नामस्कर दोस्तो
आज हम बात करने जा रहे हैं धारा 311 सीआरपीसी की क्या होती है धारा 311 सीआरपीसी इसके बारे में आपको इसलिए के माध्यम से मैं अवगत कराने जा रहा हूं मैं आपके साथ मेरा अनुभव साझा करना चाहता हूं आज तक मेरा हमेशा से यही प्रयत्न रहा है
कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारी इस लेख के माध्यम से आप लोगों तक पहुंचाता रहू। धारा 311 सीआरपीसी के अंतर्गत साक्षी के समन जारी करने एवं उपस्थित व्यक्ति की परीक्षा करने की शक्ति न्यायालय को प्रदान की गई है इससे संबंधित यह धारा है इसके विस्तार से चर्चा करते हैं।
धारा 311 सीआरपीसी का विवरण?
धारा 311 सीआरपीसी से तात्पर्य है किसी भी न्यायालय को धारा 311 सीआरपीसी के अधीन किसी जांच विचारण या अन्य कार्यवाही के प्रक्रम में किसी व्यक्ति को साक्षी के तौर पर समन द्वारा भुला सकता है या किसी ऐसे व्यक्ति को जो हाजिर हो यद्यपि वह साक्षी के रूप में संबंध में किया गया हो परीक्षा कर सकता है
किसी व्यक्ति को जिसकी पहले परीक्षा की जा चुकी है उसे पुनः बुला सकता है और उसकी पुणे परीक्षा कर सकता है और यदि न्यायालय के मामले में न्याय संगत विनिश्चय के लिए किसी ऐसे व्यक्ति का साक्ष्य आवश्यक प्रतीत होता है तो ऐसे व्यक्ति को सम्मान करेगा और उसकी परीक्षा करेगा या पुणे बुलाएगा और उसकी पुनः परीक्षा करेगा यह शक्तियां न्यायालय को इस संहिता के अधीन प्रदान की गई है।
उच्च न्यायालय द्वारा धारा 311 के संबंध में स्पष्ट किया गया?
उच्चतम न्यायालय के यह भी स्पष्ट किया गया है कि धारा 311 के प्रावधान सरसरी तौर पर दो भागों में प्रस्तुत किए गए हैं प्रथम में न्यायालय साक्षी का सम्मान कर सकता है और यह परीक्षण कर सकता है स्वेता दर्शाते हैं कि न्यायालय के विवेक पर निर्भर करेगा जबकि अंतिम भाग में शब्द संबंध करेगा और उसकी परीक्षा करेगा यह दर्शाता है
कि है कि न्यायालय ऐसा करने के लिए अवध है अर्थात ऐसा करना उसका कर्तव्य है इस धारा के अधीन न्यायालय अभियोजन या बचाव पक्ष के किसी भी साक्षी को इस बात के लिए बाध्य नहीं कर सकता कि वह अमुक साक्षी का परीक्षण करें क्योंकि उसे यह निर्णय पक्षकारों पर छोड़ देना चाहिए परंतु जहां न्यायालय यह देखता है कि कोई महत्वपूर्ण साक्षी जानबूझकर प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है
तो वह धारा 311 के अंतिम भाग का प्रयोग करते हुए ऐसे साक्षी के संबंध करके उसका परीक्षण करने के लिए बाध्य होगा ताकि प्रकरण की कमियां या विसंगतियों को दूर किया जा सके।धारा 311 के आदेश की निगरानी होती है ना की अपील होती है
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