नमस्कार दोस्तों आज हम आपके साथ विस्तार से चर्चा करेंगे की धारा 149 आईपीसी क्या है विधि विरुद्ध जमाव क्या है यह कैसे कार्य होते हैं इनके लागू अपराध क्या है विधि विरुद्ध जमाव किसको माना गया है विधि विरुद्ध जमाव से तात्पर्य है
की अनलॉफुल असेंबली मतलब या को बोल सकते हैं गैरकानूनी सभा धरा 149 आईपीसी के अनुसार किसी गैर कानूनी जनसमूह के व्यक्तियों द्वारा कॉमन इंटेंशन से या सम्मान आशय से कोई अपराध कार्य किया जाता है जन समूह का हर सदस्य संभवत जानता है कि अपराध कारित किया है तो उस जनसमूह का या गैरकानूनी सभा का प्रत्येक सदस्य उस अपराध का दोषी होगा।
धारा 149 ipc का विवरण
धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता का विस्तार से वर्णन करेंगे ।धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत कोई भी गैर कानूनी जनसमहू विधिविरुद्ध जमाव को कहा गया है।अगर गैर कानूनी जन समहू के किसी व्यक्ति द्वारा अपराध किया जाता है और गैर कानूनी समहू के प्रत्येक व्यक्ति का समान आशय से किया जाता है।तो उस गैर कानूनी जन समहू का प्रत्येक व्यक्ति उस अपराध का दोषी होगा।
लागू अपराध
धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत विधिविरुद्ध जमाव या गैर कानूनी सभा के किसी सदस्य या किसी भी व्यक्ति द्वारा किये गए अपराध में उस सभा या विधिविरुद्ध समहू का प्रत्येक सदस्य अपराध का दोषी होगा।
सजा- इसके अंतर्गत सजा अपराध के अनुसार होगी
इसकी जमानत अपराध के अनुसार होगी।
ये समझौता करने योग्य अपराध नही है।
धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता को धारा 34 भारतीय दण्ड संहिता में कब बदला जा सकता है।
धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता को धारा 34 भारतीय दण्ड संहिता में कैसे बदला जाता है।इन दोनों के अन्दर कुछ समानता बतायी गयी है।जिनका जिक्र हम यह आपको बताने वाले है। धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता ओर धारा 34 भारतीय दण्ड संहिता के अन्दर ये समानता है कि धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता के अंदर विधिविरुद्ध जमाव बताया गया है और धारा 34 भारतीय दण्ड संहिता के अंदर समान आशय बताया गया है।
धारा 34 भारतीय दण्ड संहिता कोई दो या दो से अधिक व्यक्तियो के द्वारा कोई भी अपराध समान आशय से किया जाता है। या अपराध कारित किया जाता है। तो वह धारा 34 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत दण्डनीय होगा और धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत गैर कानूनी जमाव द्वारा कोई अपराध किया जाता है। वो धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत दण्डनीय होगा।
उच्चतम न्यायालय द्वारा भी ऐसी स्थिति से निपटा गया है न्यायालय भी ऐसी स्थिति से निपट रहा है जिसमें धारा 307 (हत्या का प्रयत्न)भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत सात अभियुक्तों में से तीन अभियुक्तों को बरी कर दिया गया था इसलिए गैरकानूनी सभा में हुए या विधि विरुद्ध जमाव के व्यक्तियों की संख्या कम हो गई थी इसलिए धारा 149 भारतीय दंड संहिता में आना दोषी आना संभव नहीं था अदालत के समक्ष मुद्दा यह था की अभियुक्तों ने समाना से से अपराध किया है इसलिए धारा 34 के अंतर्गत आना न्यायालय द्वारा वैध आ गया
उच्चतम न्यायालय द्वारा कहा गया कि धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता ओर धारा 34 भारतीय दण्ड संहिता तहत आरोप में बदलाव की अनुमति दी है।लेकिन उसके लिए ये स्थिति होनी चाहिए कि यदि तथ्यों और सबूतों से अगर ये साबित होता है कि अपराध समान आशय से किया गया हो। उच्चतम न्यायालय द्वारा ये भी कहा गया कि धारा 34
भारतीय दण्ड संहिता वहा लागू होती है या ऐसी स्थिति में धारा 34 भारतीय दण्ड संहिता का इस्तेमाल होगा जहा आम मंशा साबित हो रही हो।
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धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता में वकील की जरूरत क्यों होती है
अगर आप किसी ऐसे मामले में अभियुक्त हो या अपराधी हो जो एक हो या समझौता करने योग्य नहीं हो जिसकी सजा हो इसके अंतर्गत आपको वकील करने में काफी समस्याएं आती है आपको वकील इस प्रकार करना चाहिए की एक अपराधिक मुकदमे जो वकील लड़ता हो
उस वकील को करना चाहिए जो अपने अपराधिक कार्य में पारंगत हो या निपुण हो जो ऐसे मामलों में पहले भी लोगों को बरी करा चुका हो या जल्दी बेल चला चुका हो ऐसे वकील को अपन को चुनना है जिससे आपको केस से बरी होने में ज्यादा समय ना हो और आप को कैसे बड़ी करा दें वकील ऐसे मामलों में बहुत लाभदायक होते हैं इसलिए ऐसा ही वकील करें जो एक निपुण हो।
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