नमस्कार दोस्तो
आज हम इस लेख के माध्यम से आपको मोटर वाहन दुर्घटना अधिकरण मामले क्या होते हैं इनके बारे में कुछ जानकारी देने का प्रयास कर रहा हूं मोटर वाहन दुर्घटना का मुआवजा कैसे लिया जाता है क्लेम कैसे पास किया जाता है इन सब बातों की विस्तार से चर्चा करने वाले हैं सड़क हादसों में बहुत से व्यक्ति देश में शिकार होते हैं
जिसके लिए मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के तहत जिस वाहन से दुर्घटना हुई है उस गाड़ी का बीमा पॉलिसी कंपनी से घायल व्यक्ति को या मृत व्यक्तियों के आश्रितों को मुआवजा मिल सकता है
कहां करें कैसे करें किस न्यायालय में करें इन सब बातों के बारे में आपके साथ चर्चा करने जा रहा हूं प्रत्येक जिले में मोटर दुर्घटना वाहन के MACT न्यायालय बनाए गए हैं संपूर्ण जानकारी की विस्तार से चर्चा करते हैं।
MACT से तात्पर्य है (Motor Accident Claim Tribunal) जो कि उसका पूरा नाम है हिंदी में इसे मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण भी कहा जाता है।
मोटर दुर्घटना क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT)क्या है?
मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 165 के अनुसार राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में एक या एक से अधिक मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण बनाए गए हैं मोटर मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) स्थापित करने का तात्पर्य यही था कि जिन वाहनों से या जिन वाहनों के उपयोग से व्यक्तियों की मृत्यु या उन्हें चोट पहुंचती है या किसी संपत्ति का नुकसान होता है
या यह सभी बातें हो जाती है ऐसे में सड़क हादसे में भी बहुत से लोग शिकार होते हैं जिनको जल्दी से जल्दी न्याय दिया जाए और मुआवजा जल्दी से जल्दी मिल सके इसलिए MACT न्यायालय का गठन किया गया था।
MACT न्यायालय में मुआवजे का दावा कैसे किया जाता है?
मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 166 के अंतर्गत मुआवजे का दावा पेश किया जाता है यानी प्रति कर के लिए आवेदन न्यायालय के अंदर प्रस्तुत किया जाता है।
मोटर दुर्घटना हादसों में दुर्घटना के शिकार हुए व्यक्तियों द्वारा मुआवजा लेने के लिए या किसी दुर्घटना में शिकार हुए मृत्यु व्यक्ति के वारिसान द्वारा मुआवजा लेने के लिए इस धारा के अंतर्गत न्यायालय के अंदर प्रति कर के लिए आवेदन करना पड़ता है।
MACT न्यायालय में मुआवजे का दावा कौन कर सकता है?
- MACT न्यायालय में मुआवजे का दावा वह व्यक्ति कर सकता है जिसे शारीरिक क्षति पहुंची है।
- MACT न्यायालय में जब किसी दुर्घटना हादसों में किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई है तब मृतक के सभी या किसी विधिक प्रतिनिधि द्वारा किया जा सकता है।
- MACT न्यायालय में किसी संपत्ति का नुकसान हुआ है क्या दुर्घटनाग्रस्त हुई तो उसके संपत्ति के स्वामी या मालिक द्वारा किया जा सकता है।
- कोई व्यक्ति सड़क हादसों में दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो उसके द्वारा किया उसके विधिक प्रतिनिधियों द्वारा न्यायालय में दावा प्रस्तुत किया जाता है दुर्घटना का कारण बनने वाले ड्राइवर या किसी अन्य व्यक्ति का दोष सिद्ध हो जाता है न्यायालय द्वारा उस व्यक्ति की आय आर यू सदस्यों की संख्या उस व्यक्ति पर निर्भर व्यक्तियों की संख्या आर्थिक स्थिति को देखकर मुआवजे की राशि देने का निर्धारण करती है
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पीड़ित व्यक्ति को मुआवजे का भुगतान कौन करेगा?
मुआवजे की राशि का भुगतान पीड़ित व्यक्ति को कौन करेगा इस संबंध में हम आपको बताने जा रहे हैं कि दुर्घटना से संबंधित जो भी मुआवजे का भुगतान होता है वह वाहन की बीमा कंपनी द्वारा किया जाता है इसलिए मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक वाहन का तृतीय पक्ष बीमा अनिवार्य किया गया है।
और महत्वपूर्ण जानकारी वाली बात यह है की जिस वाहन का बीमा अगर दुर्घटना के समय नहीं हुआ हो तो और वाहन दुर्घटना कर दे कोई ऐसे में मुआवजे की राशि वाहन मालिक द्वारा देनी पड़ती है अगर वाहन मालिक द्वारा दुर्घटना के मुआवजे की राशि नहीं दी जाती है तो न्यायालय के पास उसकी संपत्ति जप्त करने का भी अधिकार होता है।
दुर्घटना ग्रस्त करके या टक्कर मारकर भागने संबंधित मामले भुगतान कौन करेगा?
दुर्घटना सोते समय अगर किसी वाहन द्वारा टक्कर मारकर भागने से संबंधित मामले मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 163 के अंतर्गत इसके प्रावधान बताए गए हैं एक्सीडेंट करने के बाद मौके से वाहन लेकर भाग जाने से ड्राइवर की पहचान भी नहीं हो पाती इसलिए बहुत से लोगों को मुआवजा नहीं मिल पाता है
इसलिए मोटर यान अधिनियम की धारा 163 के तहत साधारण बीमा निगम या सोलेसिया फंड बनाया गया है जिसमें ऐसे लोगों को मुआवजा देने के लिए फंड का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे मामलों को हिट एंड रन मामले भी कहा जाता है।
सड़क दुर्घटना के मामले अपराधिक मामले होते हैं जो कि भारतीय दंड संहिता के अनुसार अपराधिक मुकदमा चलाया जाता है और अगर दुर्घटना करने वाले व्यक्ति का दोष सिद्ध हो जाता है तो सजा के प्रावधान भी है और सजा मिलती भी है।
महत्वपूर्ण कानूनी परामर्श?
हम सभी लोगों को यातायात के नियमों की अच्छे से पालना करनी चाहिए।
अगर सड़क हादसे में कोई दुर्घटना होती है और कुछ व्यक्ति दुर्घटना ग्रस्त घायल या ज्यादा क्षति पहुंचती है तो उनको जल्द से जल्द किसी भी नजदीकी हॉस्पिटल में उपचार के लिए पहुंचाना चाहिए पुलिस को सूचित करना चाहिए। दुर्घटना करने वाले वाहन का तस्वीरें लेनी चाहिए जो कि पुलिस आने पर उनको सौंप देनी चाहिए और पीड़ित व्यक्ति के परिवार को भी दी जानी चाहिए।
अगर आप दोबारा किसी क्लेम के लिए याचिका प्रस्तुत कर रखी है और आपकी अच्छी का डिसमिस हो जाती है तो आप उच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय तक केस अवश्य लें क्योंकि मोटर दुर्घटनाओं का मुआवजा एक प्रकार का सामाजिक कल्याण का कानून है।
अपने वाहन का इंश्योरेंस अवश्य करवा कर रखें क्योंकि जब कभी वाहन से कोई दुर्घटना हो जाती है और इंश्योरेंस नहीं होता है तो वाहन स्वामी को जेब से मुआवजा देना पड़ सकता है।
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