आईपीसी की धारा 202 क्या है What is section 202 of IPC
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 202 के बारे में क्या होती है 202 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
आईपीसी की धारा 202. इतिला देने के लिए अवध व्यक्ति द्वारा अपराध की इतिला देने का साशय लोप
जो कोई यह जानते हुए यह विश्वास करने का कारण रखते हुए की कोई अपराध किया गया है, उस अपराध के बारे में कोई इतिला जी से देने के लिए वह अवैध रूप से अवध हो, देने का साक्ष्य लोग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि 6 मांस तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 202 का विवरण- इतिला देने के लिए आबद व्यक्ति द्वारा अपराध की इतिला देने का साशय लोप किस धारा के अधीन दंडनीय अपराध है। इसके अनुसार, जो कोई या तो यह जानते हुए, या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए, कि कोई अपराध किया गया है, इस अपराध के बारे में कोई इतिला, जिसे देने के लिए वह वैध रूप से आपद हो, देने का साक्ष्य लोग करेगा, वह 6 मासतक के सादा या कठिन कारावास से, या जुर्माने से, दोनों से दंडित किया जाएगा।
अभियोजन पक्ष के द्वारा किस धारा के अंतर्गत यह साबित किया जाना अनिवार्य है कि अभियुक्त या तो जानता था कि कोई अपराध किया गया है, या उसके पास यह विश्वास करने का कारण था कि कोई अपराध किया गया है, उसके द्वारा अपराध से संबंधित इतिला का लोक प्रशासन किया गया। यह धारा केवल तब लागू होती है
जब उपरोक्त दो अपेक्षाओं के अतिरिक्त, यह भी साबित किया जाए कीइतिला देने के लिए अभियुक्त वैद्य रूप से आप बंद था। अभिव्यक्ति ‘वैद्य रूप से अवध’ का अर्थ वही है जो धारा 43में वर्णित है। धारा 203 के साथ दिया गया स्पष्टीकरण यह स्पष्ट करता है कि धाराओं 201, 202 और 203 में ‘अपराध’ शब्द के अंतर्गत भारत से बाहर किसी स्थान पर किया गया कोई ऐसा कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो धाराओं 302, 304, 382, 392 से 399 तक, 402, 435, 436, 449, 450 और 457 से 460 तक में से किसी भी धारा के अधीन दंडनीय होता।
एच०एस०राठौर बनाम राज्य में 6 अभियुक्त पुलिसकर्मियों ने हत्या के अन्वेषण के दौरान अभी कथित रूप से एक संदिग्ध व्यक्ति की पीट पीट कर मृत्यु कारित कर दी। उनके विरुद्ध धाराओं 304 और 331 के अधीन मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अनेक यह समितियों के कारण आरोप साबित नहीं हो पाए।
उच्चतम न्यायालय ने यह भी निर्धारित किया कि उन्हें धारा 202 के अधीन भी दूर से सिद्ध नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस धारा में ‘जो कोई’ शब्दों का अर्थ अन्य व्यक्ति है, स्वयं अपराधी नहीं, जिसने स्वयं ने अभी कथित रूप से अपराध किया है, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 20( 3) की अंतर्गत स्वयं को फसाने के विरुद्ध स्वतंत्रता प्रत्येक व्यक्ति को प्राप्त है। यह भी, किए धारा वहां पर भी लागू नहीं होती जहां मुख्य अपराध साबित ने किया गया हो।
इस धारा के अधीन अपराध असंज्ञेय, जमानतीय और अशमनीय है, और यह महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम व द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
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निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 202 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
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