आईपीसी की धारा 474 क्या है What is section 474 of IPC
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा के 474 बारे में क्या होती है 474 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
आईपीसी की धारा 474 धारा 466 या 467 में वर्णित दस्तावेज को (या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख ) को, उसे कूटरचित जानते हुए और उसे असली के रूप मे उपयोग में लाने का आशय रखते हुए कब्जे में रखना –
जो कोई किसी दस्तावेज ( या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख ) को, उसे कूटरचित जानते हुए और यह आशय रखते हुए कि वह कपटपूर्वक या बेईमानी से असली के रूप में उपयोग में लायी जाएगी, अपने कब्जे में रखेगा, यदि वह दस्तावेज ( या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख ) इस संहिता की धारा 466 में वर्णित भांति की हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा
और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा, तथा यदि वह दस्तावेज धारा 467 में वर्णित भांति की हो तो वह आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
आईपीसी धारा 474 का विवरण Details of IPC Section 200
इस धारा के अंतर्गत अभियुक्त के द्वारा किसी कूटरचित दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को अपने कब्जे में रखा जाना चाहिए । उसे इस बात का ज्ञान होना चाहिए या उसका यह आशय होना चाहिए कि वह दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख कपटपूर्वक या बेईमानी से असली के रूप में उपयोग में लाई जायेगी यदि वह दस्तावेज धारा 467 में वर्णित भांति की हो और तब यह अपराध किया जाए
तो यह अत्यंत गम्भीर अपराध है, और यदि वह धारा 466 में वर्णित भांति की हो तो यह उतना गम्भीर नहीं, पर गम्भीर अपराध है । अभियुक्त का आशय पूर्ण होता है या नहीं, यह बात महत्वपूर्ण नहीं है यह धारा संहिता की धाराओ 242, 243 और 259 क समान है, और इसके द्वारा अपराध की तैयारी को इस धारा के पृष्ठ भाग के अधीन दंडित किया गया है ।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि जहां अभियुक्त, जो कि सतर्कता विभाग में संयुक्त निदेशक था, कि कब्जे में कतिपय कल्पित दस्तावेज पाए गए, जो समय – समय पर कतिपय व्यक्तियों को आपराधिक मामलों में सम्मिलित करने के प्रयोजन से तैयार किए जाते रहे,
यह निष्कर्ष कि अभियुक्त एक धोखेबाज था और उसका आशय उन दस्तावेजों का उपयोग करना था, निकाला जा सकता था । परन्तु यह बात ध्यान में रखने योग्य हैं कि ऐसा निष्कर्ष केवल बहुत प्रभावी साक्ष्य एवं मामले के सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर ही निकाला जाएगा । एक ऐसी महत्वपूर्ण परिस्थिति यह हो सकती हैं कि क्या अभियुक्त सन्तोषजनक रूप से यह स्पष्ट कर सकता है कि अपराध में फंसाने वाला दस्तावेज उसके कब्जे में कैसे आया ।
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निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 474 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं
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मेरा नाम दीपेन्द्र सिंह है पेशे से मे एक वकील हू| MYLEGALADVICE ब्लॉग का लेखक हू यहा से आप सभी प्रकार की कानून से संबंद रखने वाली हर जानकारी देता रहूँगा जो आपके लिए हमेशा उपयोगी रहेगी | इसी अनुभव के साथ जरूरत मंद लोगों कानूनी सलाह देने के लिए यक छोटा स प्रयास किया है आशा करता हू की मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी रहे |यदि आपको कोई कानूनी सलाह या जानकारी लेनी हो तो नीचे दिए गए संपर्क सूत्रों के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है |