना जवाब दावा प्रस्तुत कर दिया है और आगामी पेसी दिनांक……….वास्ते मुकर्रर है
  2. यह कि जवाब दावा प्रस्तुत करने के बाद वादी को एक अन्य मकान/दुकान का खाली कब्जा प्राप्त हो गया है जिस पर प्रतिवादी ने कब्जा प्राप्त कर लिया है वादी ने यह दुकान अपने एक अन्य किराएदार श्री………………के विरुद्ध न्यायालय में दावा करके ज्ञापित प्राप्त करके हासिल किया है अतः वादी के निजी आवश्यकता और समाप्त हो गई है अतः प्रतिवादी के अपने जवाब दावा के पद संख्या……….के आगे और जोड़ना चाहता है जिसकी अनुमति प्रदान कराई जाना अति आवश्यक एवं न्याय संगत है।
  3. यह कि उक्त दावा करने के बाद वादी को अपने निजी युक्तियुक्त एवं सद्भावना की आवश्यकता हेतु एक अन्य दुकान का खाली कब्जा प्राप्त हो गया है वादी ने इस दुकान का कबजा अपने अन्य किराएदार श्री………………के विरुद्ध न्यायालय में दावा करके कब्जा प्राप्त किया है अतः वादी को प्रतिवादी के पास किराए सुधा दुकान की कतई आवश्यकता नहीं रही है।
  4. यह की उक्त संशोधन से मुकदमे का निर्णय प्रभावी ढंग से हो सकेगा और इससे वादी के हक पर कोई कुठाराघात भी नहीं होगा।

                           अतः प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर निवेदन है कि प्रतिवादी का प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाकर प्रतिवादी को अपने जवाब दो में उपरोक्त चंदन के जरिए अतिरिक्त कथन जोड़ने जाने की आज्ञा प्रदान करने की कृपा करें।

                                                                                                              वकील /प्रतिवादी 

दिनांक 

स्थान 

                                                                        जरिए अधिवक्ता 

 

 

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