नमस्कार दोस्तो
आज हम बात करने जा रहे हैं ना बोली को से जुड़े कुछ कानूनी जानकारियों के बारे में क्या होता है नाबालिक (MINOR) और इन से जुड़ी जानकारियां क्या-क्या है जो कि कानून की नजर में सही है इस लेख के माध्यम से मैं आपको नाबालिगों से जुड़ी कानूनी जानकारियों से अवगत कराना चाहता हूं आज तक जितने भी लेख मैंने लिखे हैं सब में मेरा अनुभव साझा किया है
आज भी इस पोस्ट के माध्यम से भी मैं आपको मेरा अनुभव साझा कर रहा हूं और मेरा हमेशा यही प्रयत्न रहा है कि ज्यादा से ज्यादा जानकारी आप लोगों तक पहुंचाता रहू। कोई बात ऐसा होता है आधुनिक युग में बच्चे हर क्षेत्र में वयस्क होने से पहले ही सक्रिय होते जा रहे हैं
उनसे जुड़े कुछ कानूनी जानकारियों के बारे में हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं आओ देखते हैं विस्तार से क्या है महत्वपूर्ण कानूनी जानकारियां नाबालिगों (MINOR) के बारे में इस लेख के माध्यम से हम ऐसे जानकारियां दे रहे हैं जो कि नाबालिगों (MINOR) के लिए ही नहीं बल्कि वयस्कों के लिए भी महत्वपूर्ण जानकारी है।
क्या नाबालिगों (MINOR) से किए गए अनुबंध मान्य है?
नाबालिगों (MINOR) से किए गए अनुबंध मान्य है या नहीं इस बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कानून के अनुसार भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 10 के अनुसार बताया गया है कि अनुबंध हमेशा दो पक्षकारों के बीच में होता है और उन्हीं दो पक्षकारों के द्वारा किये जाते है वही पक्ष कार द्वारा अनुबंध किया जा सकता है जो पक्ष कार अनुबंध करने में सक्षम हो।
नाबालिक(MINOR) किसे माना गया है?
भारतीय संविधान के अनुसार नाबालिक 18 वर्ष से कम के युवक युवती को नाबालिग (MINOR) माना गया है नाबालिगों का स्वास्थ्य का ध्यान एवं सुरक्षा का ध्यान रखना जोखिम भरे कार्यों से नाबालिगों को दूर रखना चाहिए।
भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 11 के अंतर्गत कौन व्यक्ति करार करने के लिए सक्षम भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 11 के अनुसार वही व्यक्ति अनुबंध या करार कर सकता है जो कि वयस्क हो और स्वस्थ स्वस्थ हूं और वह यह करार करने के लिए बाधित ना हो ऐसा व्यक्ति करार कर सकता है या अनुबंध कर सकता है।
किसी भी नाबालिक(MINOR) द्वारा किया गया अनुबंध शून्य होता है।
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क्या नाबालिक(MINOR) की गवाही न्यायालय के अंदर मान्य होगी?
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 118 के अंतर्गत गवाही को लेकर बताया गया है कि अदालत में या न्यायालय में प्रत्येक व्यक्ति गवाही देने में सक्षम है जो कि प्रश्नों को सही तरीके से समझ सके और युक्तियुक्त तरीके से समझ कर उत्तर देने में सक्षम हो वह हर व्यक्ति न्यायालय में गवाही दे सकता है इसके अंदर यह प्रावधान बताए गए हैं
कोई नाबालिग (MINOR) व्यक्ति या कोई वृद्व व्यक्ति अगर किसी बीमारी के जूझ रहे हैं या मानसिक रूप से उनकी मानसिक स्थिति सही नहीं है तो ऐसे में उन्हें न्यायालय में पूछे गए प्रशनो के उत्तर देने में सक्षम नहीं है तो न्यायालय द्वारा ऐसे व्यक्तियों की गवाही देने के लिए ऐसे व्यक्तियों को असक्षम माना है।
और कोई संबंध व्यक्ति या पागल व्यक्ति भी गवाही देने के लिए न्यायालय जा सकता है अगर वह प्रश्नों के उत्तर सही तरीके से देने में समर्थ हो तो उसकी गवाही ली जा सकती है।
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