SECTION 315 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 315 क्या है What is section 454 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा  के 315 बारे में क्या होती है 315 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी धारा 315 शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य –

 जो कोई किसी शिशु के जन्म से पूर्व कोई कार्य इस आशय से करेगा कि उस शिशु का जीवित पैदा होना तदद्वारा रोका जाए या जन्म के पश्चात तदद्वारा उसकी मृत्यु कारित हो जाए, और ऐसे कार्य से उस शिशु का जीवित पैदा होना रोकेगा,

या उसके जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु कारित कर देगा, यदि वह कार्य माता के जीवन को बचाने के प्रयोजन से  सद्भावपूर्वक नहीं किया गया हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा । 

आईपीसी धारा 315 का विवरण Details of IPC Section 315

शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य इस धारा के अधीन दण्डनीय अपराध है इसके अनुसार, जो कोई इस आशय से किसी शिशु के जन्म से पूर्व कोई कार्य करेगा कि उस शिशु का जीवित पैदा होना उस कार्य द्वारा रोका जाए,

या जन्म के पश्चात उस कार्य द्वारा उसकी मृत्यु कारित हो जाए, और ऐसे कार्य से उस शिशु का जीवित पैदा होना रोकेगा, या उसके जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु कारित कर देगा, यदि वह कार्य माता के जीवन को बचाने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक नहीं किया गया हो तो वह दस वर्ष तक के सादा या कठिन करावस्से, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।

यह धारा अभियुक्त के द्वारा या तो किसी शिशु के जन्म से पूर्व किए गए कार्य पर लागू  होती है उस कार्य को करते समय अभियुक्त का आशय उस कार्य द्वारा या तो शिशु के जीवित पैदा होने को रोकना होना चाहिए या शिशु के जन्म से पश्चात उसकी मृत्यु कारित हो जाए ।

अभियुक्त के कार्य से वास्तव में शिशु का जीवित पैदा होना रुकना चाहिए या उसके जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु कारित होनी चाहिए । यदि अभियुक्त यह साबित कर दे कि उसने यह कार्य माता के जीवन को बचाने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक किया था

, तो इस धारा के अधीन उसकी दोषसिद्धि नहीं की जा सकती । अभियुक्त के विरुद्ध आरोप को साबित करने का भार अभियोजन पक्ष पर है, और यदि वह अपने दायित्व में विफल रहता है तो मात्र सन्देह के आधार पर अभियुक्त को दंडित नहीं किया जा सकता । 

इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय, अजमानतीय और अशमनीय है, और यह सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है । 

साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 315  आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

 कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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