नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे SC-ST एक्ट के बारे में अपराध जगत की दुनिया में यह एक ऐसा अपराध है जिसमें न्यायालय द्वारा जल्दी से जमानत भी नहीं ली जाती है यह गैर जमानती अपराध है यह एक्ट 1989 बनाया गया जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में यह एक लागू किया गया
किसी अनुसूचित जाती या अनुसूचित जनजाति के समुदाय के व्यक्ति के साथ जाती सूचक गलत टिपणी करना या छुआछूत करना या अत्याचार करना इन सभी की रोकथाम के लिए ऐक्ट बनाया गया जिसका मकसद था की सबी वर्गों के लोगों को समान दर्जा दिया जाए सभी को एक नजर से ही देखा जाए |
इसका मकसद यह है अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों पर होने वाले अपराधों को रोकना या रोकने के लिए यह तो बनाया गया यह एक्ट अत्याचार रोकथाम के लिए भी बनाया गया है जिसमें सभी वर्गों को समान दर्जा दिया जाए सबको समान नजर से देखा जाए किसी में कोई भेदभाव ना किया जाए इस मकसद को लेकर सरकार द्वारा यह एक नया कानून पारित किया गया
जिसमें हर वर्ग के व्यक्ति को समान दर्जा दिया जाए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों को भी सभी के अनुसार समान दर्जा दिया जाए उनको विशेष व्यवस्था दी जाए और उनकी हर संभव मदद की जाए SC-ST एक्ट को इसलिए लागू किया गया।
क्यों लागू किया गया SC-ST एक्ट
क्या है SC-ST एक्ट और यह क्यों लागू हुआ क्यों हमारे देश में इसकी जरूरत पड़ने लगी। 1955 मैं सरकार द्वारा प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ऐप के बावजूद भी ना तो दलितों पर अत्याचार रुका ना दलितों से छुआछूत करना कम हुआ।
जिससे हर व्यक्ति का स्वतंत्रता और समानता कहा अधिकार उलंघन हो रहा था स्वतंत्रता और समानता का अधिकार हमें संविधान द्वारा प्राप्त है जो प्रत्येक व्यक्ति को प्राप्त है उसका उल्लंघन भी हो रहा था
हमारे देश के 25प्रतिशत जनसंख्या दलित समुदायों की है जिनकी आर्थिक स्थिति तीन दशक तक भी सही नहीं थी ऐसी परेशानी देखते हुए सरकार द्वारा SC-ST समुदाय के लोगों के लिए यह तो बनाया गया इनकी परेशानियां देखते हुए इनके अत्याचार देखते हुए उनसे छुआछूत देखते हुए इनको समान दर्जा देने के लिए एक्ट बनाया गया ताकि यह अत्याचार और भेदभाव से बचे दलित समुदाय को बचाने के लिए एक्ट बनाया गया
SC-ST में क्या है प्रावधान
SC-ST एक्ट क्या है इसमें कौन-कौन सी समस्याओं का का सामना करना पड़ा किन को लेकर या किन समस्याओं को लेकर हमे इसकी जरूरत पड़ी ऐसी क्या हमारे देश में समस्या हुई जिसको लेकर SC-ST एक्ट हमें जरूरत पड़ी हम देखते हैं
की इसमें क्या-क्या प्रावधान है। SC-ST एक्ट 1989 जब बनाया गया तो क्या क्या व्यवस्था है की गई इस एक्ट के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को उचित न्याय मिले पर्याप्त सुविधाएं दी जाए पूर्ण रूप से कानूनी मदद दी जाए एवं अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक आर्थिक और सामाजिक पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
पीड़ित व्यक्ति का जांच में सुनवाई का खर्च सरकार द्वारा उठाया जाए prosecution की प्रक्रिया के समय उच्च अधिकारी नियुक्त किया जाए और सरकार द्वारा एक ऐसी कमेटी बनाई जाए जिसमें एक्ट में प्रावधान की समीक्षा की जाए और उन जगहों उन क्षेत्रों का पता लगाया जाए जहां दलित समुदाय के लोगों पर अत्याचार व भेदभाव और छुआछूत किया जाता है यह कुछ मांगे सरकार से रखी गई थी और यह प्रावधान इस एक्ट के तहत किए गए हैं
SC-ST एक्ट संशोधन से पहले क्या नियम थे।
SC-ST एक्ट अब एक नई गाइडलाइन आ गई है। SC-ST एक्ट अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को जातिसूचक ओर भेदभाव को लेकर बनाया गया था।इसमे ये नियम थे कि किसी भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के व्यक्ति को जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल करने पर तुरन्त मुकदमा दर्ज होता था
इस मुकदमे की जाँच का अधिकार sho रैंक के ऑफिसर को ही था। तुरन्त अभियुक्त का गिरफ्तारी का प्रावधान था।और न्ययालय में इन मुकदमों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट होती थी।इस मुकदमे में अग्रीम जमानत नही होती थी। उच्च न्यायालय से ही जमानत होती थी।
उच्चतम न्यायालय द्वारा क्या कहा गया
उच्चतम न्यायालय द्वारा इस एक्ट के प्रावधानों के या इस एक्ट के बारे में क्या कहां गया। उत्तम लेले द्वारा कहा गया अगर कोई सरकारी कर्मचारी पर SC-ST एक्ट का आरोप है तो उसे सीधे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता डिपार्टमेंट की और अथॉरिटी के बिना उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
अगर सक्षम होते अथॉरिटी इजाजत देती है तो उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है और अन्य कोई व्यक्ति आरोपी है तो उसकी गिरफ्तारी जांच के पश्चात एसएसटी की इजाजत के बाद ही उसे गिरफ्तार किया जा सकता है शिकायत मिलने पर ही तुरंत केस दर्ज नहीं किया जा सकता। उच्चतम न्यायालय के इस नई गाइडलाइन के बावजूद क्या नई गाइडलाइन के बाद अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के समुदायों के लोगों का कहना है कि उच्चतम न्यायालय के इस आदेश के बाद हमारे समुदाय के लोगों पर अत्याचार बढ़ जाएगा
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उच्चतम न्यायालय का अहम फैसला
उच्चतम न्यायालय का अहम फैसला क्या है यह हम आपको बताते हैं उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च 2018 को एक अहम फैसला सुनाया जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा कहा गया की अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम 1989 का गलत इस्तेमाल हो रहा है इसको देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और उच्चतम न्यायालय द्वारा नई गाइडलाइन भी दी गई है
SC-ST एक्ट में संशोधन
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 मे संशोधन भी हुआ है। उत्तम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के फैसले और नई गाइडलाइन के बाद किसी व्यक्ति द्वारा किसी अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के समुदाय के व्यक्ति व्यक्ति को जातिसूचक गलत टिप्पणी करने पर तुरंत केस दर्ज नहीं होगा
और तुरंत गिरफ्तारी भी नहीं होगी डीवाईएसपी लेवल का अधिकारी मामले की जांच करेगा इसमें जांच अधिकारी मामले की जांच करेगा उसमें देखा जाएगा मामला बनता है या फिर झूठा अपराध है और मामला सही पाया गया तो मुकदमा दर्ज करा जाएगा और अभियुक्त की गिरफ्तारी भी करी जाएगी
जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने वाले या टिप्पणी करने वाले व्यक्ति अभियुक्त को स्पेशल कोर्ट में न्यायाधीश के समक्ष गिरफ्तारी के कारणों की समीक्षा करनी होगी और सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी से पहले सक्षम और अथॉरिटी से इजाजत लेनी होगी और ऐसे में न्यायालय से अग्रिम जमानत नहीं मिलती है लेकिन सरकारी कर्मचारी व अधिकारी न्यायालय के अंदर अग्रिम जमानत याचिका दायर कर सकते हैं
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समुदाय के व्यक्तियों द्वारा संशोधन का विरोध
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद और नई गाइडलाइन के पश्चात अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समुदाय के व्यक्तियों ने संशोधन का विरोध भी किया है जिसमें कहा गया उन्होंने कि जाति सूचक शब्द बोलने पर तुरंत गिरफ्तारी और तुरंत मुकदमा दर्ज ना होने पर हमारे ऊपर अत्याचार को बढ़ावा देना है इस प्रकार इस समुदाय के लोगों ने संशोधन का विरोध किया
सरकार का रूख क्या है
सरकार का रुख क्या है जब यह संशोधन बिल पास हुआ तो केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के अंदर एक पुनर्विचार याचिका दायर की गई जिसमें तुरंत मुकदमा दर्ज होने पर और तुरंत गिरफ्तारी होने पर जो संशोधन किया था उसकी रिव्यू पिटिशन सुप्रीम कोर्ट के अंदर वकील के माध्यम से दायर की गई कैबिनेट ने SC-ST एक्ट संशोधन बिल को भी मंजूरी दे दी गई है
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