SECTION 507 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 507 क्या है What is section 507 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 507 के बारे में क्या होती है 507 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी धारा 507 अनाम संसूचना द्वारा आपराधिक अभित्रास – 

जो कोई अनाम संसूचना द्वारा या उस व्यक्ति का, जिसने धमकी दी हो, नाम या निवास स्थान छिपाने की पूर्वावधानी करके आपराधिक अभित्रास का अपराध करेगा, वह पूर्ववर्ती अन्तिम धारा द्वारा उस अपराध के लिए उपबन्धित दण्ड के अतिरिक्त, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा । 

आईपीसी धारा 507 का विवरण –  

अनाम संसूचना द्वारा आपराधिक अभित्रास करना इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है। इसके अनुसार, जो कोई अनाम संसूचना द्वारा या उस व्यक्ति का, जिसने धमकी दी हो, नाम या निवास स्थान छिपाने की पूर्वावधानी करके आपराधिक अभित्रास का अपराध करेगा, वह धारा 506 द्वारा उस अपराध के लिए उपबन्धित दंड के अतिरिक्त, या दो वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा । 

इस धारा के अधीन अपराध द्वारा या तो अनाम संसूचना द्वारा या धमकी देने वाले व्यक्ति का नाम या निवास स्थान छिपाने की पूर्वावधानी करके आपराधिक अभित्रास कारित किया जाना आवश्यक है शब्दों ‘नाम’ तथा ‘ निवास ‘ के बीच और शब्द का प्रयोग न करके या शब्द का प्रयोग किया गया है,

 जिससे यह स्पष्ट है कि धमकी देने वाले व्यक्ति का नाम और निवास स्थान दोनों को छिपाने की आवश्यकता नहीं है, इनमें से एक को छिपाना ही पर्याप्त है इस धारा में प्रयुक्त भाषा से यह स्पष्ट है कि इस धारा के अधीन अधिरोपित दंड धारा 506 के अधीन अधिरोपित दंड के अतिरिक्त्त होगा, और दोनों दंड मिलकर यह स्वाभाविक है 

कि कारावास की अवधि अधिक होगी। दूसरे शब्दों में, धारा 507 आपराधिक अभित्रास का एक गम्भीर रूप है दैवी दंड की धमकी के अधीन धन प्राप्त करना दंडनीय नहीं है क्योंकि अपराधी स्वयं दी गई धमकी को न तो पूरा कर सकता है और न ही पूरा करवा सकता है। 

इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय, जमानतीय और अशमनीय है, और यह मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग द्वारा विचारणीय है 

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साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 507 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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