आत्मरक्षा क्या है आत्मरक्षा रक्षा कानून के बारे में 1 पूरी जानकारी

आत्मरक्षा क्या है

दोस्तो व मेरे मित्रो आत्मरक्षा एक ऐसा अधिकार है जो सिर्फ कानूनी ही नही बल्कि मौलिक अधिकार भी है जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 मे मिले जीवन के अधिकार तहत आता है जिसकी जानकारी होना अतिआवश्यक प्रतित होता है एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 96 से 106 तक कि धारा में सभी व्यक्तियों को आत्मरक्षा का अधिकार दिया गया है

कोई भी व्यक्ति स्वम की जान माल कि रक्षा के लिए किसी व्यक्ति विशेष को रोके और कोई भी साधन उपयोग करके अपनी जान व माल की रक्षा करें वह आत्मरक्षा होती है जिसे प्रतिरक्षा भी कहा जाता है।।।

 

आत्मरक्षा की परिस्थितिया

आत्मरक्षा की परिस्थितिया निम्न प्रकार से होती है

  • म्रत्यु की आशंका
  • गंभीर चोट
  • बलात्कार
  • एसिड हमला
  • अपहरण
  • अप्राकृतिक दुष्कर्म

दोस्तों व मेरे साथियों आत्मरक्षा एक अधिकार होता है जिसमे इस प्रकार की परिस्थिति होती है ।जैसे कि जब किसी व्यक्ति को लगे कि मेरी जान को ख़तरे में है ।

और उसे लगे कोई व्यक्ति उसे जान से मार ही देगा और उसके पास कोई जानलेवा हतियार भी हो तो उससे बचने के लिए उस पर हमला करना आत्मरक्षा हैं।और इस प्रकार भी हो सकता है

सामने वाला व्यक्ति आपसे ज्यादा ताकतवर है तो उससे लडने के लिए प्रयाप्त बल ना होने की स्थिति में भी किसी भी हतियार का प्रयोग करना भी आत्मरक्षा है

आत्मरक्षा में जान का खतरा होना भी जरुरी

आत्मरक्षा में कुछ अधिकार आम इंसान के लिए भी होते है।अगर किसी व्यक्ति विशेष ने अपनी आत्मरक्षा मे किसी अन्य व्यक्ति पर गोली चला दी तो उसे साबित करना होगा कि गोली चलाए बिना उसकी जान नही बच सकती थी ।

अगर 4 से 5 व्यक्ति हतियारो के साथ किसी घर मे लुट या चोरी की इच्छा से घर मे प्रवेश करते है।तो ऐसी स्थिति में घर मे रह रहे लोगो को जान को खतरा हो सकता है ऐसी स्थिति में घर का कोई भी व्यक्ति अपने लाइसेंस हतियार से गोली चला सकता है

अगर इस गोलाबारी मे किसी अभियुक्त की हत्या हो जाती है तो वह घर का व्यक्ति अपनी आत्मरक्षा की दलील दे सकता हैं।और अगर कोई व्यक्ति बिना हतियार के चोरि के आशय से घर मे चोरी करने घुस जाता हैं तो उस सुरत मे व्यक्ति पर गोली चलाना आत्मरक्षा की परिधी से बाहर होगा। क्योंकि ऐसी स्थिति मे उसे लकडी या डन्डे से मारने पर भी बचाव हो सकता था।

 

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आत्मरक्षा का अधिकार कब प्राप्त नही हैं

यदि कोई लोक सेवक या सरकारी कर्मचारी कोई कार्य म्रत्यु या नुकसान की आशंका युक्ति युक्त रूप से नही होती और वह शान्ति पूर्ण या सदभावपूर्ण अपने पद पर कार्य करता है।

जैसे : कि लोक सेवक के निर्दश पर कार्य करना उदाहरण _ कोर्ट के लाठीचार्ज के आदेश ओर पुलिस द्वारा कार्यवाही

ऐसे समय मे जब सुरक्षा के लिए उचित अधिकारियों की सहयता प्राप्ति के लिए समय हो

आत्मरक्षा अधिकार की सीमाएं

राइट टू सेल्फ डिफेंस का अधिकार यानी आत्मरक्षा का अधिकार आप किसी भी व्यक्ति को उतना ही नुकसान पंहुचा सकते है जितना वो आपको पंहुचाना चाहता है।

उदहारण कोई व्यक्ति आपके ऊपर लकड़ी से हमला करता है तो आप भी अपनी आत्मरक्षा में लकड़ी का इस्तेमाल कर सकते है।

भीड़ नही उतार सकती गुस्सा

कई बार आपने देखा होगा कि गली मोहल्ले मैं

आवारा लोग महिलाओं के साथ छेड़छाड़ या मोहल्ले में चोरी करते पकड़े जाते है ओर गुस्से मैं भीड़ उनके साथ मारपीट करती रहती है लेकिन क़ानूनी तौर से किसी भी अभियुक्त के साथ मारपीट नही की जा सकती।

धारा_43 (दण्ड प्रक्रिया संहिता) के तहत आम लोगों का यही अधिकार है कि संगये अपराध होने की स्थिति में अभियुक्त को पकड़ सकती है और पुलिस के हवाले कर सकती है

लेकिन कानून किसी को अपने हाथ मे लेने का अधिकार नहीं है।।अभियुक्त के साथ पुलिस भी मारपीट नही कर सकती। किसी भी अभियुक्त को कानून के तहत है सजा दी जा सकती है।

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