आईपीसी की धारा 500 क्या है What is section 500 of IPC
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 500 के बारे में क्या होती है 500 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
आईपीसी धारा 500 मानहानि के लिए दण्ड – IPC Section 500 Punishment for defamation –
जो कोई किसी अन्य व्यक्ति की मानहानि करेगा, वह सादा कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
आईपीसी धारा 500 का विवरण –
यह धारा मानहानि के अपराध के लिए दंड़ की व्यवस्था करती है इसके अनुसार, जो कोई किसी अन्य व्यक्ति की मानहानि करेगा वह दो वर्ष तक के सादा कारावास से, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा। यह बात ध्यान देने योग्य है कि मानहानि के लिए कठिन कारावास की कोई व्यवस्था नहीं है। परन्तु सादा कारावास की अवधि दो वर्ष तक की हो सकती है।
इस धारा के अधीन अपराधी को दंडित करते समय मामले के तथ्यों और सम्पूर्ण परिस्थितियों को ध्यान में रखना आवश्यक है। जहाँ ग्रामीण महिलाओं के बीच शब्दों के झगड़े के दौरान, जो प्रायः होता रहता है, एक विधवा को ‘ छिनाल ‘ अर्थात अन्य पुरुषों के साथ अवैध सम्बन्ध रखने वाली, कहा गया, और यह भी कि वह अपनी पुत्रवधू के मामा की रखैल थी,
अभियुक्त पर पचास रुपये का जुर्माना उचित ठहराया गया। पत्रकार जिम्मेदार व्यक्ति होने के नाते उनके बारे में यह उपधारणा है कि वे अपने लेखों के परिणामो को जानते हैं और इसलिए न्यायालयों ने सामान्यतः ऐसे मामलों को गम्भीरता से लिया है। शत्रुघ्न प्रसाद सिन्हा बनाम राजभाऊ सूरजमल राठी में अपीलार्थी का एक साक्षात्कार एक फिल्म पत्रिका में प्रकाशित हुआ जिससे अभिकथित रूप से मारवाड़ी समाज की मानहानि हुई थी और समाज में और लोक में उनकी प्रतिष्ठा में कमी हुई थी।
उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि परिवाद में यह कथन कि मारवाड़ी समाज का उनकी मातृभूमि भारत के प्रति कोई विश्वास और प्रेम नहीं था, मानहानि का अपराध गठित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, और इसलिए मजिस्ट्रेट द्वारा जारी की गई आदेशिका अभिखण्डित किए जाने योग्य है। इस धारा में कठिन कारावास की व्यवस्था नहीं है।
इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय, जमानतीय और शमनीय है जब विचरण न्यायालय ऐसा करने की अनुमति दे, और यह लोक सेवक के मामले में सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है, तथा अन्य मामलों में यह शमनीय है एवं प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
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निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 500 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
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