आईपीसी की धारा 174 क्या है पूरी जानकारी

SECTION 174 IPC IN HINDI

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं आईपीसी की धारा 174 क्या है और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

आईपीसी की धारा 174 क्या है

  • भारतीय दंड संहिता की धारा 174 के अनुसार,जो कोई किसी लोक सेवक द्वारा निकाले गए उस समन, सूचना, आदेश या उद्घोषणा के पालन में, जिसे ऐसे लोक सेवक के नाते निकालने के लिए वह वैध रूप से सक्षम हो, किसी निश्चित स्थान और समय पर स्वयं या अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए,
  • उस स्थान या समय पर हाजिर होने का साशय लोप करेगा, या उस स्थान से, जहां हाजिर होने के लिए वह आबद्ध है, विधिपूर्ण समय से पूर्व चला जाएगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास की सजा, जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या पांच सौ रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा ।
  • अथवा, यदि समन, सूचना, आदेश या उद्घोषणा किसी न्यायालय में स्वयं या किसी अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास की सजा, जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा ।लागू अपराध
  • 1. व्यक्ति या अभिकर्ता द्वारा किसी निश्चित जगह पर उपस्थित होने या बिना किसी अधिकार के वहां से प्रस्थान करने के लिए कानूनी आदेश का पालन नहीं करना
    सजा – एक महीने कारावास या पांच सौ रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों।
    यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।2. यदि आदेश न्यायालय में व्यक्तिगत उपस्थिति आदि के लिए है
    सजा – छह महीने या एक हजार रुपए या दोनों।
    यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

    यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

    आईपीसी की धारा 174 क्या है

  • भारतीय दंड संहिता की धारा 174 के अनुसार, जो कोई किसी लोक सेवक द्वारा निकाले गए उस समन, सूचना, आदेश या उद्घोषणा के पालन में, जिसे ऐसे लोक सेवक के नाते निकालने के लिए वह वैध रूप से सक्षम हो, किसी निश्चित स्थान और समय पर स्वयं या अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए,
  • उस स्थान या समय पर हाजिर होने का साशय लोप करेगा, या उस स्थान से, जहां हाजिर होने के लिए वह आबद्ध है, विधिपूर्ण समय से पूर्व चला जाएगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास की सजा, जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या पांच सौ रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
  • अथवा, यदि समन, सूचना, आदेश या उद्घोषणा किसी न्यायालय में स्वयं या किसी अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास की सजा, जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

     भारतीय दंड संहिता की धारा 174 क्या होती है

  • इस धारा का उद्देश्य ऐसे व्यक्ति को दंड देना होता है, जो किसी भी लोक सेवक द्वारा बुलाये जाने, या किसी न्यायालय में उपस्तिथ होने के लिए किसी लोक सेवक के आदेश का उल्लंघन करता है, या लोक सेवक द्वारा आदेश दिए गए समय का पालन नहीं करता है, और बताये गए समय पर अपनी उपस्तिथि दर्ज नहीं कराता है, तो ऐसे व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 174 के प्रावधानों के अनुसार दण्डित किया जाता है।

    भारतीय दंड संहिता की धारा 174 के लिए आवश्यक तत्व

  • आवश्यक तत्वों के रूप में भारतीय दंड संहिता की धारा 174 के प्रावधानों में केवल यह ही होता है, कि किसी व्यक्ति द्वारा किसी लोक सेवक के द्वारा दिए गए बुलाने के किसी आदेश का उल्लंघन करना या समय पर अपनी उपस्तिथि दर्ज न करा पाना। इसके अतिरिक्त लोक सेवक के आदेश के साथ – साथ यह धारा किसी न्यायालय के जज द्वारा दिए गए पेश होने के आदेश पर भी निर्भर करती है, और इसके विपरीत उल्लंघन करने की स्तिथि में इस धारा के प्रावधानों के अनुसार दंड का भी निर्धारण करती है।

    आईपीसी की धारा 174 के लिए सजा का प्रावधान

  • उस व्यक्ति को जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 174 के तहत अपराध किया है, उसे इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसकी समय सीमा को 1 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और इस अपराध में आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है,
  • जो कि न्यायालय आरोप की गंभीरता और आरोपी के इतिहास के अनुसार निर्धारित करता है, किन्तु यह 500 रुपये से अधिक नहीं हो सकता है। इसके अतिरिक्त यदि वह आदेश किसी न्यायालय से दिया गया था तो ऐसी स्तिथि में कारावास की समय सीमा 1 वर्ष तक हो सकती है, और आर्थिक दंड 1000 रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।धारा 138 NI Act चेक बाउंस क्या है ।
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    निष्कर्ष

साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात धारा 174 आईपीसी की जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

कानूनी सलाह लेने के लिए अथवा पंजीकृत करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होती है  इन सभी सवालों से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आज आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश किए हैं

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