आईपीसी की धारा 108 क्या है What is section 108 of IPC
नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा के 108 बारे में क्या होती है 108 धारा आईपीसी की और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं
आईपीसी धारा 108 क. भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण –
वह व्यक्ति इस संहिता के अर्थ के अंतर्गत अपराध का दुष्प्रेरण करता है, जो भारत से बाहर और उससे परे किसी ऐसे कार्य के किए जाने का भारत में दुष्प्रेरण करता है, जो अपराध होगा, यदि भारत में किया जाए ।
दृष्टान्त
के, भारत में ख को, जो गोवा में विदेशीय है, गोवा में हत्या करने के लिए उकसाता है । क हत्या के दुष्प्रेरण का दोषी है ।
आईपीसी धारा 108 का विवरण Details of IPC Section 108
यह धारा भारतीय दंड संहिता ( संशोधन ) अधिनियम, 1898 की धारा 3 के द्वारा जोड़ा गया, क्योंकि ऐसा करने क्वीन एम्प० बनाम गणपतराव रामचंद्र में मुंबई उच्च न्यायालय के निर्णय को अपास्त करने के लिए आवश्यक हो गया था,
जिसमें यह अभिनिर्धारित किया गया था कि यदि कोई भारतीय भारत में किसी अपराध को दुष्प्रेरित करता है जिसे विदेश में कारित किया गया तो दुष्प्रेरक को दोषसिद्ध नहीं किया जा सकता ।
विधियों का अनुकूलन आदेश, 1948 द्वारा शब्दों ब्रिटिश इंडिया के स्थान पर प्रान्तों शब्द जोड़ दिया गया, जिनके स्थान पर विधियों का अनुकूलन आदेश, 1950 द्वारा शब्द राज्यो जोड़ दिया गया, जिसके स्थान पर 1951 के तृतीय अधिनियम द्वारा शब्द भारत जोड़ दिया गया ।
यह धारा भारत के बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण से सम्बन्धित है इसके अनुसार वह व्यक्ति जो भारत से बाहर और उससे परे किसी ऐसे कार्य के किए जाने का भारत में दुष्प्रेरण करता है जो अपराध होगा यदि भारत में किया जाए, तो वह इस संहिता के अर्थ के अंतर्गत अपराध का दुष्प्रेरण करता है इस धारा में दिया गया
दृष्टान्त यद्यपि उस समय ठीक था जब यह संहिता बनी थीं, पर अब ऐसा नहीं है क्योंकि गोवा अब भारत गोवा का हो भाग है, विदेश नहीं । इस कारण इस दृष्टान्त में अब मामूली परिवर्तन की आवश्यकता है, और इसे ऐसा कर दिया जाना चाहिए :क, भारत में ख को जो आस्ट्रेलिया में विदेशीय है, आस्ट्रेलिया में हत्या करने के लिए उकसाता है । क हत्या के दुष्प्रेरण का दोषी है ।
यह ध्यान देने योग्य बात है कि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 196 (1) (ग) के अनुसार कोई न्यायालय भारतीय दंड संहिता की धारा 108क में यथावर्णित किसी दुष्प्रेरण का संज्ञान केन्दीय सरकार या राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी से ही करेगा, अन्यथा नहीं ।
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निष्कर्ष
साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 108 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी
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