बन्दी प्रत्यक्षीकरण ( Habeas corpus) याचिका Habeas corpus Meaning in Hindi क्या है पूरी जानकारी

बन्दी प्रत्यक्षीकरण ( Habeas corpus) याचिका क्या है

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं बन्दी प्रत्यक्षीकरण ( Habeas corpus) याचिका क्या है और इसमें क्या-क्या प्रावधान दिए गए हैं इन सब विषयों के बारे में आज हम इस लेख के माध्यम से आप लोगों को कानूनी जानकारी से अवगत कराने वाले हैं हमारा हमेशा से ही प्रयास रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कानूनी जानकारियां आप लोगों तक पहुंचाता रहूं

दुनिया के कई देशो में प्राधिकारी अपने किसी भी नागरिक को बिना चार्ज किये महीनों, वर्षो तक कारागार में बंदी बना कर रख सकते है ऐसे में उन नागरिको के पास विरोध करने या चुनौती देने का कोई कानूनी साधन उपलब्ध नहीं होता है। बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट गैरकानूनी बंदी या हिरासत में लिए जाने के खिलाफ़ नागरिकों के पास एक हथिहार है जो नागरिकों को अपने हितो की रक्षा का लिए उच्चतम न्यायालय जाने का शक्ति प्रदान करता है।

Habeas corpus Meaning in Hindi

habeas corpus = बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका

बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) की रिट एक आदेश के रूप में जारी की जाती है जिसमें एक व्यक्ति को निर्देश दिया जाता है कि वह किसी उस व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष पेश करे और उस प्राधिकारी के न्यायालय को सूचित करे जिसके तहत वह उस व्यक्ति को हिरासत में ले रखा है।

यदि दिए गए कारण से पता चलता है कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है, तो न्यायालय उसकी रिहाई का आदेश देगा। इस प्रकार, रिट का प्राथमिक लक्ष्य उस व्यक्ति को तत्काल उपचार प्रदान करना है जिसे किसी व्यक्ति द्वारा गलत तरीके से बंधक बनाया गया है, चाहे वह जेल में हो या निजी हिरासत में।

याचिका की अवधारणा अनिवार्य रूप से इंग्लैंड में उत्पन्न हुई थी, इंग्लैंड में उत्पन्न इस तरह के एक महत्वपूर्ण पुरालेख (prerogative) रिट को बंदी प्रत्यक्षीकरण के रूप में जाना जाता है।

हबास कार्पस की तरह ही इस तरह के अन्य प्रिटोगेटिव रिट्स में से सबसे आम हैं- वॉरंटो, एरीटो, मैंडमस, प्रोसेसेंडो और सर्टिओरी। बंदी प्रत्यक्षीकरण हबास कार्पस (Habeas corpus) का शाब्दिक अर्थ “शरीर” होता है। बंदी प्रत्यक्षीकरण का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति की रिहाई के लिए किया जाता है जिसको बिना कानूनी औचित्य के अवैध रूप से हिरासत में लिया गया हो।

बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) रिट के लिए कौन आवेदन कर सकता है?

सामान्य मानदंड के अनुसार, किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा आवेदन किया जा सकता है जिसे अवैध रूप से रखा गया है। हालाँकि, कुछ परिस्थितियों में, कोई भी कैदी की ओर से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर सकता है। व्यक्ति कोई भी हो सकता है, जैसे दोस्त या रिश्तेदार।

बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) रिट याचिका दायर करने के नियम:

उच्चतम न्यायालय बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट के आवेदन में अभिवचन के सख्त नियम का पालन नहीं करता है और न ही इस सवाल पर अनुचित जोर देता है कि सबूत का भार किस पर है।

यहां तक ​​कि जेल से बंद किसी कैदी द्वारा लिखा गया पोस्टकार्ड भी अदालत को हिरासत की वैधता की जांच करने के लिए सक्रिय करने के लिए पर्याप्त होगा।  हिरासत के कानूनी होने का औचित्य साबित करने का भार हमेशा व्यक्ति को हिरासत में लेने वाले प्राधिकारी पर रखा गया है।

बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) रिट याचिका कैसे दायर करें: 

बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) या सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) में दायर की जा सकती है। बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका दायर करने पर न्यायालय हिरासत में लिए गए व्यक्ति से यह जांचता है कि क्या उसे अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है।

यह जांचने के बाद कि क्या अदालत को लगता है कि व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है या गिरफ्तार किया गया है तो कोर्ट बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका के तहत व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दे सकती है।

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साथियों इसी के साथ हम अपने लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं हमारा यह एक आपको पसंद आया होगा तथा समझने योग्य होगा अर्थात habeas corpus = बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका जानकारी आप को पूर्ण रूप से हो गई होगी 

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