नमस्कार दोस्तो
आज हम आपको बताने जा रहे है वादपत्र के बारे में वादपत्र क्या होता है।ये कोन पेश कर सकता है और इसको पेश करने के लिए कोन कोन से दस्तावेजों की जरूरत होती है। वादपत्र सीविल प्रक्रिया संहिता 1908 के आदेश 7 के अनुसार न्यायालय के समक्ष कोई भी व्यक्ति वादपत्र पेश कर सकता है।वादपत्र न्ययालय के समक्ष प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति को वादी कहा जाता है।और उस वाद पत्र में जिन जिन व्यक्तियों को पक्षकार बनाया जाता है उन्हें प्रतिवादी या प्रतिवादी गण कहा जाता है।
वादपत्र (plaint) का विवरण ?
वादपत्र का साधारण भाषा मे यह तात्पर्य होता है कि किसी व्यक्ति द्वारा या वादी द्वारा न्ययालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है वादपत्र एक लिखित कथन होता है जिसमे वादी द्वारा उन तथ्यों या आधारों का लिखीत अभिकथन करता है जिन पर न्ययालय के समक्ष वादी द्वारा उन आधारों पर अनुतोष की मांग करता है।
वादी को अनुतोष पाने के की प्रक्रिया न्ययालय के समक्ष वादपत्र प्रस्तुत करने से है प्रारंभ होती है। plaint न्ययालय के समक्ष चलने योग्य तभी होगा जब आप द्वारा जो वादपत्र आपका कितना सफल होता है ये वादपत्र के अन्दर जो अनुतोष अपने मांगा है उसी के अनुरुप तथ्यों व आधारो को मजबूती ओर ठोस रूप से पेश करने होते है। जिनके आधार पर है वादी को अपने
plaint का साधारण भाषा मे यह तात्पर्य होता है कि किसी व्यक्ति द्वारा या वादी द्वारा न्ययालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है वादपत्र एक लिखित कथन होता है जिसमे वादी द्वारा उन तथ्यों या आधारों का लिखीत अभिकथन करता है जिन पर न्ययालय के समक्ष वादी द्वारा उन आधारों पर अनुतोष की मांग करता है।
वादी को अनुतोष पाने के की प्रक्रिया न्ययालय के समक्ष वादपत्र प्रस्तुत करने से है प्रारंभ होती है। plaint न्ययालय के समक्ष चलने योग्य तभी होगा जब आप द्वारा जो वादपत्र आपका कितना सफल होता है ये वादपत्र के अन्दर जो अनुतोष अपने मांगा है उसी के अनुरुप तथ्यों व आधारो को मजबूती ओर ठोस रूप से पेश करने होते है। जिनके आधार पर है वादी को अपने plaint द्वारा न्ययालय से मांगें गए अनुतोष प्राप्त होता है।
द्वारा न्ययालय से मांगें गए अनुतोष प्राप्त होता है।
वादपत्र की प्रक्रिया ?
वादपत्र न्यायालय में पेश किया जाना
प्रथम दृष्टया तो हम ये जानकारी देते है कि वादपत्र पेश कैसे किया जाता है वादपत्र हमेशा वादी द्वारा ही पेश किया जाता है वादपत्र हम हमारे क्षेत्राधिकार वाले न्ययालय के समक्ष पेश करना होता है। उसके पश्चात न्ययालय द्वारा plaint की पत्रावली को रिपोर्ट में भेज दिया जाता है रिपोर्ट का मतलब यही होता है
कि न्ययालय द्वारा दफ्तरी कार्यवाही करी जाती है जिसमे ये देखा जाता है कि वादपत्र उसी न्ययालय के क्षेत्राधिकार में आ रहा है या नही।अगर उसी न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आ रहा है तो न्ययालय द्वारा plaint को दर्ज कर लिया जाता है और उस पर न्यायालय के रजिस्टर्ड क्रमांक अंकित कर दिए जाते है।अगर क्षेत्राधिकार में नही है plaint तो न्ययालय द्वारा खारिज़ कर दिया जाता है।
टीआई(Temporary injunction) प्रार्थना पत्र क्या है
टीआई प्रार्थना पत्र क्या होता है प्रार्थना पत्र वाद पत्र या दावे के साथ में संलग्न प्रार्थना पत्र होता है जिसको टेंप रेली इंजेक्शन भी कहा जाता है इसके अंतर्गत न्ययालय से वादी द्वारा जो अनुतोष मांगा जाता है वह प्रथम दृष्टया टीआई पर दिया जाता है जोकि एक विवादित संपत्ति पर टीआई प्रार्थना पत्र पर आदेश कर दिया जाता है या रोक लगा दी जाती है जो कि अस्थाई रूप से वादी को स्टेट दे दिया जाता है उसके पश्चात plaint पर अवलोकन किया जाता है
विवाधको के समन ?
विवाधको का समन से तात्पर्य है कि किसी व्यक्ति द्वारा न्यायालय के समक्ष वाद पत्र प्रस्तुत किया जाता है उसे वादी कहा जाता है और उस वाद पत्र में जिन को पक्षकार बनाया जाता है उनको प्रतिवादी कहा जाता है न्यायालय के समक्ष जब वादी अपना वाद पत्र प्रस्तुत करता है उसके पश्चात न्यायालय द्वारा प्रतिवादी गणों को समन भेज जाते हैं जो कि एक बुलावा माना जाता है समान जाने के पश्चात या तमिल होने के पश्चात प्रतिवादी को न्यायालय में उपस्थित होना पड़ता है
वादी व प्रतिवादीगण की उपस्थिति व अनुपस्थिति के प्रभाव
वादी द्वारा न्यायालय में वाद पत्र प्रस्तुत किया जाता है उसके पश्चात वाद पत्र के अंतर्गत जिन को पक्षकार बनाया गया है वह प्रतिवादी गण होते हैं उनको न्यायालय द्वारा समन जारी किए जाता है यह उनको उपस्थित होने के लिए एक बुलावा पत्र होता है अगर न्यायालय में वादी प्रतिवादी दोनों उपस्थित हो जाते हैं प्रतिवादी समन की तामील होने के पश्चात न्यायालय के समक्ष अपने अधिवक्ता के साथ उपस्थित हो जाते हैं तो न्यायालय की कार्यवाही चलती रहती है ।
और अगर प्रतिवादी गण को समन तामील होने के पश्चात वह न्यायालय में उपस्थित नहीं होते हैं तो न्यायालय द्वारा वाद पत्र पर एक्स पार्टी मतलब एक पक्षीय कार्रवाई कर दी जाती है।
अगर सिविल कोर्ट में वसीयत के आधार वाद लंबित है तो क्या कोई पक्ष संबंधित सम्पत्ति को बेच सकता है?
अगर सिविल कोर्ट मे आपका कोई दावा या वाद कोर्ट मे लंबित है ओर कोर्ट द्वारा उस पर सटे दिया हुआ है तो किसी भी पक्षकार द्वारा संपति का बेचान नहीं किया जा सकता जब तक की उस वाद पर कोर्ट द्वारा कोई फेसला नहीं दिया जाता है|बहुत से मामलों मे कोर्ट द्वारा निर्माण पर भी रोक लगा दी जाती है न तो कोई पक्षकार संपति को बेच सकता है ना कोई निर्माण कर सकता है जब तक की कोर्ट मे उस संपति के संबंध मे कोर्ट मे मामला लंबित है |
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दस्तावेज पेश करना
वादी द्वारा न्यायालय के समक्ष विवादित संपत्ति या किसी प्रॉपर्टी के संबंध में जो वाद पत्र वादी ने पेश किया है आदेश 13 के अंतर्गत उस संपत्ति के मूल दस्तावेज पेश करने होते हैं जिनके आधार पर ही वाद पत्र आगे चलता है और मूल दस्तावेज या वाद पत्र को डिग्री कराने के लिए अतिआवश्यक है जिन पर न्यायालय विचारण करता है वाद पत्र तो न्यायालय के समक्ष मूल दस्तावेजों के छाया चित्रों से भी किया जा सकता है लेकिन जब वाद पत्र एविडेंस की स्टेज पर आ जाता है तो मूल दस्तावेज पेश करना आवश्यक हो जाता है वाद पत्र को डिग्री करवाने के लिए।
साक्ष्य की सूची
सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के आदेश 16 के अनुसार न्यायालय के समक्ष पक्षियों की सूची प्रस्तुत करना अति आवश्यक है एवं साक्ष्यों के शपथ पत्र पेश करना अति आवश्यक है जिनके आधार पर ही न्यायालय द्वारा निर्णय देते समय उन को मध्य नजर रखते हुए निर्णय डिग्री करता है
सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अंत के आदेश 18 के अनुसार न्यायालय के समक्ष साक्ष्यों का सूची लेखन करना भी अति आवश्यक होता है साक्ष्यों के बयान रिकॉर्ड किए जाते हैं साक्ष्य द्वारा न्यायालय के समक्ष शपथ पत्र पेश किया जाता है जिनमें उस वाद पत्र से संबंधित जानकारी जो भी उनको हो वह शपथ पत्र में लिखनी होती है और और न्यायालय द्वारा साक्षी लेखन किया जाता है
आदेश व डिग्री
न्यायालय द्वारा अंतिम में दोनों पक्षकारों को सुना जाता है जो वाद पत्र में अपने आप को अच्छे से न्यायालय के समक्ष साबित कर पाता है उस के पक्ष में न्यायालय द्वारा फैसला कर दिया जाता है न्यायालय द्वारा अगर वाद पत्र को डिग्री कर दिया जाता है तो वह वाद पत्र या डिग्री वादी के पक्ष में कर दी जाती है अगर न्यायालय द्वारा वाद पत्र को खारिज फरमा दिया जाता है तो वह प्रतिवादी के पक्ष में आदेश कर दिया जाता है यह एक दोनों में बहुत बड़ा अंतर है आदेश में डिग्री में इस प्रकार न्यायालय में plaint की प्रक्रिया चलती है
अपील
अगर सिविल वाद पक्षकार का निचली अदालत द्वारा खारिज कर दिया जाता है तो पक्षकार को उच्च अदालत मे जाने का अधिकार होता है अगर वादी द्वारा जिला न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है तो अगर वादी का सिविल वाद जिला न्यायाधीश द्वारा खारिज कर दिया जाता है तो उसकी अपील उच्च न्यायालय मे की जा सकती है
वाद पत्र पेश करने में वकील की जरूरत क्यों पड़ती है
वाद पत्र पेट करते समय वकील की जरूरत हमेशा होती है वाद पत्र एक सिविल नेचर का मामला होता है जिसमें संपत्ति से जुड़े मामला पर न्यायालय के समक्ष विवाद चलते हैं किसी संपत्ति पर आपको स्टे लेना है निर्माण रुकवा ना है आदि के चलते वाद पत्र पेश करना होता है जिसमें वकील के अहम भूमिका होती है
वकील आपको एक ऐसा करना है जो दीवानी मामलों में पारंगत हो या निपुण हो। ऐसा ही वकील आपको हायर करना होता है जिसमें आपको वह मुकदमा जिता सके इसके अंतर्गत वकील की एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है वकील यह कैसा प्राणी है जो आपको इस जाल से या इस मुकदमे से जीत दिलवा सकता है इसलिए वकील करना अति आवश्यक होता है या वकील की जरूरत बहुत पड़ती है
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मेरा नाम दीपेन्द्र सिंह है पेशे से मे एक वकील हू| MYLEGALADVICE ब्लॉग का लेखक हू यहा से आप सभी प्रकार की कानून से संबंद रखने वाली हर जानकारी देता रहूँगा जो आपके लिए हमेशा उपयोगी रहेगी | इसी अनुभव के साथ जरूरत मंद लोगों कानूनी सलाह देने के लिए यक छोटा स प्रयास किया है आशा करता हू की मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी रहे |यदि आपको कोई कानूनी सलाह या जानकारी लेनी हो तो नीचे दिए गए संपर्क सूत्रों के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है |
हेलो सर् मैं लॉ स्टूडेंट हु सर् अपने ब्लॉग के साथ कुछ केस फ़ाइल ऐड केजिये या केस न. जिससे प्रैक्टिकल में नॉलेज अच्छे से आ जाए
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मेरे पापा कि बहींन ने उनके नाम कि जमीन उनके पोती के नाम से दान कर दी तु क्या इस पर कोर्ट से स्टै आर्डर ला सकते है क्या ओर कितेने समय के लिए
jamin apke papa ke naam thi kyaa