आईपीसी की धारा 131 क्या है What is section 131 of IPC
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 131 के बारे में क्या होती है 131 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
आईपीसी धारा 131 विद्रोह का दुष्प्रेरण या किसी सैनिक, नोसैनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करना –
जो कोई भारत सरकार की सेना, नोसेना या वायुसेना के किसी आफिसर, सैनिक, नोसेनिक या वायुसैनिक द्वारा विद्रोह किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, या किसी ऐसे आफिसर, सैनिक, नोसेनिक या वायुसैनिक को उसकी राजनिष्ठा या उसके कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करेगा,
वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, डण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
आईपीसी धारा 131 का विवरण –
इस धारा के दो भाग है, जिनमें पहला विद्रोह के दुष्प्रेरण से और दूसरा कर्तव्य से विचलित करने के प्रयत्न से सम्बंधित है यह धारा यह कहती है कि जो कोई भारत सरकार की सेना, नोसेना या वायुसेना के किसी आफिसर, सैनीक, नोसेनिक या वायुसैनिक द्वारा विद्रोह किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा,
या किसी ऐसे आफिसर, सैनिक, नोसेनिक या वायुसैनिक को उसकी राजनिष्ठा या उसे कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दस वर्ष तक के कठिन या सादा कारावास से, दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
इस धारा के साथ दिया गया स्पष्टीकरण शब्दों ‘ आफिसर ‘, सैनिक नोसेनिक, और वायुसैनिक को सम्मिलित करने वाली परिभाषा देते हुए यह स्पष्ट करता है कि इन शब्दों के अंतर्गत वह व्यक्ति आता है जो यथास्थिति आर्मी एक्ट, सेना अधिनियम, 1950, नेवल डिसिप्लिन ऐक्ट, इंडियन नेवी (डिसिप्लिन) ऐक्ट, 1934 या एयरफोर्स ऐक्ट या वायुसेना अधिनियम, 1950 के अध्यधीन हो । इस संहिता की धाराओ 131 और 132 को साथ- साथ पढ़ा जाना चाहिए।
जो कोई –
इस धारा में प्रयुक्त शब्दों ‘ जो कोई ‘ को संहिता की धारा 139 के अध्यधीन पढा जाना चाहिए, जिसके अनुसार कोई व्यक्ति, जो आर्मी एक्ट या सेना अधिनियम, 1950; नेवल डिसिप्लिन ऐक्ट, 1934; एयर फोर्स ऐक्ट या वायुसेना अधिनियम, 1950 के अध्यधीन है, इस अध्याय में परिभाषित अपराधो में से किसी के लिए इस संहिता के संहिता के अधीन दंडनीय नहीं है।
विद्रोह –
संहिता ने ‘ विद्रोह ‘ शब्द की परिभाषा नहीं दी है। परन्तु इसका अर्थ किसी सिपाही या सिपाहियों के समूह द्वारा बल प्रयोग द्वारा वरिष्ठ आफिसरों के विरुद्ध सैनिक प्रकृति की किसी शिकायत के लिए उठ खड़े होना है। यह वैध सैनिक प्राधिकार के विरुद्ध प्रतिरोध का कार्य है ।
स्पष्टीकरण – इस धारा के साथ प्रारंभ में यह स्पष्टीकरण नहीं था। इसे 1870 के अधिनियम 27 द्वारा जोड़ा गया, जिसे 1927 के अधिनियम 10 द्वारा संशोधित किया गया ।
इस धारा के अंतर्गत अपराध संज्ञेय, अजमानतीय और अशमनीय है, और यह सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।
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निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 131 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
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