आईपीसी की धारा 121 क्या है What is section 121 of IPC
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 121 के बारे में क्या होती है 121 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
आईपीसी धारा 121 भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना –
जो कोई भारत सरकार के
विरुद्ध युद्ध करेगा या ऐसा युद्ध करने का प्रयत्न करेगा या ऐसा युद्ध करने का दुष्प्रेरण करेगा, वह मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
दृष्टान्त
क भारत सरकार के विरुद्ध विप्लव में सम्मिलित होता है। क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
आईपीसी धारा 121 का विवरण –
यह कहा जा सकता है कि धारा 121 एक असामान्य उपबंध है, क्योंकि यह कार्य, कार्य के प्रयत्न और कार्य के दुष्प्रेरण, तीनो को इसी उपबंध में दंडित करता है । इस धारा के अनुसार, जो कोई भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करेगा, या ऐसा युद्ध करने का प्रयत्न करेगा, या ऐसा युद्ध करने का दुष्प्रेरण करेगा, वह मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
युद्ध करेगा –
संहिता के रचयिताओं ने जानबूझकर ‘ युद्ध करेगा ‘ शब्दों का प्रयोग किया है यह शब्द स्वाभाविकतः किसी के द्वारा करना हैं जिसने निष्ठा का कर्तव्य छोड़कर अपने संप्रभु के विरुद्ध खुले आम उसी प्रकार और उन्हीं साधनों द्वारा ऐसा किया है जैसा एक विदेशी शत्रु करेगा जिसे राज्य में पांव जमाने का आधार मिल गया हो।
‘युद्ध करेगा ‘ शब्दों का अर्थ उसी प्रकार युद्ध करना है जिस प्रकार सामान्यतः युद्ध किया जाता हो । इस अभिव्यक्ति का अर्थ अंगरेजी विधि की अभिव्यक्ति ‘ लेवियिंग वार ‘ के समान है। मुख्य न्यायाधिपति लॉर्ड मैन्सफील्ड के द्वारा आर० बनाम गार्डन में कहे गए शब्द इसकी संकल्पना को स्पष्ट करते हैं। उन्होंने कहा कि ‘ लेवियिंग वार ‘ के दो प्रकार होते हैं:
पहला, राजा के शरीर के विरुद्ध, उसे बंदी बनाने, अपदस्थ करने, उसकी हत्या करने, या उससे उपाय बदलवाने, या सभासदों को हटाने के लिए, दूसरा, जिसे राजा की राजसत्ता के विरुद्ध किया जाए, या दूसरे शब्दों में, उसकी राजसी हैसियत के विरुद्ध, जैसे जब एक भीड़ सामान्य लोक प्रकृति के किसी उद्देश्य को बल और हिंसा द्वारा प्राप्त करने के लिए उठ खड़ी और एकत्र होती है,
तो वह राजा की राजसी हैसियत के विरुद्ध युद्ध करना है, और बहुत युक्तियुक्तता से यही कहा जाएगा, क्योंकि यह समाज के सभी बन्धनों को समाप्त करता है, सम्पत्ति नष्ट करता है, और सरकार को रौद डालता है, और शस्त्र के बल पर, राजा को विधि के अनुसार राज्य करने से रोक देता है ।
युद्ध करने के सम्बंध में दो आवश्यक बातो पर ध्यान देना आवश्यक है- पूरा करने का उद्देश्य लोक प्रकृति का होना चाहिए, और सरकार के प्राधिकार पर प्रत्यक्ष चोट की जानी चाहिए । भाग लेने वाले व्यक्तियों की संख्या, और वे किस प्रकार के शस्त्रों से सुसज्जित है, महत्वहीन है। महत्वपूर्ण बात यह है कि किस चित्त या उद्देश्य से वे एकत्र हुए । इस अपराध में मुख्य अपराधी और उपसाधक क बीच कोई अंतर नहीं है।
युद्ध करना और बल्वा –
युद्ध करने के अपराध और बल्वा के बीच कभी – कभी भृम पैदा हो जाता है युद्ध करने के अपराध में उद्देश्य सरकार के प्राधिकार पर आक्षेप लगाना है, सरकार के स्थापित प्राधिकार के विरुद्ध किसी सामान्य उद्देश्य के लिए कोई विद्रोह या विप्लव होना चाहिए ।
दूसरी ओर, बल्वा में किसी विधि – विरुद्ध जमाव द्वारा, या उसके किसी सदस्य द्वारा, ऐसे जमाव के सामान्य उद्देश्य को अग्रसर करने में, बल या हिंसा का प्रयोग किया जाता है विधि विरुद्ध जमाव में न्यूनतम पांच व्यक्ति होते हैं, और उनका सामान्य उद्देश्य संहिता की धारा 141 के पांच खंडो के अंतर्गत उल्लिखित विषयों में से ही सम्बन्धित होना चाहिए । इस प्रकार की कोई आवश्यकता धारा 121 के अंतर्गत नहीं है।
इस धारा के अधीन अपराध संज्ञेय, अजमानतीय और अशमनीय है, और यह सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।
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निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 121 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
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