SECTION 493 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 493 क्या है What is section 493 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 493  के बारे में क्या होती है 493 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी की धारा 493 के अनुसार विधिपूर्ण विवाह का प्रवंचना से विशवास उत्प्रेरित करने वाले पुरूष द्वारा कारित सहवास –  हर पुरूष, जो किसी स्री को, जो विधिपूर्वक उससे विवाहित न हो, प्रवंचना से यह विशवास कारित करेगा कि वह विधिपूर्वक उससे विवाहित है

और इस विशवास में उस स्री का अपने साथ सहवास या मैंथुन कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।

आईपीसी की धारा 493 का विवरण Details of section 493 of IPC

विधिपूर्ण विवाह का प्रवंचना से विशवास उत्प्रेरित करने वाले पुरूष द्वारा कारित सहवास  इस धारा के अधीन दण्डनीय अपराध है । इसके अनुसार, हर पुरूष किसी स्री को, जो विधिपूर्वक उससे विवाहित न हो, प्रवंचना से यह विशवास कारित करेगा

कि वह विधिपूर्वक उससे विवाहित है, और इस विशवास में उस स्त्री का अपने साथ सहवास या मैथुन कारित करेगा, वह दस वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से दंडीत किया जाएगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।

इस धारा के अधीन अपराधी पुरुष के द्वारा किसी ऐसी स्त्री को, जो विधिपूर्वक उससे विवाहित न हो, आठ

अर्थात वे दोनों पति- पत्नी न हो, प्रवंचना से यह विशवास कारित किया जाना चाहिए कि वह विधिपूर्वक उससे विवाहित है, अर्थात वे दोनों पति-पत्नी हैं । इस विशवास मे उस स्त्री का अपने साथ सहवास या मैंथुन कारित किया जाना चाहिए ।

पुरुष अपराधी विवाहित भी हो सकता है, और अविवाहित भी, परन्तु पीड़ित स्त्री उस पुरुष अपराधी से विधिपूर्वक विवाहित नहीं होना चाहिए । पुरूष अपराधी के द्वारा प्रवंचना से उस पीड़ित स्त्री में यह विशवास कारित किया जाना चाहिए कि उसके साथ अपराधी ने जो कोई अनुष्ठान कारित किया या करवाया था,

उसके द्वारा उन दोनों के बीच विधिमान्य विवाहित सम्बन्ध बन गए, और इस प्रकार प्रवंचना से उसके द्वारा उस स्त्री में यह विशवास कारित किया जाना चाहिए कि वह विधिपूर्वक उससे विवाहित है, और इस विशवास में उस स्त्री का अपने साथ सहवास या मैथून कारित किया जाना चाहिए ।

जहाँ अभियुक्त पुरुष ने पीड़ित स्त्री को प्रवंचना से यह विशवास कारित नही किया कि वह उससे विधिपूर्वक विवाहित है, पर वे दोनों पति- पत्नी की तरह कदाचित उसकी ओर से इस आशवासन पर साथ रहने लगे कि वह जीवन पर्यन्त उसकी देखभाल करता करेगा,

यह धारा लागू नहीं होती इसी प्रकार, जहां अभियुक्त पुरुष ने पीड़ित स्त्री को यह वचन दिया, कि वह उससे विवाह करेगा, और उसने अन्य लोगों के सम   उसे अपनी स्त्री के रूप में ही प्रस्तुत किया, उसे इस धारा के अधीन दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

जहां इस बात का कोई सबूत नहीं था कि अभियुक्त ने एक स्त्री को यह विशवास करने के लिए मिथ्या उत्प्रेरित किया कि केवल मालाओ के द्वारा उसका विवाह अभियुक्त के साथ हो गया था, और अभियुक्त और उस स्त्री ने सहवास किया, और जब वह गर्भवती हो गई तो अभियुक्त ने उससे विवाह करने का वचन दिया, यह दर्शता है

कि वह यह तथ्य जनता था कि उन दोनों के बीच विधिमान्य विवाह नही हुआ था, और इसलिए उसकी ओर से कोई प्रवंचना नहीं थीं । दंड प्रकिया सहिता, 1973 की धारा 198 (1) के अनुसार कोई न्यायालय भारतीय दण्ड सहिता के अध्यय 20 के अधीन दण्डनीय अपराध का संज्ञान ऐसे अपराध से व्यथित किसी व्यक्ति द्वारा किए गए परिवाद पर ही करेगा, अन्यथा नहीं,

और इसके साथ कुछ उपबंध है । जहाँ किसी पुरूष के विरुद्ध मामला पीड़ित स्त्री के परिवाद पर प्रारंभ हुआ, पर मामले के लम्बन के दौरान उस स्त्री की मृत्यु हो गई, मृतक की मां को मामले को तर्कसंगत अन्त तक ले जाने के लिए अनुमति दी गई ।

आईपीसी की धारा  493 मे सजा के प्रावधान Punishment provisions in section 493 of IPC

धोखे से वैध विवाह के विश्वास को प्रेरित करने वाले व्यक्ति द्वारा कारित सहवास। 10 साल तक की कैद और जुर्माना। प्रथम श्रेणी के गैर-संज्ञेय गैर-जमानती मजिस्ट्रेट।

SECTION 493 IPC IN ENGLISH 

 

साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 493 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

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