नमस्कार दोस्तो आज मैं इस लेख मैं महिलाओं से संबंधित अधिकारों की बात करने जा रहा हु।जिसमे मेरा जो अनुभव है वो भी आपके साथ साझा करूँगा। हमारे देश और समाज मे महिलाएं शिक्षित होते हुए भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं है।
आज हमारे देश व समाज की महिलाएं बहुत अच्छा देश व समाज का नाम कर रही है।ऊचाइयों को छू रही है ।हमारे देश की महिलाएं हर क्षेत्र मे देश व समाज का सिर गौरव से ऊंचा कर दिया है।लेकिन फिर भी आज भी महिलाओं के साथ कई प्रकार के अत्याचार,अन्याय,ब्लात्कार,
शोषण जैसी घटनाएं होती रहती है।इनमे कोई आज तक कोई कमी नही आयी है। कई महिलाएं तो अपने अधिकारों के बारे मे जानकारी भी नही होती है।
यह लेख लिखने का उद्देश्य यही है ओर मैं एक छोटा सा प्रयास कर रहा हु की मेरे द्वारा दी गई जानकारी से मेरे की देश की प्रत्येक महिला को अपने अधिकारों की जानकारी हो मैं महिलाओं से जुड़े सभी कानूनी अधिकारों की जानकारियों का विस्तार से वर्णन करूँगा।कुछ क़ानूनी बिंदुओ पर भी हम बात करेंगे।।कुछ इस प्रकार बताये गए है महिलाओं के अधिकार जो निम्न रूप से आपके सामने प्रस्तुत है।
महिलाओं के कानूनी अधिकारो का वर्णन
- शादीशुदा महिला या अपने साथ हो रहे शोषण को घरेलू हिंसा के अंतर्गत शिकायत दर्ज करवाकर अपने उसी घर मे रहने का अपना अधिकार पा सकती है। जहां वह महिला पहले से निवास कर रही हो।
- अगर किसी महिका के बिना सहमती के उसे खाते से का इस्तेमाल किया जा रहा है तो कानून के द्वारा उसे रोकने का अधिकार प्राप्त है।
- इस कानून के अंतर्गत महिला को घर का बंटवारा करवा सकती है। ओर उसे उसी घर मे रहने का अधिकार मिल जाता है।
- अगर महिला विवाहित हो तो मानसिक व शारिरिक शोषण हो रहा हो व अपने बच्चे की कस्टड़ी का मुवावजा माँगने की अधिकारी है।
- अगर महिला घरेलू हिंसा से पीड़ित है तो।वह संरक्षण अधिकारी व सेवा प्रदाता को शिकायत कर सकती है।नही तो न्ययालय में खुद गुहार लगा सकती है अपना पक्ष रखने का उसे अधिकार होता है। इसके लिए वकील लेकर आना कोई जरूरी नही होता।अपनी समस्या के निदान के लिए वह न्ययालय में खुद भी जा सकती है।
- अगर कोई महिला अपने ससुराल पक्ष से दहेज़ के लिए प्रताड़ना सहन कर रही है तो। दहेज प्रताड़ना कानून बना हुआ है।न्ययालय मैं इसके लिये भी गुहार लगा सकती है।
- शादीशुदा महिला हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार अपने पति से तलाक़ के सकती है।जिनकी परिस्थितिया ऐसे है पत्नी होते हुए भी दूसरी शादी करने पर विवाह संबंध से संतुष्ट ना होने पर धर्म परिवर्तन करने पर,यदि अगर पति व पत्नी एक दूसरे से 1 वर्ष से अलग अलग रहे रहे हो।या कोई पति गंभीर बीमारी से पीड़ित हो।
- तलाक के बाद महिला अपना स्त्रीधन ओर गुजाराभत्ता पाने की भी अधिकारी होती है।जो न्यायालय द्वारा सबूतों के आधार पर उसका फैसला कर दिया जाता है।
- अपने बच्चे की कस्टडी पाने का पूर्ण रूप से अधिकारी होती है महिला न्ययालय में याचिका दायर करके वह कस्टडी प्राप्त कर सकती है।
- अगर पति की म्रत्यु या तलाक के बाद बच्चों के संरक्षण की अधिकारी होती है।
गिरफ्तारी के संबंध में महिलाओं के अधिकार
महिलाओं के गिरफ्तारी के संबंध में भी बहुत से अधिकार बताये हुए है।जिनसे भी आज तक हमारे समाज की बहुत सी महिलाएं वंचित है।
- अगर कोई लोक सेवक या पुलिस अधिकारी या कानून की नजर मैं कोई महिला अपराधी है । तो उसे गिरफ्तार करने से पहले पुलिस अधिकारी द्वारा महिला को गिरफ्तारी का कारण बताया जाए।
- अगर कोई लोक सेवक या पुलिस अधिकारी या कानून की नजर मैं कोई महिला अपराधी है । तो उसे गिरफ्तार करते समय हथकडी नही लगायी जाए। हथकडी सिर्फ माननीय न्यायालय के आदेश पर ही लगायी जा सकती है।
- महिलाओं के पास यह भी अधिकार होता है । गिरफ्तारी के समय वह अपने वकील से बात कर सकती है या उसे बुला सकती है।
- अगर किसी महिला की गिरफ्तारी हो रही है तो अगर वो वकील करने में असमर्थ है तो मुफ्त विधिक सहायता की मांग कर सकती है।
- अगर किसी महिला को गिरफ्तार करना हो तो।कोई पुलिस अधिकारी उस महिला के शरीर को नही छुएगा
- जब तक कोई महिला पुलिस अधिकारी साथ मैं ना हो।
- दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 46 मैं बताया गया है कि किसी महिला को सुबह 6 बजे से पहले ओर शाम 6 बजे के बाद गिरफ्तार नही कर सकती है। असाधारण परिस्थितियों के सिवाय।।अगर कुछ असाधारण परिस्थितिया होती है तो महिला पुलिस अधिकारी लिखीत रिपोर्ट करके प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की अनुज्ञा प्राप्त करेगी।जिस मजिस्ट्रेट के क्षेत्राधिकार में अपराध किया गया हो।
- कोई भी लोक सेवक या पुलिस अधिकारी किसी महिला को गवाह के लिए पुलिस स्टेशन आने के लिए नही बुला सकता ।जरूरत पड़ने पर पुलिस अधिकारी उस महिला के घर जाकर पूछताछ कर सकता है। लिव इन रिलेशनशिप के संबंध में महिलाओं के अधिकार
हमारे समाज या देश में बहुत सी महिलाएं लिव इन रिलेशनशिप मैं रहती है। भारतीय कानून में उनको भी बहुत से अधिकार दिए हुए है। लिव इन रिलेशनशिप के संबंधों के दौरान अगर जीवनसाथी द्वारा मानसिक व शारिरिक प्रातड़न की जाती है तो महिला घरेलू हिंसा कानून की सहायता ले सकती है।
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हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार महिलाओं के अधिकार
हमारे समाज मे हिन्दू विवाह अधिनियम को लेके भी बहुत से महिलाओं अधिकार बताये है। हिन्दू मैरिज ऐक्ट 1955 की धारा 27 मैं बताया गया है कि कोई भी महिला धारा 27 के तहत पति व पत्नी दोनों की जितनी भी संपत्ति है उसके बंटवारे की मांग पत्नी कर सकती है। ओर पत्नि का स्त्री धन पर भी पूरा अधिकार होता है।
मुस्लिम महिलाओं के अधिकार
महिलाओं के मामले मे महिलाओं को बहुत से अधिकार प्राप्त है ।हिन्दू महिलाओं के साथ साथ अन्य समुदायों की महिलाओं के भी अधिकार होते है।मुस्लिम महिला भी दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत गुजारा भत्ता पाने की अधिकारी है।वह पति से जब तक गुजारा भत्ता पाने की अधिकारी है जब तक कि पति दूसरी शादी नही कर लेता ।
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