आईपीसी की धारा 135 क्या है What is section 135 of IPC
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 135 के बारे में क्या होती है 135 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
जो कोई भारत सरकार की सेना, नोसेना या वायुसेना के किसी आफिसर, सैनिक, नोसेनिक या वायुसैनिक द्वारा अभित्यजन किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, डण्डित किया जाएगा ।
आईपीसी धारा 135 का विवरण Details of IPC Section 135 –
यह धारा सैनिको आदि द्वारा अभित्यजन के दुष्प्रेरण के सम्बन्ध में है इस धारा के अनुसार, जो कोई भारत सरकार की सेना, नोसेना या वायुसेना के किसी आफिसर, सैनिक , नोसेनिक या वायुसैनिक द्वारा अभित्यजन किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, वह दो वर्ष तक के कठिन या सादा कारावास से, या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा ।
जो कोई – शब्दों जो कोई संहिता की धारा 139 में जो कुछ कहा गया है उसके अध्यधीन समझा जाना चाहिए ।
दुष्प्रेरण –
‘ दुष्प्रेरण ‘ शब्द का प्रयोग उसी अर्थ में किया गया है जो धारा 107 में दिया गया है ।
अभित्यजन
भारतीय दंड़ संहिता अभित्यजन शब्द की परिभाषा नहीं देती । परन्तु इसका अर्थ ऐसे व्यक्ति की अपनी सेवा से अनुपस्थित है जिसका उस सेवा में वापस लौटने का या पुनः उससे जुडने का कोई आशय न हो, तो यह बिना छुट्टी के कार्यस्थल से अनुपस्थिति का मामला है। पर यदि वह ऐसा अपनी सेवा में पुनः नहीं लौटने के आशय से करता है तो उसके द्वारा ऐसा करना अविधिक हो जाता है, और इसे ‘ अभित्यजन ‘ कहा जाएगा ।
इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय, जमानतीय और अशमनीय है, और यह महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम या द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।
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निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 135 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
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