SECTION 397 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 397 क्या है What is section 397 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा  के 397 बारे में क्या होती है 397 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी धारा 397 मृत्यु या घोर उपहति कारित करने के प्रयत्न के साथ लूट या डकैती IPC Section 397 Robbery or dacoity with attempt to cause death or grievous hurt 

यदि लूट या डकैती करते समय अपराधी किसी घातक आयुध का उपयोग करेगा, या किसी व्यक्ति को घोर उपहति कारित करेगा, या किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करने या उसे घोर उपहति कारित करने का प्रयत्न करेगा, तो वह कारावास, जिससे ऐसा अपराधी दण्डित किया जाएगा, सात वर्ष से कम का नहीं होगा । 

SECTION 397 IPC IN ENGLISH

आईपीसी धारा 397 का विवरण Details of IPC Section 397

मृत्यु या घोर उपहति कारित करने के प्रयत्न के साथ लूट या डकैती इस धारा के अधीन दण्डनीय अपराध है इसके अनुसार, यदि लूट या डकैती करते समयअपराधी किसी घातक आयुध का उपयोग करेगा, या किसी व्यक्ति को घोर उपहति करेगा, या किसी व्यक्ति की मृत्यु  या घोर उपहति कारित करने का प्रयत्न करेगा, तो वह कम से कम सात वर्ष के कारावास से दंडित किया जाएगा । 

जैसा कि स्पष्ट है यह धारा एक न्यूनतम आवश्यक दंड, सात वर्ष के कारावास की व्यवस्था करती है यह धारा लूट करने पर भी लागू होती है और डकैती पर भी । लूट या डकैती करते समय अपराधी के द्वारा घातक आयुध का उपयोग किया जाना चाहिए,

या किसी व्यक्ति को घोर उपहति कारित की जानी चाहिए, और यह आवश्यक नहीं है कि घोर उपहति उसी व्यक्ति की कारित की जाए जिसकी सम्पति के विरुद्ध लूट या डकैती का अपराध किया जा रहा है, या किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करने का प्रयत्न या उसे घोर उपहति कारित करने का प्रयत्न किया जाना चाहिए ।

किया जाएगा अभिव्यक्ति का प्रयोग इस धारा को आज्ञापक रूप प्रदान करता है यह  धारा एक अधिष्ठयी धारा नहीं है, बल्कि यह धाराओ 392 और 395 कि  पूरक हैं। इस धारा में इस बात पर बल दिया गया है कि लूट या डकैती कारित करते समय जब परिस्थितियों ऐसी हो जैसी कि इस धारा में दर्शाई गई है तब न्यायालय न्यूनतम सात वर्ष के कारावास का दंड देने के लिए आबद्ध है।

जहां अभियुक्तो ने घातक  आयुधों को घुमाया और व्यक्तियों को यह धमकी दी कि यदि उन्होंने उनके द्वारा परिवादियों के तालाब से मछली ले जाने में हस्तक्षेप किया तो उसके गम्भीर परिणाम होंगे, यह अभिनिर्धारित किया गया कि अभीयुक्तगण धाराओ 395और 397 के अधीन दोषी थे । 

यद्यपि अभिव्यक्ति घातक आयुध को भारतीय दंड संहिता में परिभाषित नहीं किया गया है तो भी इसका सामान्य तातपर्य कोई ऐसा आयुध है जो मृत्युकारक क्षमता रखता हो। स्वाभाविकतः आयुध की प्रकृति और इसके उपयोग करने का ढंग महत्वपूर्ण बातें हैं किसी भी अभियुक्त को घटना के छः दिन पश्चात किसी स्थान से खाली कारतूसी प्राप्त होने पर इस आधार पर दोषसिद्ध नहीं किया जा सकता

कि वे कारतूसी अभियुक्त की बन्दूक से चलाई गई हो सकती है उच्चतम न्यायालय ने रामशंकर बनाम राज्य में यह अभिनिर्धारित किया है कि यद्यपि न्यायालय इस धारा के अधीन न्यूनतम सात वर्ष के कारावास का दंड देने के लिए आबद्ध है, पर वे सदा ही सरकार को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 432के अधीन, जिसके अंतर्गत सरकार को दडादेशो के परिहार या लघुकरण की शक्ति प्राप्त है, दया के लिए सिफारिश कर सकते हैं ।

 

 

साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 397 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

 कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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