SECTION 199 IPC IN HINDI पूरी जानकारी

आईपीसी की धारा 199 क्या है What is section 199 of IPC

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा  के 199 बारे में क्या होती है 199 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी धारा 199 ऐसी घोषणा में, जो साक्ष्य के रूप मे विधि द्वारा ली जा सके, किया गया मिथ्या कथन IPC Section 199 False statement made in such declaration as may be taken as evidence by law

जो कोई अपने द्वारा दी गई या हस्ताक्षरित किसी घोषणा में, जिसको किसी तथ्य के साक्ष्य के रूप में लेने के लिए कोई न्यायालय, या कोई लोक सेवक या अन्य व्यक्ति विधि द्वारा आबद्ध या प्राधिकृत हो, कोई ऐसा कथन करेगा

जो, किसी ऐसी बात के सम्बंध में, जो उसे उद्देश्य के लिए तात्विक हो जिसके लिए वह घोषणा की जाए या उपयोग में लाई जाए, मिथ्या है और जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है, या जिसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं है, वह उसी प्रकार दण्डित किया जाएगा, मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो । 

आईपीसी धारा 199 का विवरण  Details of IPC Section 199

साक्ष्य के रूप में विधि द्वारा ली जा सकने वाली घोषणा में किया गया मिथ्या कथन इस धारा के अधीन दण्डनीय अपराध है इसके अनुसार, अपने द्वारा की गई या हस्ताक्षरित किसी घोषणा में, जिसको किसी तथ्य के साक्ष्य के रूप में लेने के लिए कोई न्यायालय, या कोई लोक सेवक, या अन्य व्यक्ति, विधि द्वारा या तो आबद्ध या प्राधिकृत हो, जो कोई मिथ्या कथन करेगा,

जो उस उद्देश्य के लिए तात्विक किसी ऐसी बात के सम्बंध में हो जिसके लिए वह घोषणा की जाए या उपयोग में लाई जाए, और जिसके मिथ्या होने के बारे मे या तो उसे जानकारी हो, या उसे विश्वास है, या जिसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं है, वह उसी प्रकार दण्डनीय है मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो । घोषणा या तो अभियुक्त के द्वारा की गई

होनी चाहिए या उसके द्वारा हस्ताक्षरित होनी चाहिए इस घोषणा को कोई न्यायालय, या कोई लोक सेवक, या अन्य व्यक्ति साक्ष्य के रूप में लेने के लिए विधि द्वारा या तो आबद्ध होना चाहिए या प्राधिकृत होना चाहिए । अभियुक्त को कथन के मिथ्या होने का ज्ञान होना चाहिए, या विश्वास होना चाहिए, या उसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं होना चाहिए।

कथन का सम्बंध किसी ऐसी बात से होना चाहिए जो उस उद्देश्य के लिए तात्विक हो जिसके लिए वह घोषणा की जाए या उपयोग में लाई जाए । धारा 200 के साथ जुड़ा हुआ स्पष्टीकरण, जो इस धारा पर भी लागू होता है, यह स्पष्ट करता है कि कोई घोषणा, जो केवल किसी अप्ररूपिता के आधार पर अग्रहय है, धारा 199 और धारा 200 के अर्थ के अंतर्गत घोषणा है । 

साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 199 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

 कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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