SECTION 177 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 177 क्या है What is section 177 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 177 के बारे में क्या होती है 177 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी की धारा 177 मिथ्या इतिला देना

जो कोई किसी लोक सेवक को ऐसे लोग सेवक के नाते किसी विषय पर इतनी ला देने के लिए वैद्य रूप से अवध होते हुए उस विषय पर सच्ची ईटेला के रूप में ए सी ई टी ला देगा जिसका मिथ्या हो ना वह जानता है या जिसके मिथ्या होने का विश्वास करने का कारण उसके पास है, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि 6 माह तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो ₹1000 तक का हो सकेगा,

या दोनों से,अथवा यदि वह इत्तला, जिसे देने के लिए वह वैद्य रूप से आबाद हो, कोई अपराध किए जाने के विषय में हो, या किसी अपराध के किए जाने का निवारण करने के प्रयोजन से, या किसी अपराध को पकड़ने के लिए अपेक्षित हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि 2 वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।

आईपीसी की धारा 177 का विवरण

जब की धारा 176 सूचना या इला देने के लिए वैद्य रूप से आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को सूचना याद दिला देने के लोक को दंडित करती है, यह धारा उसे मिथ्या इत्तला देने को दंडित करती है। इसके अनुसार, किसी लोक सेवक को ऐसे लोक सेवक के नाते किसी विषय पर इत्तला देने के लिए वेद रूप से आबाद होते हुए

जो कोई उस विषय पर सच्ची ईतीला के रूप में ऐसी इति ला देगा जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान है, या जिसके मिथ्या होने का कारण उसके पास है, वह 6 मांस तक के सादा कारावास से, या एक हजार रुपए तक के जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा,

यदि वह ई टीला, जिसे देने के लिए वह वैद्य रूप से आबाद हो, या तो कोई अपराध किए जाने के विषय में हो, या अपराध किए जाने के निवारण करने के प्रयोजन से, या किसी अपराधी को पकड़ने के लिए अपेक्षित हो, वह 2 वर्ष तक की सादा या कठिन कारावास से, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।

इस धारा के साथ जुड़ा दृष्टांत (क) इस धारा के प्रथम भाग से संबंधित है, जबकि दृष्टांत.( ख) धारा के द्वितीय भाग से संबंधित है। इस धारा के साथ एक स्पष्टीकरण भी दिया गया है, जो धारा 176 और धारा 177 दोनों पर ही लागू होता है, और जिसके द्वारा इन दोनों धाराओं में प्रयुक्त शब्दों ‘अपराध’ और ‘अपराधी’ के अर्थों को और विस्तृत कर दिया गया है। इस संदर्भ में यह स्पष्ट किया गया है

कि ‘अपराध’ शब्द के अंतर्गत भारत से बाहर किया गया कोई ऐसा कार्य आता है जो यदि भारत में किया जाता तो इस स्पष्टीकरण में उल्लेखित धाराओं मैं से किसी के अधीन दंडनीय होता, और ‘अपराधी’ शब्द के अंतर्गत कोई भी ऐसा व्यक्ति आता है जो कोई ऐसा कार्य करने का दोषी अभी कथित हो।

यह धारा केवल तब लागू होती है जब किसी व्यक्ति के लोकसेवक को कोई इत्तिला देने के लिए वैध रूप से आबद्ध किया गया हो। ‘ वैध रूप से आबद्ध करने’ को संहिता की धारा 43 में स्पष्ट किया गया है। किसी अभियुक्त को इस धारा के अधीन तब तक दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता

जब तक कि अभियोजन यह है साबित ना कर देगी ई टी ला देते समय अभियुक्त उसका मिथ्या होना जानता था, या जिसके मिथ्या होने का विश्वास करने का कारण उसके पास था। यदि इत्तला, जिसे देने के लिए वह वैद्य रूप से आबद्ध हो, कोई अपराध किए जाने के विषय में हो, यह अपराध के किए जाने का निवारण करने के प्रयोजन से, या किसी अपराधी को पकड़ने के लिए अपेक्षित हो, तो दंड कठिन कारावास के रूप में भी हो सकता है, और इसकी अवधि में भी वृद्धि की गई है।

इस धारा के अधीन यह एक जमानती, गैर संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

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साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 177 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

 कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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