SECTION 340 CRPC IN HINDI
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं सीआरपीसी की धारा 340 क्या है और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
सीआरपीसी की धारा 340 का विवरण
(1) जब किसी न्यायालय की, उससे इस निमित किए गए आवेदन पर या अन्यथा, यह राय है कि न्याय के हित में यह समीचीन है कि धारा 105 की उपधारा (1) के खण्ड (ख) में निर्दिष्ट किसी अपराध की, जो उसे, यथास्थिति, उस न्यायालय की कार्यवाही में या उसके संबंध में अथवा उस न्यायालय की कार्यवाही में पेश की गई या साक्ष्य में दी गई दस्तावेज के बारे में किया हुआ प्रतीत होता है, जांच की जानी चाहिए तब ऐसा न्यायालय ऐसी प्रारंभिक जांच के पश्चात, यदि कोई हो, जैसी वह आवश्यक समझे –
(क) उस भाव का निष्कर्ष अभिलिखित कर सकता है,
(ख) उसका लिखित परिवाद कर सकता है,
(ग) उसे अधिकारिता रखने वाले प्रथम वग्र मजिस्ट्रेट को भेज सकता है,
(घ) ऐसे मजिस्ट्रेट के समक्ष अभियुक्त के हाजिर होने के लिए पर्याप्त प्रतिभूति ले सकता है अथवा यदि अभिकथित अपराध अजमानतीय है और न्यायालय ऐसा करना आवश्यक समझता है तो, अभियुक्त को ऐसे मजिस्ट्रेट के पास अभिरक्षा में भेज सकता है, और
(ङ) ऐसे मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होने और साक्ष्य देने के लिए किसी व्यक्ति को आबद्ध कर सकता है।
(2) किसी अपराध के बारे में न्यायालय को उपधारा (1) द्वारा प्रदत शक्ति का प्रयोग, ऐसे मामले में जिसमें उस न्यायालय ने उपधारा (1) के अधीन उपधारा (1) के अधीन उस अपराध के बारे में न तो परिवाद किया है और न ऐसे परिवाद किए जाने के लिए आवेदन को नामंजूर किया है, उस न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसके ऐसा पूर्वकथित न्यायालय धारा 195 की उपधारा (4) के अर्थ में अधीनस्थ है।
(3) इस धारा के अधीन किए गए परिवाद पर हस्ताक्षर –
(क) जहाँ परिवाद करने वाला न्यायालय उच्च न्यायालय है वहाँ उस न्यायालय ऐसे अधिकारी द्वारा किए जाएंगे, जिसे वह न्यायायल नियुक्त करे,
(ख) किसी अन्य मामले में, न्यायालय के पीठासीन अधिकारी द्वारा या न्यायालय के ऐसे अधिकारी द्वारा, जिसे न्यायालय इस निमित लिखित में प्राधिकृत करे, किए जाएंगे।
(4) इस धारा में ‘न्यायालय’ का’ का वही अर्थ होगा जो धारा 195 में है।
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निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 340 सीआरपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं
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