RASUKA (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) 1980 NSA क्या है ? RASUKA पूरी जानकारी

नमस्कार  दोस्तो

आज हम बात करने वाले हैं रासुका मतलब राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के बारे में जोकि क्यों लागू किया गया था कब पारित किया गया था इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं केंद्र सरकार व राज्य सरकार को क्या-क्या शक्तियां प्रदान की गई है इन सब विषयों के बारे में हम विस्तार से आपको बताने जा रहे हैं क्या इसके फायदे हुए क्या इसके नुकसान हुए देश को देश में कब लागू किया गया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून देश में इस की क्यों जरूरत पड़ी

हाल ही में सरकार द्वारा नया कानून पारित किया गया था नागरिक संशोधन कानून (CAA )जिसके चलते देश में बहुत से विरोध प्रदर्शन हुए हिंसा हुई सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया ऐसे में सरकार द्वारा इन प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए रासुका कानून लाया गया जिसमें सरकार को यह शक्तियां प्राप्त है कि उन प्रदर्शन प्रदर्शनकारियों को सरकार द्वारा हिरासत में लिया जा सकता है और 1 साल तक जेल में रखा जा सकता है इसके विस्तार से पूर्ण रूप से चर्चा करते हैं

रासुका (National security act NSA)कानून क्या है ?

रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) अधिनियम 1980 में लागू किया गया था साधारण भाषा में इसका मतलब मैं आपको बताता हूं यदि किसी व्यक्ति द्वारा ऐसा कोई कृत्य किया जाता है या ऐसा कोई कार्य किया जाता है जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को हानि होने की संभावना है तो राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 के तहत उस व्यक्ति को कस्टडी में लिया जा सकता है

और कारागृह है यानी जेल भेज दिया जाता है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 23 सितंबर 1980 इंदिरा गांधी की सरकार में बनाया गया था यह कानून सरकार को केंद्र सरकार और राज्य सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित कानून है जिसमें कोई भी व्यक्ति अगर संगधित लगे तो सरकार द्वारा उसे हिरासत में लिया जा सकता है

किन किन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा सकता है ?

अगर किसी व्यक्ति द्वारा देश की कानून व्यवस्था में कोई अड़चन पैदा कर रहा है या कोई समस्या पैदा कर रहा है तो उस व्यक्ति को सरकार द्वारा हिरासत में लिया जा सकता है इस कानून का इस्तेमाल पुलिस आयुक्त कमिश्नर ऑफ पुलिस या जिलाधिकारी द्वारा सरकार के सीमित दायरे में भी कर सकते हैं

विदेशी व्यक्तियों की गिरफ्तारी ?

विदेशी की गिरफ्तारी के संबंध में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 मैं बताया गया है की कोई अन्य देश का व्यक्ति अगर हमारे देश में बिना कारण के रह रहा है और सरकार की नजर में अगर वह व्यक्ति संदिग्ध लगता है तो सरकार द्वारा उसे गिरफ्तार करवा सकती है

रासुका कानून में सजा का प्रावधान ?

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 के तहत किसी व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है और 12 महीने का कारावास का प्रावधान है एवं गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की सूचना राज्य सरकार को देना भी आवश्यक है की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 के तहत हमने इस व्यक्ति की गिरफ्तारी की है

भीम आर्मी के अध्यक्ष पर लगा था राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ?

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 के तहत भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर पर लगाया गया था जिसमें सरकार द्वारा चंद्रशेखर को कई महीनों तक जेल में भी रखा गया था ऐसे ही मणिपुर के एक पत्रकार को भी 133 दिन जेल में रखा गया था जिसने सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना की थी तो सरकार द्वारा उसे हिरासत में लिया गया था यह घटना नवंबर 2018 की है जिसमें सरकार द्वारा उस पत्रकार को हिरासत में लिया गया था।

 

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सरकार की शक्तियां ?

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 के तहत केंद्र सरकार व राज्य सरकार को यह शक्तियां प्राप्त हैं कि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को सरकार द्वारा बिना कारण बताए बिना किसी की अनुमति के हिरासत में लिया जा सकता है 

सलाहकार बोर्ड ?

सलाहकार बोर्ड से क्या तात्पर्य है यह तो आप समझ ही गए होंगे कि सलाहकार का क्या मतलब होता है सलाहकार बोर्ड से तात्पर्य है कि यह एक वह कमेटी होती है जिसको केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा गठित किया जाता है जिसके अंदर न्यायाधीश के समक्ष या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जैसे व्यक्ति सदस्य होते हैं अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग सलाहकार बोर्ड होते हैं इस अधिनियम राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत सलाहकार बोर्ड की एक अहम भूमिका होती है

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा सलाहकार बोर्ड की कमेटी गठित की जाती है जिसके अंदर उनको रिपोर्ट दी जाती है सलाहकार बोर्ड द्वारा 21 दिन के अंदर सरकार को रिपोर्ट पेश करनी होती है सलाहकार बोर्ड ऐसे रिपोर्ट के ऊपर अपनी जांच भी करवाता है और अपना निर्णय भी सुना देता है

सरकार द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती ?

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 के तहत अगर किसी व्यक्ति के ऊपर सरकार द्वारा धारा तीन के तहत कोई आदेश जारी कर दिया जाता है तो उस व्यक्ति को यह अधिकार होता है कि वह है उच्च न्यायालय के अंदर रिट पिटिशन फाइल करके सरकार के ऑर्डर को चैलेंज कर सकता है 

या फिर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के अंतर्गत सरकार के आदेश को चैलेंज कर सकता है

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