SECTION 293 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 293 क्या है What is section 293 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 293 के बारे में क्या होती है 293 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी धारा 293 तरुण व्यक्ति को अशलील वस्तुओं का विक्रय आदि 

 जो कोई बीस वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को कोई ऐसी अशलील वस्तु, जो अंतिम पूर्वगामी धारा में निर्दिष्ट है, बेचेगा, भाड़े पर देगा, वितरण करेगा, प्रदर्शित करेगा या परिचालित करेगा या ऐसा करने की प्रस्थापना या प्रयत्न करेगा।

प्रथम दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से, जो दो हजार रुपए तक का हो सकेगा, तथा द्वितीय या पश्चात वर्ती दोषसिद्धि की दशा में दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, डण्डित किया जायेगा । 

आईपीसी धारा 293 का विवरण –  

तरुण व्यक्ति को अशलील वस्तुओं के विक्रय आदि को इस धारा के अधीन दंडनीय अपराध बनाया गया है इसके अनुसार बीस वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को जो कोई ऐसी कोई अशलील वस्तु, जो धारा 292 में निदिर्ष्ट है, बेचेगा, भाड़े पर देगा,

वितरित करेगा, प्रदशित करेगा, या परिचालित करेगा या ऐसा करने की प्रस्थापना या प्रयत्न करेगा, वह प्रथम दोषसिद्धि पर तीन वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से, और दो हजार रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जायेगा, और इसके पश्चात दोषसिद्धि की दशा में सात वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से, या पाँच हजार रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा । 

इस धारा के अधीन धारा 292 में वर्णित अशलील वस्तु को बीस वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को बेचना, भाड़े पर देना या वितरित, प्रदशित या परिचालित करना, या ऐसा करने की प्रस्थापना या प्रयत्न करना, दंडनीय है विधि ने तरुण व्यक्तियों के चितो को अशलील वस्तुओं के विक्रय आदि के द्वारा भ्रष्ट करने को कठोरता से दंडित किया है यही दंड और अधिक कठोर बन जाता है जब यह अपराध प्रथम बार के पश्चात पुनः किया जाए । 

इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय, जमानतीय और अशमनीय है, और यह किसी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है । 

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साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 293 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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