आईपीसी की धारा 429 क्या है What is section 429 of IPC
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 429 के बारे में क्या होती है 429 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
आईपीसी धारा 429 किसी मूल्य के ढोर आदि को या पचास रुपये के मूल्य के किसी जीव – जन्तु को वध करने या उसे विकलांग करने द्वारा रिष्टि
जो कोई किसी हाथी, ऊंट, घोड़े, खच्चर, भैस, सांड, गाय या बैल को चाहे उसका कुछ भी मूल्य हो, या पचास रुपये या उससे अधिक मूल्य के किसी भी अन्य जीव – जन्तु को वध करने, विष देने, विकलांग करने या निरुपयोगी बनाने द्वारा रिष्टि करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
आईपीसी धारा 429 का विवरण Details of IPC Section 429
किसी मूल्य के ढोर आदि को या पचास रुपये या अधिक के मूल्य के किसी जीव – जन्तु को वध करने या उसे विकलांग करने द्वारा रिष्टि करना इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है इसके अनुसार,
जो कोई, किसी हाथी, ऊंट, घोड़े, खच्चर, भैस, सांड, गाय या बैल को चाहे उसका मूल्य कुछ भी हो, या पचास रुपये या अधिक मूल्य के किसी भी अन्य जीव – जन्तु को वध करने, विष देने, विकलांग करने या निरुपयोगी बनाने द्वारा रिष्टि करेगा, वह पांच वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जायेगा ।
धारा 428 की तरह ही इस धारा के अधीन भी चार प्रकारों में से किसी भी प्रकार से, अर्थात वध करने, विष देने, विकलांग करने या निरुपयोगी बनाने द्वारा रिष्टि किया जाना आवश्यक है इस धारा में पशुओं के दो वर्ग किए गए हैं एक वर्ग, जिन्हे ढोर कहा गया है, जिसमें सात प्रकार के पशुओ को सम्मिलित किया गया है
के लिए कोई मूल्य निश्चित नहीं किया गया है, और उनकी रिष्टि को इस धारा में दंडित किया गया है दूसरे प्रकार के पशुओं को अन्य जीव – जन्तु कहा गया है जिसके लिए पचास रुपये या अधिक का मूल्य निश्चित किया गया है, और उनकी रिष्टि को इस धारा के अधीन ही दंडित किया गया है
इस धारा के अंतर्गत कारावास की अवधि से यह स्पष्ट है कि यह एक गम्भीर अपराध है आज के युग में पचास रुपये की राशि अत्यधिक कम है इस प्रकार, द्वितीय भाग के अंतर्गत रिष्टि संहिता के अधिनियमित किए जाने के समय से अब अप्रत्यक्षतः अधिक गम्भीर बन गई है ।
चूंकि इस धारा के अधीन रिष्टि का कारित किया जाना आवश्यक है इसलिए धारा 425 के अंतर्गत उल्लिखित रिष्टि के आवश्यक तत्व साबित किए जाने चाहिए । इस प्रकार, सदोष हानि या नुकसान कारित करने का आशय या ज्ञान होना अभियुक्त के दोषी होने के लिए आवश्यक है
जहां अभियुक्त का आशय परिवादी के ऊपर पत्थर फेकना था, पर दुर्घटनावश वह पत्थर परिवादी के बछडे को लगा जिससे बछड़ा मर गया, यह अभिनिर्धारित किया गया
कि इस धारा के अधीन अपराध कारित नहीं किया गया क्योंकि अभियुक्त का अपेक्षित आशय या ज्ञान अनुपस्थित था । भारतीय दंड संहिता की धारा 429 के अधीन अपराध और वन्य जीव ( संरश्रण ) अधिनियम 1972 की धारा 50 के साथ धारा 9 (1) के अधीन अपराध सारतः समान है और इसलिए दोहरा परिसंकट का वर्जन प्रवतिर्त नहीं होगा ।
इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय, जमानतीय और शमनीय है । यदि विचारणीय न्यायालय ने ऐसा करने की अनुमति दे दी हो, और यह प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ।
यह भी पढे
- धारा 138 NI Act चेक बाउंस क्या है ।
- आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता क्या है ?
- आईपीसी की धारा 166 क्या है ?
- धारा 376 क्या हैं इससे बचने के उपाय ।
- धारा 307 Ipc क्या है इससे बचने के उपाय
निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 429 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं
अगर आपको इस सवाल से जुड़ी या किसी अन्य कानून व्यवस्था से जुड़ी जैसे आईपीसी, सीआरपीसी सीपीसी इत्यादि से जुड़ी किसी भी सवालों की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बेझिझक होकर कमेंट कर सकते हैं और आपके सवालों के उत्तर को हम जल्द से जल्द देने का हम पूरा प्रयास करेंगे।
अगर आप हमारे जानकारी से संतुष्ट है तो आप हमारे ब्लॉग पेज mylegaladvice.in को लाइक करिए तथा अपने दोस्तो के साथ इस आर्टिकल को शेयर करिए जिससे उन्हें भी इस धारा 429 आईपीसी की जानकारी प्राप्त हो सके और किसी जरूरतमंद की मदद हो जायेगी।

मेरा नाम दीपेन्द्र सिंह है पेशे से मे एक वकील हू| MYLEGALADVICE ब्लॉग का लेखक हू यहा से आप सभी प्रकार की कानून से संबंद रखने वाली हर जानकारी देता रहूँगा जो आपके लिए हमेशा उपयोगी रहेगी | इसी अनुभव के साथ जरूरत मंद लोगों कानूनी सलाह देने के लिए यक छोटा स प्रयास किया है आशा करता हू की मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी रहे |यदि आपको कोई कानूनी सलाह या जानकारी लेनी हो तो नीचे दिए गए संपर्क सूत्रों के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है |