आईपीसी की धारा 110 क्या है What is section 110 of IPC
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा के 110 बारे में क्या होती है 110 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
आईपीसी धारा 110 दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है IPC Section 110 Punishment for abetment if the person abetted acts with an intention other than the intention of the abettor
आईपीसी की धारा 110 के अनुसार जो कोई किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति ने दुष्प्रेरक के आशय या ज्ञान से भिन्न आशय या ज्ञान से वह कार्य किया हो, तो वह उसी दण्ड से दण्डित किया जाएगा, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है, जो किया जाता यदि वह कार्य दुष्प्रेरक के ही आशय या ज्ञान से, न कि किसी अन्य आशय या ज्ञान से किया जाता ।
SECTION 110 IPC IN ENGLISH
According to section 110 of Indian penal code, Whoever abets the commission of an offence shall, if the person abetted does the act with a different intention or knowledge from that of the abettor, be punished with the punishment provided for the offence which would have been committed if the act had been done with the intention or knowledge of the abettor and with no other.
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable |
---|---|---|---|---|
Abetment of any offence, if the person abetted does the act with a different intention from that of the Abettor | Same As Offence | Same As Offence | Same As Offence | Same As Offenc |
आईपीसी धारा 110 का विवरण Details of IPC Section 110
यह धारा यह सिद्धांत प्रतिपादित करती है कि जो कोई किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है तो यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय या ज्ञान से भिन्न आशय या ज्ञान से वह कार्य करे, तो वह उसी दंड से दंडनीय है जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है जो किया जाता है यदि वह कार्य दुष्प्रेरक के ही आशय या ज्ञान से, न कि किसी अन्य आशय या ज्ञान से किया जाता ।
दूसरे शब्दों में, दुष्प्रेरक और दुष्प्रेरित के आशय या ज्ञान में भिन्नता, जहां तक दुष्प्रेरक के दायित्व की बात है, महत्वपूर्ण नही है, किन्तु इसमें दुष्प्रेरित कार्य कारित किया गया होना चाहिए । यह धारा संहिता की धारा 109 का संपूर्ण करती है दुष्प्रेरित व्यक्ति का दायित्व इस धारा से प्रभावित नहीं होता । इस धारा को धारा 108 के स्पष्टीकरण 3 के साथ पढ़ा जाना चाहिए ।
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