आईपीसी की धारा 225 क्या है What is section 225 of IPC
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 225 के बारे में क्या होती है 225 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
आईपीसी धारा 225 किसी अन्य व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा –
जो कोई किसी अपराध के लिए किसी दूसरे व्यक्ति के वी के अनुसार पकड़े जाने में साशय प्रतिरोध करेगा या अवैध बाधा डालेगा, या किसी दूसरे व्यक्ति को किसी ऐसी अभिरक्षा से, जिसमें वह व्यक्ति किसी अपराध के लिए विधिपूर्वक निरुद्ध हो, साशय छुड़ाएगा या छुड़ाने के प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा; अथवा
यदि उस व्यक्ति पर, जिसे पकड़ा जाना हो, या जो छुड़ाया गया हो, या जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, आजीवन कारावास से, या दस वर्ष तक की अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध का आरोप हो या वह उसके लिए पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो तो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा; अथवा
यदि उस व्यक्ति पर, जिसे पकड़ा जाना हो, या जो छुड़ाया गया हो, या जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, मृत्यु- दण्ड से दंडनीय अपराध का आरोप हो या वह उसके लिए पकडे जाने के दायित्व के अधीन हो तो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा; अथवा
आईपीसी धारा 225 का विवरण –
किसी अन्य व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने के प्रतिरोध या बाधा को यह धारा दंडित करती है। इसके अनुसार, जो कोई किसी अपराध के लिए किसी दूसरे व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में साशय प्रतिरोध करेगा या अवैध बाधा डालेगा,
या किसी दूसरे व्यक्ति को किसी अपराध के लिए विधिपूर्वक निरुद्ध किसी अभिरक्षा से आशय छुड़ाएगा या छुड़ाने के प्रयत्न करेगा, वह दो वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा,
अथवा यदि उस व्यक्ति पर, जिसे पकड़ा जाना हो, या छुड़ाया गया हो, जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया हो, आजीवन कारावास से, या दस वर्ष तक के कारावास से दंडनीय अपराध का आरोप हो, या वह उसके लिए पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो
तो वह तीन वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा, अथवा यदि उस पर मृत्युदंड से दंडनीय अपराध का आरोप हो या वह उसके लिए पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो, तो वह सात वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा,
और जुर्माने से भी दंडनीय होगा, अथवा यदि वह व्यक्ति किसी न्यायालय के दंडादेश के अधीन, या ऐसे दंडादेश के लघुकरण के आधार पर आजीवन कारावास या दस या अधिक वर्ष के कारावास से दंडनीय हो, तो वह सात वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा,
अथवा यदि वह व्यक्ति मृत्यु दंडादेश के अधीन हो, तो वह आजीवन कारावास से, या दस वर्ष से अनधिक तक के सादा या कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय, जमानतीय यदि मामला धारा के प्रथम भाग के अधीन हो, अन्यथा अजमानतीय और अशमनीय है, और यह महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम या द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है यदि मामला इस धारा के द्वितीय भाग के अधीन है, और सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है यदि मामला अन्य किसी भाग के अधीन है।
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निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 225 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
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