SECTION 269 IPC IN HINDI
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 269 क्या है और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
आईपीसी की धारा 269 क्या है
भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के अनुसार,जो कोई विधिविरुद्ध रूप से या उपेक्षा से ऐसा कोई कार्य करेगा, जिससे कि और जिससे वह जानता या विश्वास करने का कारण रखता हो कि, जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोग का संक्रम फैलना संभाव्य है,
वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
आईपीसी की धारा 269– उपेक्षापूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो।
कई राज्यों ने स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, कोरोनावायरस इत्यादि जैसे जानलेवा प्रभावों के प्रकोप की जांच के लिए कई बार कई मजबूत उपायों की घोषणा की गयी है। केंद्र सरकार ने उन्हें सख्ती से लागू करने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ “कानूनी कार्रवाई” करने के लिए कहा है।
देश के कई हिस्सों में अधिकारियों ने ऐसे मामलों में भी कई आदेश भी दिए हैं, जो लोगों की सभा को प्रतिबंधित करते हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 269 एक ऐसा प्रावधान है, जिसके लिए एक लोक सेवक द्वारा पारित इन आदेशों की आज्ञाकारिता की आवश्यकता होती है,
जब कोई घातक बीमारी लोगों पर अपना प्रभाव डालती है, तो यह धारा उस समय उस आदेश की अवज्ञा के लिए सजा निर्धारित करता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 269 क्या है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के अनुसार, जो कोई विधिविरुद्ध रूप से या उपेक्षा से ऐसा कोई कार्य करेगा, जिससे कि और जिससे वह जानता या विश्वास करने का कारण रखता हो कि, जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोग का संक्रम फैलना संभाव्य है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
इसलिए, इस धारा का उद्देश्य किसी गैरकानूनी या लापरवाह कृत्य करने वाले व्यक्ति को दंडित करना है, जिससे एक खतरनाक बीमारी फैल सकती है, जिसमें उस व्यक्ति को छह महीने तक की कैद या जुर्माना हो सकता है। यह अपराध संज्ञेय है, जिसका अर्थ है, कि पुलिस आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन यह एक जमानती अपराध है।
किन परिस्थितियों में धारा 269 लगाई जा सकती है?
भारत को स्वच्छ भारत बनाने के उपायों में ये कानून पुलिस द्वारा भी लागू किए जा सकते हैं। इन्हें सार्वजनिक स्थान पर थूकने, सड़क पर कचरा डंप करने, खुले में पेशाब करने और शौच करने, स्वाइन फ्लू से पीड़ित होने पर सार्वजनिक रूप से मास्क न पहनने, मेडिकल प्रतिष्ठानों द्वारा पंजीकरण काउंटर पर मास्क उपलब्ध नहीं कराने और लागू नहीं करने जैसे विभिन्न कार्यों के लिए लागू किया जा सकता है।
संक्रमण नियंत्रण सावधानियों, सरकार वायु प्रदूषण से निपटने और पानी को स्थिर करने की अनुमति नहीं देती है, जिससे मच्छर जनित बीमारियों का प्रसार होता है।
इस तरह के मुद्दों को भारत भर की विभिन्न अदालतों द्वारा निपटाया गया है। 1 अक्टूबर, 2001 को, दिल्ली उच्च न्यायालय के सामने एक मामला आया, जिसमें अस्पताल के संक्रमण से संबंधित गर्भपात हुआ।
इस मामले में, डॉ मेरु भाटिया प्रसाद बनाम राज्य, उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को डॉक्टर के खिलाफ धारा 269 के तहत मुकदमे की औपचारिकताओं के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी, इस याचिका पर डॉक्टर के खिलाफ, एमनियोसेंटेसिस प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली सुई संक्रमण और उसके बाद के गर्भपात का कारण बनी।
इसी तरह के एक मामले में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने 1 फरवरी, 1974 को रामकृष्ण बाबूराव मस्के बनाम किशन शिवराज शेल्के में कहा था, कि अगर यौन उत्पीड़न से पीड़ित एक वाणिज्यिक यौनकर्मी यौन संबंध के दौरान किसी अन्य संचरण वाले रोग से पीड़ित है, तो वह धारा 269 के तहत सजा का उत्तरदायी नहीं है।
इन निर्णयों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि धारा 269 और 270 समाज के लिए कई मुद्दों का जवाब हो सकता है। यदि हम यह प्रदर्शित कर सकते हैं, कि किसी व्यक्ति, प्रतिष्ठान या सरकार द्वारा लापरवाही बरती गई, जिससे जीवन के लिए खतरनाक संक्रमण फैल सकता है, और कोई सावधानी नहीं बरती गई, तो हमें भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के प्रावधानों का उपयोग करते हुए अपने अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए।
धारा 138 NI Act चेक बाउंस क्या है ।
- आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता क्या है ?
- आईपीसी की धारा 166 क्या है ?
- धारा 376 क्या हैं इससे बचने के उपाय ।
- धारा 307 Ipc क्या है इससे बचने के उपाय
निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 269 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं
अगर आपको इस सवाल से जुड़ी या किसी अन्य कानून व्यवस्था से जुड़ी जैसे आईपीसी, सीआरपीसी सीपीसी इत्यादि से जुड़ी किसी भी सवालों की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बेझिझक होकर कमेंट कर सकते हैं और आपके सवालों के उत्तर को हम जल्द से जल्द देने का हम पूरा प्रयास करेंगे।
अगर आप हमारे जानकारी से संतुष्ट है तो आप हमारे ब्लॉग पेज mylegaladvice.in को लाइक करिए तथा अपने दोस्तो के साथ इस आर्टिकल को शेयर करिए जिससे उन्हें भी इस धारा 269 आईपीसी की जानकारी प्राप्त हो सके और किसी जरूरतमंद की मदद हो जायेगी।
मेरा नाम दीपेन्द्र सिंह है पेशे से मे एक वकील हू| MYLEGALADVICE ब्लॉग का लेखक हू यहा से आप सभी प्रकार की कानून से संबंद रखने वाली हर जानकारी देता रहूँगा जो आपके लिए हमेशा उपयोगी रहेगी | इसी अनुभव के साथ जरूरत मंद लोगों कानूनी सलाह देने के लिए यक छोटा स प्रयास किया है आशा करता हू की मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी रहे |यदि आपको कोई कानूनी सलाह या जानकारी लेनी हो तो नीचे दिए गए संपर्क सूत्रों के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है |