सीआरपीसी की धारा 154 क्या है
हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सब मैं आशा करता हूं आप सभी स्वस्थ व कुशल मंगल तरीके से होंगे दोस्तों आज हम सीआरपीसी की धारा 154 के बारे में बात करेंगे सीआरपीसी की धारा 154 के तहत होने वाले अपराध कानून व न्याय प्रावधान की संपूर्ण जानकारी आपको प्राप्त कराएंगे
तथा सरल शब्दों में समझाने की कोशिश करेंगे की आपको सीआरपीसी की धारा 154 क्या है ? यह पूर्ण रूप से समझ सके।
मैं आशा करता हूं हमारे द्वारा किया गया प्रयास आप सभी को पसंद आ रहा होगा दोस्तों ऐसे ही हमारे साथ आगे भी बनें रहिए जिससे कि मैं आप तक एक से एक बेहतरीन जानकारियां प्राप्त करा सकू।
दोस्तों आज हम आपको यह बताने का प्रयास करेंगे कि दंड प्रक्रिया संहिता सीआरपीसी की धारा 154 के लिए किस तरह अप्लाई की जा सकती है सीआरपीसी की धारा 154 के तहत सभी पहलुओं के बारे में विस्तृत रूप से यहां समझाने का प्रयास करेंगे।
ऐसे ही हमारे साथ अंत तक बनी रही है और यह जानकारी प्राप्त कीजिए सीआरपीसी की धारा 154 क्या है।
सीआरपीसी की धारा 154 क्या है ?
धारा 154 के तहत किसी भी संगीन अपराध किए जाने से संबंधित हर एक खबर यदि पुलिस थाने के किसी भी अधिकारी को बोल कर बताई गई है उसके द्वारा या किसी और पुलिस अधिकारी द्वारा लिख ली जाएगी
और सूचना देने वाले को पुनः एक बार पढ़कर सुनाया जाएगा और एक ऐसी सूचना चाहे वह बोलकर बताई गई हो या लिख कर दी गई हो।
जिसके द्वारा दी जाएगी यानी कि जो भी उस खबर को बता रहा होगा उसके हस्ताक्षर उस कागज के पन्ने पर जिस पर सूचना लिखा गया है और उसका सार ऐसी पुस्तक में जो उस अधिकारी द्वारा ऐसे रूप में रखी जाएगी जिसे राज्य सरकार इस कारण नियमों के अनुसार उपयोग करेगी।
???? दोस्तों अक्सर हमें ऐसा सुनने में या देखने में आता है कि जब कभी किसी घटना को कोई व्यक्ति देखता या सुनता है तो वह व्यक्ति सबसे पहले पुलिस को इत्तिला करता है और पुलिस बिना सबूत या गवाह कि ऐसे मामले को सुनकर उस व्यक्ति पर भरोसा करना मुश्किल हो जाता है
कि वह व्यक्ति कहीं झूठ तो नहीं बोल रहा है या फिर उसकी कोई साजिश तो नहीं है या वह व्यक्ति किसी व्यक्ति को अपनी दुश्मनी निकालने के लिए फसाने की कोशिश तो नहीं कर रहा है।
उपधारा 1 के अनुसार लिखी हुई सूचना का मूल पत्र सूचना देने वाले को तत्काल निशुल्क दी जाएगी।
???? अगर कोई व्यक्ति किसी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के द्वारा बताए जाने वाले अभीलिखित या एफ आई आर लिखने से मना करने पर ऐसी सूचना का सार लिखित रूप में और डाक द्वारा संबंध पुलिस अधीक्षक को भेज सकता है
अर्थात यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि ऐसी सूचना से किसी संगीन अपराध का किया जाना प्रकट होता है।
या तो वह स्वयं उस मामले का निरीक्षण करेगा या अपने अधीनस्थ अपने किसी पुलिस अधिकारी द्वारा इस संहिता द्वारा उप बंधित रिती में निरीक्षण किए जाने का निर्देश जारी करेगा और उस अधिकारी को जो उस अपराध के संबंध में पुलिस थाने के अधिकारी की सभी शक्तियां होंगी।
दंड प्रक्रिया संहिता ( सीआरपीसी ) की धारा 154 के तहत महत्वपूर्ण जानकारी
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दोस्तों यह विकल्प जरूरी नहीं है कि जो भी व्यक्ति एफआईआर ( FIR ) दर्ज करा रहा है उसके पास उस अपराध के बारे में संपूर्ण जानकारी हो परंतु एफ आई आर दर्ज कराने वाले व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह पुलिस को अपने द्वारा बताए जाने वाले अपराध की पूरी जानकारी दें
जिस किसी व्यक्ति के साथ अपराध हुआ हो, या पीड़ित का कोई रिश्तेदार या नातेदार या दोस्त या कोई परिचित व्यक्ति यदि किसी व्यक्ति के पास किसी अपराध के बारे में जानकारी हो तो वह अपराध होने वाला है या हो चुका है ऐसे में जिस किसी व्यक्ति को ऐसी जानकारी हो वह उस जानने वाला या परिचित व्यक्ति के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करा सकता है।
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दोस्तों किसी भी परिस्थिति में एफ आई आर दर्ज करवाने में देरी नहीं करनी चाहिए अगर आपको उस अपराध के बारे में पता है।
अन्यथा जब कभी किसी अपराध करने वाले याहू चुका हो उस मामले के लिए एफ आई आर दाखिल करने के लिए कोई समय सीमा नहीं है अल्लाह की अपराध विधि इस सिद्धांत पर कार्य करती है कि चुकी किया गया एक अपराध सिर्फ पीड़ित के खिलाफ नहीं होता अपितु वह संपूर्ण समाज के खिलाफ एक अपराध होता है इसलिए समाज, सिविल मामलों में जैसे समय की पाबंदी या अपराधिक मामलों पर लागू नहीं होती है।
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✍️निष्कर्ष
दोस्तों इस लेख के जरिए हमने आपको बताया कि किस प्रकार किसी भी अपराध की सूचना किस तरह दी जाती है, अगर कोई पुलिस केस दर्ज करने से मना करती है तो अपराध के बारे में आप किसे सूचित कर सकते हैं,
कैसे किसी अपराध की एफ आई आर दर्ज करवाना चाहिए, लिखित शब्दों में दर्ज करवाना महत्वपूर्ण होता है, किसी भी अपराध में सबसे पहले एफ आई आर दर्ज करवाना चाहिए।
दोस्तों आज हमने आपको दंड संहिता की धारा सीआरपीसी 154 के तहत संपूर्ण जानकारियों को सरल व आसान शब्दों में समझाने का पूरा प्रयास किया गया है
दोस्तों अगर आपको सीआरपीसी की धारा 154 के तहत किसी भी कहीं भी किसी भी बात की शंका हो तो आप हमें बेझिझक होकर कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं जिससे कि आपके मन में उठी संका को हम जल्द से जल्द दूर करने की कोशिश करें और आप को संतुष्ट करने की कोशिश करेंगे।
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धन्यवाद
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