SECTION 333 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 333 क्या है What is section 333 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 333  के बारे में क्या होती है 333 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी धारा  333 लोक सेवक को अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना –

 जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जो लोक सेवक हो, उस समय जब वह वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हो अथवा इस आशय से कि उस व्यक्ति को, या किसी अन्य लोक सेवक को, लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित करे

या भयोपरत करे अथवा वैसे लोक सेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने के लिए प्रयतीत किसी बात के परिणामस्वरूप स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा । 

आईपीसी धारा 333 का विवरण – 

लोक सेवक को अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है। इसके अनुसार, जो कोई किसी लोक सेवक को वैसे लोकसेवक के नाते अपने कर्तव्य के निर्वहन करने के समय, अथवा इस आशय से कि उस लोक सेवक को या अन्य किसी लोक सेवक को वैसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित करे या भयोपरत करे,

अथवा वैसे लोकसेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या की जाने के लिए प्रयतीत  किसी बात के परिणामस्वरूप स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, वह दस वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा । 

इस धारा के अंतर्गत किसी लोक सेवक को स्वेच्छया घोर उपहति कारित की गई होना चाहिए। यह घोर उपहति उसके लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य के निर्वहन में, अथवा उस लोक सेवक या किसी अन्य लोक सेवक को वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित करने या भयोपरत करने,

अथवा वैसे लोक सेवक के नाते उस लोकसेवक द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या की जाने के लिए प्रयतीत किसी बात के परिणामस्वरूप की गई होनी चाहिए । यह धारा पूर्ववर्ती धारा 332 के समान, पर उससे अधिक गम्भीर है, क्योंकि धारा 332 में केवल उपहति कारित की गई होती है जबकि इस धारा में घोर उपहति कारित की गई होती है, और इसीलिए इस धारा के अधीन अधिक कठोर दंड की व्यवस्था है। 

इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय, अजमानतीय और अशमनीय है, और यह सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।

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साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 333 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी

कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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