नमस्कार दोस्तों
आज हम बात करने जा रहे हैं आदेश एक नियम दस CPC की बात करने जा रहे हैं क्या होता है आदेश 1 नियम 10 CPC के बारे में हम विस्तार से चर्चा करने वाले हैं सिविल प्रक्रिया संहिता में आदेश 1 नियम 10 की क्या भूमिका रहती है क्यों यह प्रार्थना पत्र लगाया जाता है इन सब बातों के बारे में विस्तार से हम इस लेख में चर्चा करने वाले हैं या आप के साथ संपूर्ण जानकारी साझा करने वाले हैं।
आदेश 1 नियम 10 CPC किसी सिविल वाद पत्र में पक्षकार को जोड़ा जाना या हटाए जाने से संबंधित होता है। किसी व्यक्ति द्वारा अगर कोई वाद पत्र प्रस्तुत किया गया हो न्यायालय में और उसमें किसी व्यक्ति को पक्षकार नहीं बनाया गया हो
जिसका उस प्रॉपर्टी से अधिकार उत्पन्न हो रहा है ऐसे व्यक्ति को पार्टी नहीं बनाया गया हो तो उस व्यक्ति द्वारा आदेश 1 नियम 10 के प्रार्थना पत्र के अनुसार न्यायालय के अंदर पक्ष कार बनने प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है आइए देखते हैं इसका विस्तार से विवरण क्या है।
आदेश 1 नियम 10 C.P.C का विवरण?
यदि कोई व्यक्ति जो दावा पेश करें यानी कि दावा पेश करने वाला वादी माना जाता है और वह कुछ नहीं व्यक्तियों को पक्षकार बनाएं तथा किसी आवश्यक पक्षकार को दावे में बतौर प्रतिवादी पक्षकार ना बनाएं और उस व्यक्ति का उस दावे में अधिकार उत्पन्न हो रहा हो तो वह व्यक्ति किस प्रकार दावे में पक्षकार बन सकता है।
यह न्यायालय को ऐसा प्रतीत हो कि किसी व्यक्ति को सब जानते हुए भी पक्षकार नहीं बनाया गया है। जबकि वह व्यक्ति उस दावे में एक आवश्यक पक्षकार है तो न्यायालय द्वारा किस प्रोविजन के अंतर्गत उस व्यक्ति को दावे में पक्षकार बनाया जा सकता है आइए देखते हैं हम प्रोविजन के तहत यह होता है।
आदेश 1 नियम 10 C.P.C से पक्ष कार कैसे बनाया जाए?
न्यायालय किस प्रोविजन के अनुसार किसी वाद पत्र में किसी अन्य व्यक्ति को पक्षकार बनाया जा सकता है यह आदेश 1 नियम 10 सीपीसी इस बारे में बताता है दोस्तों पक्षकार दो प्रकार के होते हैं एक Necessary Party और दूसरी proper party Necessary party वह होती है जिसके बिना दावे में रिलीफ नहीं दी जा सकती है या दावे का निस्तारण ही नहीं हो सकता
और proper party वह होती है जिसका होना दावों के एडजडिकेशन के लिए आवश्यक है । ऐसे किसी भी व्यक्ति को दावे में वादी या प्रतिवादी पक्षकार बनाया जा सकता है जिसका उस दावे में कहीं ना कहीं अधिकार उत्पन्न हो रहा हो। दावे के किसी भी स्टेज पर किसी भी व्यक्ति को न्यायालय द्वारा वादिया प्रतिवादी पक्षकार बनाया जा सकता है आदेश 1 नियम 10 CPC के अनुसार इस बारे में आदेश 1 नियम 10 के क्या प्रोविजन है जो निम्न प्रकार है
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आदेश 1 नियम 10 CPC की धारा 1 क्या कहती है?
आदेश 1 नियम 10 CPC की धारा एक क्या कहती है कि किसी व्यक्ति को दावे में अगर गलत वादी या गलत नाम से बना दिया गया हो और न्यायालय को यह लगता है कि यह गलती बोनाफाइड हुई है तो न्यायालय द्वारा उस सही व्यक्ति को वादी बनाया जा सकता है।
आदेश 1 नियम 10 CPC की धारा 2 क्या कहती है?
आदेश 1 नियम 10 CPC की धारा दो यह कहती है कि किसी भी व्यक्ति को दावे में वादी या व प्रतिवादी बनाया जा सकता है। यह किसी व्यक्ति के प्रार्थना पत्र बनाया जा सकता है या न्यायालय कोई लगता है कि इस पक्ष कार का होना या इस प्रकार के अधिकारों का वास्तविक हनन हो रहा है तो न्यायालय सुमोटो पक्षकार बना सकती है
आदेश 1 नियम 10 CPC की धारा 3 क्या कहती है?
आदेश 1 नियम 10 CPC की धारा 3 यह कहती है कि वादी की किसी विकलांगता के कारण अगर कोई अन्य पक्षकार बनाया जा सकता है तो वह वादी की सहमति से ही बनाया जा सकता है
आदेश 1 नियम 10 CPC की धारा 4 क्या कहती है?
आदेश 1 नियम 10 CPC की धारा 4 यदि किसी प्रतिवादी को पक्षकार बनाया गया है तो उसको उसके बाद की प्रतियां दी जाएगी तथा दावे को अमेंड किया जाएगा।
आदेश 1 नियम 10 CPC की धारा 5 क्या कहती है?
आदेश 1 नियम 10 CPC की धारा 5 यह कहती है की किसी दावे में बतौर प्रतिवादी अगर पक्षकार बनाया गया है तो उसका दावे का आरंभ जब माना जाएगा जबकि नोटिस तमिल हो चुके हो या नोटिस ओं की सर्विस हो चुकी हो।
आदेश 1 नियम 10 CPC में पक्षकार बनने के प्रार्थना पत्र को किस प्रकार प्राप्त किया जाना चाहिए या किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- जिस न्यायालय में दवा पेश किया गया हो उसी न्यायालय में आदेश 1 नियम 10 CPC का प्रार्थना पत्र पेश होगा
- प्रार्थना पत्र पर उस माननीय न्यायालय का पूरा नाम अंकित होना चाहिए।
- दावे का नाम वह दावे के नंबर लिखने होते हैं
- और उस दावे पर जो उनवान लिखा हो यानी कि जिस टाइटल्स से दावा पेश हुआ हो वही टाइटल आप को प्रार्थना पत्र में लिखना होता है।
- और जिस व्यक्ति को उस दवाई में पक्षकार बन्ना हो उसको उस प्रार्थना पत्र में यह है ड्राफ्ट करना होता है कि इस दावे में इस संपत्ति से मेरा क्या ताल्लुक है कि मैं क्यों आवश्यक पक्षकार हूं यह बातें लिखनी होती है और तथा मुझे सुने बिना इस मामले का निस्तारण अगर कर दिया गया तो मेरे अधिकारों का हनन होगा यह ड्राफ्ट आदेश 1 नियम 10 CPC के प्रार्थना पत्र में अंकित करना होता है।
- और इस प्रार्थना पत्र में यह भी लिखना होता है कि वादी द्वारा आपसे जो रिलीज चाही गई हो वह मुझे सुने बिना ना ही दी जाए या मेरे अधिकारों को ध्यान में रखते हुए दी जाए यह भी अंकित करना होता है।
- आदेश 1 नियम 10 CPC के प्रार्थना पत्र के साथ शपथ पत्र भी संलग्न होता है।
- आदेश 1 नियम 10 CPC का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते समय पूर्ण रूप से न्याय शुल्क अदा करें।
- और दावे की जानकारी होते ही अति शीघ्र ही यह प्रार्थना पत्र न्यायालय के अंदर प्रस्तुत करें।
आदेश 1 नियम 10 CPC के संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय ने क्या सिद्धांत प्रतिपादित किये?
माननीय उच्चतम न्यायालय ने गुरमीत सिंह भाटिया बनाम किरण कांत के मामले में 17 जुलाई 2019 में डिसाइड किया और आदेश 1 नियम 10 सीपीसी के महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रतिपादित किए
1 उस व्यक्ति का जो की पक्षकार बना है उसका अधिकार होना चाहिए जो कंट्रोवर्सी इन वॉल है उसमें।
2 ऐसे व्यक्ति के बिना इफेक्टिव डिग्री पारित नहीं की जा सकती तो ऐसे व्यक्ति को पक्षकार बनाया जा सकता है।
इस प्रकार हमने देखा क्या आदेश 1 नियम 10 सीपीसी में किस प्रकार पक्षकार बनाया एवं हटाया जा सकता है और इसमें एक अधिवक्ता के माध्यम से आप आदेश 1 व नियम 10 का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं।
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Very informative video
thanks sir
CPC 10 Ke bare me janana hai
bataye sir kya jannna chate hai ap
एक वादी ने फर्जी पट्टा और फर्जी वसीयत बनाकर मेरे नाम से वैध प्लाट पर अधिकार बाबत सिविल कोर्ट में बाद प्रस्तुत कर स्टे और हक चाहा है,पट्टा जारी करने वाली संस्था ने और पुलिस ने पट्टा ,वसीयत को फर्जी साबित कर वादी को गिरफ्तार कर चालान हो गया,fsl से दस्तावेज फर्जी साबित हो गया, मैने प्लाट विधिवत बेच दिया तो वादी के आवेदन पर कोर्ट ने नियम एक धारा दस में खरीददार को भी पार्टी बनाने का आदेश दे दिया,क्या फर्जी प्रमाणित दस्तावेजों के होने पर भी सिविल वाद चलेगा।
नरेन्द्र सिंह गौड़, चितौड़ गढ़,9887020631
police ne jo chalan court m pesh kiya wo jurm prmanit ho chuka hai kya