गिरफ्तारी होने पर क्या करना चाहिए Girftari के अधिकार और नियम क्या है 1 पूरी जानकारी

गिरफ्तारी क्या है गिरफ्तार होने पर क्या करना चाहिए।गिरफ्तार व्यक्ति के क्या क्या अधिकार होते है।इन से  बातो के विषय मे हम आज चर्चा करने जा रहे हैं।जब किसी व्यक्ति द्वारा कोई विधिविरुद्ध कार्य किया जाता है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।

साधारण भाषा मे हम समझ सकते है। किसी भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित होना।भारतीय कानून के अनुसार दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973  के अध्याय 5 की धारा 41 से 60 के अन्दर गिरफ्तारी के प्रावधान ओर गिरफ्तारी जे संबंध में व्यक्ति के क्या अधिकार है

इन सब बातों का विस्तार से वर्णन किया गया है। अभियुक्त को गिरफ्तार करने का यही उद्देश्य होता है यही निश्चित करना होता है कि व्यक्ति द्वारा साक्ष्य वह सबूतो के साथ किसी भी स्थिति मे कोई खिलवाड़ ना करे।

गिरफ्तार होने पर आपको क्या करना है।क्या आपके अधिकार होंगे गिरफ्तार करने के क्या नियम होंगे।इन सब बातों का वर्णन हम करेंगे पहले हम ये बात कर ले कि गिरफ्तार करने का अधिकार किस किस के पास होता है।

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1 विधि के अनुसार गिरफ्तार करने का अधिकार किसके पास होता है। गिरफ्तारी कौन कर सकता है
1.2 गिरफ्तार करने की प्रक्रिया

विधि के अनुसार गिरफ्तार करने का अधिकार किसके पास होता है। गिरफ्तारी कौन कर सकता है

गिरफ्तार व्यक्ति को ये जानना बहुत जरूरी है।ये एक महत्वपूर्ण बात है जिसकी जानकारी देश के प्रति व्यक्ति के पास होनी चाहिए।भारतीय कानून के अनुसार थाना अधिकारी(SHO) द्वारा पुलिस उप निरीक्षक द्वारा पुलिस कांस्टेबल द्वारा या फिर मजिस्ट्रेट द्वारा आदि लोगो के द्वारा गिरफ्तारी की जा सकती है। भारतीय कानून के प्रावधानों अनुसार इन व्यतियो द्वारा की जा सकती है।

क्या पुलिस के अलावा कोई किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी कर सकता है

इसमे हम देखेंगे कि पुलिस के अलावा किसी अभियुक्त को को गिरफ्तार कर सकता है और कैसे गिरफ्तार कर सकता क्या ओर क्या है इसकी प्रक्रिया जो कोई भी व्यक्ति गैर जमानती या कोई घिनोना अपराध करता है तो उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है।किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी व्यक्ति को अपराध करते हुए देखा जाता है

उसे पूर्ण रूप से विश्वास होता है कि अपराध इसी ने किया है तो उस व्यक्ति को किसी के द्वारा भी गिरफ्तार किया जा सकता है गिरफ्तारी होने के पश्चात पुलिस अधिकारी को उसे सोप दिया जाता है।ओर से पुलिस द्वारा हिरासत में ले लिया जाता है।अगर मजिस्ट्रेट के समक्ष उस अभियुक्त को सोप दिया जाता है तो मजिस्ट्रेट द्वारा उसे न्याययिक हिरासत में ले लिया जाता है।

गिरफ्तार करने की प्रक्रिया

गिरफ्तार करने की क्या प्रक्रिया होती है। कि किसी अभियुक्त या अपराधी की गिरफ्तारी पुलिस द्वारा कभी भी की जा सकती है।न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी वारन्ट जारी किए जाने के पश्चात पुलिस द्वारा अभियुक्त या अपराधी की गिरफ्तारी कभी भी जा सकती है।पुलिस द्वारा किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी की जाती है तो पुलिस के पास गिरफ्तारी वारंट होता है।और कभी कभी ऐसा भी सुनने में आता है कि पुलिस द्वारा बिना वारन्ट के भी गिरफ्तारी की जा सकती है

धारा 41 दण्ड प्रक्रिया संहिता बिना वारण्ट गिरफ्तारी कब कर सकती है

धारा 41 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत बिना वारण्ट के भी पुलिस द्वारा व्यक्ति की गिरफ्तारी की जा सकती है।जो किसी पुलिस अधिकारी के समक्ष घिनोना अपराध करता हो या जिसके विरुद्ध पुलिस के पास कोई विशेष रूप से जानकारी हो।या जिसके विरुद्ध किसी व्यक्ति के द्वारा युक्तियुक्त इस्तगासा किया गया हो या पुलिस के पास कोई कारण हो ऐसे में पुलिस द्वारा बिना वारण्ट के गिरफ्तारी की जा सकती है।

धारा 41(क) दण्ड प्रक्रिया संहिता पुलिस अधिकारी के समक्ष हाजिर

पुलिस अधिकारी द्वारा किसी व्यक्ति को ऐसे मामले में जीमने धारा 41 क के अधीन है जहाँ किसी व्यक्ति को नोटिस सूचित किया जाता है।तो उस समय व्यक्ति का यही कर्तव्य होता है कि नोटिस की पालना करें।और जहां किसी व्यक्ति द्वारा किसी कारणवश नोटिस की पालना नही कर पाता है खुद की पहचान बताने में असफल रहता है तो पुलिस द्वारा उस व्यक्ति को न्ययालय के आदेशो म वर्णीत अपराध के अंतर्गत गिरफ्तार कर सकता है।

धारा 41 ख दण्ड प्रक्रिया संहिता में गिरफ्तारी करने वाले अधिकारी के कर्तव्य

इसके अंतर्गत  पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ्तारी की एक रूप रेखा तैयार करेगा।  पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के परिवार के सदस्य उस क्षेत्र में जाया गिरफ्तारी की गई हो कम से कम एक साक्षी द्वारा प्रमाणित किया जाएगा। और गिरफ्तार किए गए व्यक्ति कोई अधिकार होगा कि वह किसी रिश्तेदार दोस्त जिसका नाम बस उसे गिरफ्तारी की सूचना दी जाएगी

धारा 41 ग दण्ड प्रक्रिया संहिता नियंत्रण कक्ष

धारा 41 ग के अंतर्गत पुलिस के प्रत्येक जिले में पुलिस के अपने अपने मुख्यालय होते हैं जिसके अंतर्गत पुलिस द्वारा गिरफ्तार गए व्यक्तियों की जानकारी मिलती है मुख्यालय के अंदर गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों को आम जनता के लिए भी अच्छी चीज है

धारा 41 घ दण्ड प्रक्रिया संहिता गिरफ्तार व्यक्ति का वकील से मिलने का अधिकार

 धारा 41घ गाय के अंतर्गत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के पास अधिकार होते हैं जिनमें से यह अधिकार भी बहुत महत्वपूर्ण अधिकार है व्यक्ति को गिरफ्तार करने के पश्चात पुलिस द्वारा इन्वेस्टिगेशन पूरी होने के पश्चात वह अपनी मनपसंद के वकील से मिलने का पुर्ण रूप से अधिकारी होगा।

धारा 42 दण्ड प्रक्रिया संहिता नाम और निवासस्थान नही बताने पर गिरफ्तारी

  धारा 42 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत जब कोई व्यक्ति लोक सेवक की उपस्थिति में या पुलिस की उपस्थिति में  अपराध करता है पुलिस द्वारा व्यक्ति के ऊपर अपराध का अभियोग लगाया जाता है और अभियुक्त से उसके नाम पते पूछे जाते हैं जब वह इंकार कर देता करता है अपने निवास स्थान बताने से तब जाकर उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है उसका नाम व निवासस्थान निश्चित किया जा सके  यदि 30 घंटे पश्चात भी गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के नाम निवास स्थान निश्चित रूप से पता नहीं किया जा सकता था तो बंधपत्र  निष्पादित करने में सफल रहता है क्षेत्राधिकार रखने वाले निकटतम मजिस्ट्रेट के पास तुरंत भेजे दिया जाएगा।

धारा 43 दण्ड प्रक्रिया संहिता  प्राइवेट व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी और गिरफ्तारी के प्रतिक्रिया

 धारा 43 दंड प्रक्रिया संहिता यह बताया गया है कि किसी प्राइवेट आदमी के समक्ष कोई व्यक्ति अगर गैर जमानती अपराध करता है तो वह प्राइवेट व्यक्ति द्वारा अपराध करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है और पुलिस के हवाले किया जा सकता है जिसमें पुलिस अधिकारी आते नहीं है यहां कहीं व्यस्त होते हैं तो निकटतम थाने में भी प्राइवेट होते द्वारा उस व्यक्ति को ले जाया जा सकता है

धारा 44 दण्ड प्रक्रिया संहिता मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी

 धारा 44 उधर तरीका संहिता के अंतर्गत बताया गया मजिस्ट्रेट किस प्रकार गिरफ्तारी कर सकता है किसी मजिस्ट्रेट गए स्थानीय क्षेत्र अधिकार या अधिकारिता वाले क्षेत्र में कोई व्यक्ति अपराध करता है तो अपराधी को सह मजिस्ट्रेट द्वारा भी गिरफ्तार किया जा सकता है मजिस्ट्रेट कार्यपालक हो चाइना एक मजिस्ट्रेट हो आदेश दे सकते हैं और खुद भी गिरफ्तार कर सकते हैं और अभिरक्षा में सुपुर्द कर दिया जाता है जिनकी गिरफ्तारी के लिए किसी भी परिस्थिति में वारंट जारी कर सकते हैं यह अधिकार उनके पास होता है

धारा 45 दण्ड प्रक्रिया संहिता सशस्त्र बलों के सदस्य की गिरफ्तारी

धारा 45 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत बताया गया है कि यह है धारा सशस्त्र बलों के सदस्यों की गिरफ्तारी के संरक्षण को लेकर है जिसमें कोई व्यक्ति सशस्त्र बल में अपने पद व कर्तव्य का निर्वहन कर रहा है अगर उसकी गिरफ्तारी करने से पूर्व केंद्रीय सरकार की सहमति लेना अति आवश्यक है

धारा 46 दण्ड प्रक्रिया संहिता गिरफ्तारी कैसे की जायेगी

 धारा 46  दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत यह बताया गया है गिरफ्तारी कैसे की जाए गिरफ्तारी करने में पुलिस ऑफिसर जो गिरफ्तारी कर रहा हो उसे गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति के अंगों को वसत्तुत छुएगा जब तक है जब तक उसे अपने आप को अभिरक्षा में में समर्पित कर दिया हो।

महिला की गिरफ्तारी सूर्यौदय से पहले ओर सुर्यास्त के पश्चात नही की जा सकती और गिरफ्तारी के समय महिला पुलिस अधिकारी होना आवश्यक है।

अगर कोई व्यक्ति गिरफ्तारी होने के डर दे बल का प्रयोग करता है।या भागने की कोशिस करता है।तो पुलिस द्वारा साधनो का प्रयोग कर सकती है।

 

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 धारा 47 दंड प्रक्रिया संहिता उस स्थान की तलाशी जिसमें ऐसा व्यक्ति छुपा हुआ है जिसकी गिरफ्तारी की जानी है।

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 47 के अंतर्गत तलाशी से संबंधित है। यदि किसी व्यक्ति का वारण्ट निकल हुआ है।या विधिविरुद्ध कार्य करने वाले व्यक्ति को पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ्तार करने के लिए सुनिश्चित किया हो ओर  पुलिस अधिकारी को ये लगता है कि वह व्यक्ति गिरफ्तार किया जाना चाहिए तो उस पुलिस अधिकारी को उस स्थान की तलाशी लेने का अधिकार होता है जहाँ वह अपराधी छुपा हो।

धारा 49 दण्ड प्रक्रिया संहिता अनावश्यक अवरोध न करना

धारा 49 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को उतना ही अवरोध करे जितना उसको भाग कर निकल जाने के लिए आवश्यक हो ज्यादा अवरोध नही किया जा सकता।अगर पुलिस अधिकारी  किसी गिरफ्तार किए गए व्यक्ति  आवश्यकता से ज्यादा अवरोध किया जाता है तो पुलिस अधिनियम 1861 की धारा 29 के अंतर्गत दण्डनीय किया जा सकेगा।

 धारा 50 दंड प्रक्रिया संहिता गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों और जमानत के अधिकारों की इत्तला दिया जाना

धारा 50 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत अगर किसी व्यक्ति को वारण्ट बिना गिरफ्तार किया जाता है पुलिस अधिकारी द्वारा उस व्यक्ति को उस अपराध की जिसके लिए वह गिरफ्तार किया गया है पूर्ण रूप से ऐसी गिरफ्तारी के अधार तुरंत न्यायसंगत करेगा।

धारा 50 क दण्ड प्रक्रिया संहिता गिरफ्तारी करने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी के बारे मे दोस्तो रिस्तेदारों को जानकारी देना

धारा 50 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत पुलिस अधिकारी को जो गिरफ्तार करता है किसी व्यक्ति को तो उस स्थान की जानकारी की कहा रखा गया है गिरफ्तार किया हुआ व्यक्ति ये सभी जानकारी उसके परिवार जनों को दोस्तो को रिस्तेदारो को देने का भी प्रयोजन है।

धारा 51 दण्ड प्रक्रिया संहिता गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की तलाशी

धारा 51 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत जब किसी भी व्यक्ति को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है।तो व्यक्ति की पास जो भी सामान होता है सिर्फ उसके कपड़ो को छोड़ कर सभी सामान पुलिस अभिरक्षा में रख लिए जाते है जिसकी रसीद पुलिस द्वारा दी जाती है।

जब कोई प्राइवेट व्यक्ति अगर किसी अपराधी को गिरफ्तार करता है तो वह उसकी तलाशी नही ले सकता वह उसे पुलिस के हवाले कर देता है।पुलिस द्वारा है उसकी तलाशी ली जाती है।अगर कोई अपराधी कोई महिला है तो उसकी तलाशी महिला पुलिस अधिकारी द्वारा है कि जायगी।

धारा 52 दण्ड प्रक्रिया संहिता गिरफ्तार किए गए व्यक्ति आक्रामक वस्तुओं को अभिग्रहण करने की शक्ति

धारा 52 के अंतर्गत पुलिस अधिकारी द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उसके पास कोई हतियार मिलते है या कोई आक्रमक वस्तु मिलती है तो।पुलिस द्वारा उसे जब्त कर किया जाता है।और न्ययालय के समक्ष पेश कर दिया जाता है।जिस न्ययालय में अभियुक्त को पेश किया जाना है।

धारा 53 दण्ड प्रक्रिया संहिता पुलिस अधिकारी द्वारा चिकित्सा जांच करवाना

धारा 53 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत जब कोई ऐसा व्यक्ति किसी आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो पुलिस अधिकारी को लगता है कि घटना से संबंधित सबूत चिकित्सा जाँच से मिल सकते है तो।पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की चिकित्सा जांच करवा सकता है।

धारा 53 क बाक्तसंग के अपराधी की चिकित्सा जाँच

धारा 53 क दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति ब्लात्कार या बलतसंग के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है ओर पुलिस अधिकारी को लगता है कि चिकित्सा जांच के पश्चात अपराध के सबूत मिल सकते है तो पुलिस द्वारा उस व्यक्ति की चिकित्सा जांच करवायी जाती है।

धारा 54 दण्ड प्रक्रिया संहिता गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की चिकित्सा अधिकारी द्वारा परीक्षा

धारा 54 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की पुलिस अधिकारी द्वारा सरकार के चिकित्सा अधिकारी द्वारा चिकित्सा की परीक्षा की जायेगी जहा सरकार के चिकित्सा अधिकारी उपलब्ध नही है ऐसे में किसी रजिस्टर्ड चिकित्सा अधिकारी द्वारा अभियुक्त की चिकित्सा जांच की जायगी। परन्तु महिला अगर कोई अपराधी है तो उसकी चिकित्सा जांच किसी महिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा की जायेगी।

धारा 54 क दण्ड प्रक्रिया संहिता गिरफ्तार किए गए व्यक्ति नकी शिनाख्त

धारा 54 क के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को अगर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है किसी अपराध में तो किसी व्यक्तियों द्वारा उसकी शिनाख्त करना या पहचान करना  अतिआवश्यक है।जो कि पुलिस जांच के लिए अति आवश्यक समझी जाती है। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की पहचान करने के लिए न्ययालय द्वारा पुलिस को या अन्य किसी व्यक्ति को आदेश दिया जा सकता है।अगर गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की शिनाख्त करने वाला व्यक्ति मानिसक व शारिरिक रूप से कमजोर है तो ऐसी प्रक्रिया मजिस्ट्रेट के आधीन ही होगी।

धारा 55 दण्ड प्रक्रिया संहिता गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की सेहत व सुरक्षा

धारा 55 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की सेहत व सुरक्षा से संबंधित है।किसी भी पुलिस अधिकारी का यही कर्तव्य रहेगा कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अभिरक्षा में उसकी सेहत व सुरक्षा की पुर्ण रूप से जिमेदारी होगी।

धारा 56 दण्ड प्रक्रिया संहिता मजिस्ट्रेट या पुलिस के भरसाधक अधिकारी के समक्ष पेश करना

धारा 56 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार किसी भी व्यक्ति को वारन्ट के बिना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो गिरफ्तार करने वाले लोलिस अधिकारी द्वारा बिना देरी किये जमानत के संबंध में किसी पुलिस के भारसाधक अधिकारी के समक्ष या किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होगा।

धारा 57 दण्ड प्रक्रिया संहिता गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 24 घण्टे के अंदर पेश किया जाना

धारा 57 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार किसी व्यक्ति को पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो पुलिस अधिकारी का यही कर्तव्य रहता है कि वारण्ट के बिना गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 24 घण्टे से ज्यादा अभीरक्षा में नही रख सकते।धारा 167 दण्ड प्रक्रिया संहिता में गिरफ्तारी के स्थान से न्ययालय की यात्रा के लिए आवश्यक समय को छोड़कर 24 घण्टे से अधिक नही होने चाहिए।

धारा 58 दण्ड प्रक्रिया संहिता पुलिस का गिरफ़्तारियों की रिपोर्ट करना

धारा 58 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार पुलिस थाने के अधिकारी द्वारा जिला मजिस्ट्रेट को या उसके आदेश देने पर अपने आने क्षेत्रा अधिकार के अन्दर बिना वारण्ट के गिरफ्तार किए गए सभी व्यक्तियों के मामले की रिपोर्ट करेंगे।

धारा 59 दण्ड प्रक्रिया संहिता गिरफ्तार व्यक्ति का उन्मोचन

धारा 59 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की पुलिस अधिकारी द्वारा उस व्यक्ति का आरोप मुक्त उसी से बंधपत्र पर या जमानत पर मजिस्ट्रेट के विशेष आदेश के आधीन ही किया जायेगा अथवा नही।

धारा 60 दण्ड प्रक्रिया संहिता भागने पर पीछा करके पकड लेने की शक्ति

धारा 60 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार अगर कोई गिरफ्तार व्यक्ति अभिरक्षा में से निकल कर भागने का प्रयास करता है या भाग जाता है तो उस पुलिस अधिकारी के पास ये अधिकार होता है जिसकी अभिरक्षा में से अपराधी छुड़ा के भाग जाता है तो।देश मे कहि भी उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।

धारा 60 क दण्ड प्रक्रिया संहिता गिरफ्तारी संहिता के अनुसार ही कि जाए

धारा 60 क दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार गिरफ्तारी दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार ही कि जायगी अन्य किसी विधि के अनुसार नही की जा सकती।

गिरफ्तारी और अभिरक्षा में अंतर

गिरफ्तारी क्या है और अभिरक्षा क्या है इसके मध्य भी आपको अन्तर का मालूम होना भी बहुत जरूरी है।गिरफ्तारी में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को शरीर को छु कर यह अभीभूत करा देना की आवश्यक है निर्दोष है और अभिरक्षा में यह होता है कि किसी व्यक्ति द्वारा गिरफ्तार किया गया वह पुलिस को सौप दिया जाता है।उसे पुलिस अभिरक्षा में सोप दिया जाता है। धारा 46 के अंतर्गत अभिरक्षा में लेने के लिए इस औपचारिकता का पालन करना यही आवश्यक है।

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के अधिकार

भारत के संविधान के अनुसार आपके पास पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर भी कुछ अधिकार है जो निम्न प्रकार से है।

 

  1. गिरफ्तार हुए व्यक्ति को गिरफ्तार होने के पश्चात अपने परिजनों व रिस्तेदारो को सूचना करने का अधिकार होता है।
  2. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति नको 24 घण्टे के अंदर न्यायालय में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होता है।24 घण्टे से अधिक समय के अन्दर अभियुक् मो पेश नही करते है यह एक गैर कनूनी या अवैध है।
  3.  गिरफ्तार व्यक्ति की आवश्क रूप से चिकित्सा रिपोर्ट करवाने का अधिकार।
  4. जब आपको गिरफ्तार किया जाता है तो आपको अपनी मनपसंद वकील बुलाने का अधिकार है।अगर आप वकील करने में सक्षम नही है तो आपको एक सरकार द्वारा वकील की व्यवस्था की जायेगी।
  5.  जब पुलिस द्वारा कोई सवाल किए जाए आपसे ओ आपके पास एक वकील होने का अधिकार है।
  6. पुलिस द्वारा गिरफ्तार व्यक्ति को ये बताने का अधिकर है कि किस अपराध में उसे गिरफ्तार किया है अपराध जमानती है या गैर जमानती क्योकि हमारे संविधान में  दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 50 में यह प्रावधान है।अगर जमानती अपराध है तो पुलिस द्वारा ही जमानत दी जा सकती है और अपराध गैर जमानती है तो न्ययालय द्वारा जमानत दी जायेगी।
  7. अगर किसी व्यक्ति द्वारा कोई गंभीर अपराध किया है तो उसे तुरंत प्रभाव से बिना देरी किये   वकील से सम्पर्क  करना चाहिए। क्योकि वकील ही एक ऐसा व्यक्ति है जो आपको न्ययालय से जमानत जल्दी दिलवा सकता है।और पुलिस के सामने क्या बोलना है ये वकील से बदतर कोई नही जानता।
  8.  गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का पुलिस के सामने चुप रहने का भी अधिकार है।पुलिस के सामने कुछ बोलना नही चाहिए ना ही कुछ स्वीकार करना चाहिए।चुप रहने का अधिकार भी है आपका क्योंकि आपके द्वारा बोला गया शब्द आपके खिलाफ भी जा सकता है इसलिए आपको चुप ही रहना होता है।

 

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