एनडीपीएस (NDPS) एक्ट क्या है
हेलो दोस्तों आप सभी का आज के इस लेख में स्वागत करता हूं आज के इस लेख में एनडीपीएस (NDPS) एक्ट क्या है, नारकोटिक्स एक्ट क्या है जिसके तहत किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी दोषी पाए जाने पर कितनी होगी सजा।
इन सभी सवालों से जुड़ी सभी जानकारियों को आपके सामने इस आर्टिकल के जरिए प्रस्तुत करने जा रहे हैं
कुछ ड्रग्स और पदार्थ ऐसे हैं जिन का उत्पादन और कारोबार जरूरी है अर्थात एक सीमा और नियमों के भीतर ही रह कर यह सब करने की मंजूरी दी जाती है एनडीपीएस एक्ट में अभी तक तीन बार बदलाव भी हुए हैं
हर रोज आप सुनते हैं कि चरस, गांजा और तमाम नशीले पदार्थों के नाम पर अखबारों में इन से जुड़ी खबरें लगातार छपती रहती हैं शहरों में नशा छुड़ाने के पोस्टर दीवारों पर चिपकी रहती हैं
सरकार ने इन नशीले पदार्थों का सेवन रोकने के लिए सख्त से सख्त कानून बनाए गए हैं लेकिन फिर भी इसका बाजार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है गाजा शब्द फिर एक बार सुर्खियों में है क्या कहता हैं सरकार द्वारा बनाया गया नारकोटिक्स एनडीपीएस कानून किस तरह से काम करता है ?
एनडीपीएस (NDPS) एक्ट 1985 के तहत इसकी स्थापना हुई थी यह जाहिर तौर पर किसी भी नशीले पदार्थ की रोकथाम के लिए बनाई गई थी वह चाहे नशे का उत्पादन हो
या नशीली पदार्थ का स्टोरेज हो या नशीली पदार्थों की बिक्री हो या फिर नशीले पदार्थ का ट्रांसपोर्ट करना हो यह एनडीपीएस एक्ट हर तरफ तरफ तरह के नशे से जुड़ी एक्टिविटी को रोकने का काम करती है
तो आइए जानते है क्या है एनडीपीएस कानून और इसके तहत होने वाली सजा व धाराएं क्या क्या है
हमारे साथ ऐसे ही अंत तक बने रहिए जिससे की आपको जानने में आसानी हो की एनडीपीएस एक्ट क्या है ?
एनडीपीएस (NDPS) एक्ट क्या है ? (NDPS ACT KYA HAI) WITH FULL FORM
NDPS – NARCOTIC DRUGS AND PSYCHOTROPIC SUBSTANCE ACT 1985
एनडीपीएस – स्वापक औषधि और मन प्रभावी पदार्थ अधिनियम (1985)
भारतीय संसद ने साल 1985 में नशीले पदार्थों को बेचने बनाने और सेवन करने वाले को लेकर नारकोटिक्स ड्रग्स साइकॉट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 एनडीपीएस पारित किया था नारकोटिक्स का अर्थ नींद से है और साइकॉट्रॉपिक का अर्थ उन पदार्थों से है जो दिमाग पर असर डालते हैं सरकार इन सब गतिविधियों को एनडीपीएस एक्ट के तहत नियंत्रित करती है
इन सभी में से कुछ ड्रग और पदार्थ ऐसे भी हैं जिनका कारोबार और उत्पादन करना जरूरी है अर्थात किसी भी कार्य की एक सीमा और नियमों के भीतर रहकर यह सब करने की मंजूरी सरकार देती है
सरकार इन सभी मामलों को एनडीपीएस एक्ट के तहत कंट्रोल अथवा नियंत्रित करती है एनडीपीएस एक्ट में अभी तक तीन बार 1988 2001 और 2014 में बदलाव भी हुए हैं
कुछ ड्रग्स और पदार्थ ऐसे भी होते हैं जिनका उत्पादन और विक्रय करना जरूरी होता है लेकिन अनियमित उत्पादन तथा विक्रय नहीं किया जा सकता उन पर सरकार का बड़ा सख्त प्रतिबंध होता है
क्योंकि किसी भी पदार्थ को अत्यधिक मात्रा में लेनी उपयोग में लाने से नशे में प्रयोग होने लगता है जो मानव समाज और मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ी त्रासदी सिद्ध हो सकती है इस तरह के प्रभावित होने वाले पदार्थ से बचने के लिए विश्व भर में लगभग सभी देशों में इससे संबंधित कानून बनाए गए हैं
एनडीपीएस अधिनियम के बनने से पहले भी पूरे भारत में कुछ अधिनियम थे जो इन पदार्थों को रोकथाम तथा नियम पालन करवाते थे जैसे डेंजरस ड्रग्स अधिनियम 1930 था
सभी अधिनियम को समाप्त कर सिर्फ एक अधिनियम बनाया गया जिसका नाम एनडीपीएस एक्ट अट्ठारह 1985 रखा गया इस अधिनियम में पदार्थ और ड्रग्स के संबंधित पूरी व्यवस्थित प्रक्रिया और दंड का उल्लेख अन करता है
क्या कहती हैं धाराएं
एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत आने वाली धारा 20 में ड्रग्स का उत्पादन करने वाले, बनाने वाले, रखने वाले, बेचने वाले, खरीदने वाले, एक जगह से दूसरी जगह भेजने वाले, एक राज्य से दूसरे राज्य भेजने वाले, और इस्तेमाल करने पर सजा का प्रावधान है
इस अधिनियम एनडीपीएस एक्ट 1985 धारा 20 में क्लॉज 2 के ए में कहा गया है कि अगर किसी भी व्यक्ति के पास प्रतिबंधित ड्रग्स कम मात्रा में पाई जाती है तो उसे 6 महीने तक की जेल या 10000 रुपए का जुर्माना या दोनों दंडों से उसे दंडित किया जा सकता है
एनडीपीएस एक्ट धारा 20 में क्लॉज 2 के बी में कहा गया है कि अगर किसी भी व्यक्ति के पास अत्यधिक मात्रा में प्रतिबंधित पदार्थ जो कि नशीले होते हैं तो ऐसे व्यक्ति को कम से कम 10 साल तक की जेल हो सकती है और उसके साथ ही उस पर ₹100000 का जुर्माना लगाया जा सकता है
इस अधिनियम के तहत पुलिस प्रशासन को भी कार्रवाई करने की अनुमति रहती है पुलिस प्रशासन भी कार्रवाई कर सकती हैं
इसके अलावा केंद्र और राज्यों में अलग-अलग नारकोटिक्स विभाग होते हैं जोकि इन्हें नशीले पदार्थों से जुड़े मामलों में कार्रवाई करने के लिए सर्वोच्च जांच संस्था नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो तैयार की गई थी जिसकी स्थापना 17 मार्च 1986 में हुई थी
नसीले प्रदार्थ
Narcotics एनडीपीएस के अंतर्गत चरस गांजा अफीम हीरोइन कोकेन मार्फिन जैसे पदार्थ आते हैं और वही साइक्लो टॉपिक के अंतर्गत एलएसडी, एमएमडीए, अल्प्राजोलम यानी केमिकल को मिलाकर बनाए जाने वाले पदार्थ आते हैं
एनडीपीएस एक्ट 1985 की धारा 41 के अंतर्गत सरकार को नशीली दवा का सेवन करने वाले की पहचान इलाज और पुनर्वास केंद्र की स्थापना का अधिकार है धारा 42 के अंतर्गत जांच अधिकारी के पास या अधिकार होता है कि वह बिना किसी वारंट पत्र के आप की तलाशी ले सके मादक पदार्थ जप्त करने और गिरफ्तारी करने का भी अधिकार दिया गया है
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एनडीपीएस एक्ट में प्रतिबंधित ड्रग्स
अधिनियम के द्वारा एक अनुसूची दी गई है जिस अनुसूची में केंद्रीय सरकार उन ड्रग्स नशीले पदार्थ को सम्मिलित करती है जो मानव जीवन मैं प्रयोग लाने से हानिकारक साबित हो सकता है
इन ड्रग्स का उपयोग मानव जीवन को बचाने के लिए दवाइयों और अन्य स्थानों पर होता है परंतु इनका अत्यधिक सेवन करने से यह दवा नशे में प्रयुक्त हो जाता है इसलिए इन सभी पदार्थों को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता परंतु इनका नियमन अवश्य किया जा सकता है
कोका प्लांट्स, कैनाबिस, ओपियम पॉपी जैसे पौधे इसमें शामिल किए गए हैं
तीन प्रमुख पौधे
एनडीपीएस ऐप एक्ट अधिनियम के अंतर्गत तीन प्रमुख पौधे आती हैं जिन की खेती परिवहन आयात निर्यात संग्रह क्रय विक्रय उत्पादन कब जा और उपभोग अनुज्ञप्ति और इस अधिनियम के अंतर्गत किसी आदेश के बगैर दंडनीय है
कोका का पौधा
इस पौधे से मुख्यता कोकेन पदार्थ की प्राप्त की जाती है कोकेन नाम वाली पदार्थ अत्यधिक नशीली पदार्थ होती है
कैनाबिस का पौधा
इस कैनाबिस के पौधे को भांग का पौधा भी कहा जाता है कैनाबिस के पौधे को के फूल, पत्तियों और तने को सुखाकर गांजा बनाया जाता है भांग मादक जो पदार्थ होता है वह सिर्फ पत्तियों से ही तैयार हो जाती है इस कैनाबिस पौधे की मादा प्रजाति से एक गोद जैसा द्रव पदार्थ निकलता है जिससे चरस बनाई जाती है।
पोस्त का पौधा
पोस्त के पौधे को अफीम के पौधे के नाम से जाना जाता है इस पोस्त के पौधे की पत्तियां नशीली नहीं होती हैं इसमें एक फल होता है जिसे डोडा कहा जाता है डोडा को काटने पर दूध जैसा द्रव निकलता है जिसे सूखने के बाद अफीम का रूप बन जाता है
इस डोडा फल के अंदर दाने होते हैं जिन्हें खसखस के दाने कहा जाता है वह दाने नशीले नहीं होते हैं उन्हें मेवा के रूप में हम इस्तेमाल करते हैं जो सुखा हुआ ऊपर खोल बचता है उसे डोडा चुरा कहा जाता है यह डोडा नशीले होते हैं अफीम के मुकाबले यह कम मात्रा में नशीले होते हैं
इस अधिनियम में मृत्युदंड तक का प्रावधान
इस अधिनियम एनडीपीएस act के अंतर्गत मृत्यु दंड का भी प्रावधान रखा गया है इस अधिनियम की धारा 31a के अंतर्गत एक बाढ़ एक बार सिद्ध दोस्त ठहराए जाने के बाद अगर वह पुणे फिर कभी उस तरह का अपराध उससे किया जाता है तो उसे मृत्युदंड भी दिया जा सकता है
अधिनियम के अंतर्गत अपराधों का प्रयास तैयारी उत्प्रेरण षड्यंत्र उपभोग और फाइनेंस को भी अपराध बनाया गया है और इन सभी के लिए वही दंड है जो इन अपराधों के लिए दंड रखा गया है
मात्रा का महत्व
इस अधिनियम में मात्रा के द्वारा ही दंड का प्रावधान किया गया है मात्रा को तीन भागों में बांटा गया है जिसमें अल्प मात्रा और वाणिज्य और इन दोनों के बीच की मात्रा दंड भी इन तीन स्तरों पर ही होगा।
1???? अल्प मात्रा के लिए 1 वर्ष का कारावास और आर्थिक जुर्माना जो 10000 तक का हो सकता है यह दोनों दंडो से एक साथ दंडित किया जा सकता है
2???? अल्प मात्रा और वाणिज्य मात्रा के बीच की मात्रा के लिए 10 वर्ष तक का कारावास और आर्थिक जुर्माना जो एक लाख तक का हो सकता है इस अधिनियम के अनुसार निर्धारित किया गया है
3???? वाणिज्य मात्रा में 20 वर्ष तक का कारावास और कम से कम एक लाख तक का जुर्माना जिसको बढ़ाकर 200000 तक भी किया जा सकता है
मात्रा का निर्धारण समय-समय पर केंद्र द्वारा किया जाता रहता है अगर कभी भारत की सीमा क्षेत्र के भीतर किसी भी व्यक्ति के पास यदि 1 ग्राम भी अफीम मात्रा में प्राप्त होता है
तो इस अधिनियम के अधीन बनाए नियम या दिए आदेश के अंतर्गत अनुज्ञप्ति के बगैर पाई जाती है तो भी वह व्यक्ति दोषी माना जाएगा ऐसे हालात में उस व्यक्ति को अल्प मात्रा का दोषी माना जाएगा इस सभी पदार्थों और ड्रग्स लगभग हर रूप में प्रतिबंधित किया गया है
निष्कर्ष
साथियों आज के इस लेख के जरिए हमने आपको एनडीपीएस एक्ट 1985 क्या होता है, इसके अंतर्गत होने वाली अपराध व कानून के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी देने का हमें पूरा प्रयास किया है
साथियों अगर आपको कानून से जुड़ी या इस धारा से जुड़ी किसी भी बात की कोई भी शंका हो तो आप हमें निसंकोच होकर कमेंट सेक्शन में जरूर कमेंट करें।
जिससे कि हम आपकी परेशानियों को जल्द से जल्द दूर कर सकें और आप को संतुष्ट कर सके।
दोस्तों हम आशा करते हैं हमारा ये लेख आपको पसंद आया होगा और हमारे साथ ऐसे ही बने रहिए जिससे कि अगले आने वाले धाराओं के बारे में आपको जानकारी सबसे पहले मिल पाए।
साथियों अगर आपको किसी भी धाराओं के बारे में अगला आर्टिकल चाहिए तो आप हमें अपना सुझाव कमेंट सेक्शन के द्वारा दे सकते हैं जिसको मद्दे नजर रखते हुए हमारा अगला टॉपिक आपके सवाल के अनुसार तैयार किया जाएगा।
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धन्यवाद
मेरा नाम दीपेन्द्र सिंह है पेशे से मे एक वकील हू| MYLEGALADVICE ब्लॉग का लेखक हू यहा से आप सभी प्रकार की कानून से संबंद रखने वाली हर जानकारी देता रहूँगा जो आपके लिए हमेशा उपयोगी रहेगी | इसी अनुभव के साथ जरूरत मंद लोगों कानूनी सलाह देने के लिए यक छोटा स प्रयास किया है आशा करता हू की मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी रहे |यदि आपको कोई कानूनी सलाह या जानकारी लेनी हो तो नीचे दिए गए संपर्क सूत्रों के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है |